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अस्पताल में अव्यवस्थाओं का अंबार, ओपीडी में मरीजों की लग रही कतार

अस्पताल में इलाज की स्थिति: हालांकि, अस्पताल में दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है और सभी मरीजों को चिकित्सकों द्वारा देखा जाता है और दवाएं दी जाती हैं। अस्पताल की ओपीडी में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आते हैं और उन्हें इलाज प्राप्त होता है।

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मौसम में बदलाव: 3142 मरीजों की कराई डेंगू मलेरिया जांच, सिर्फ दो ही मिले पॉजिटिव
भिवाड़ी. भिवाड़ी जिला अस्पताल में मौजूदा मौसम परिवर्तन का असर स्वास्थ्य पर स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। सर्दी, बुखार, जुकाम, खांसी और सांस की तकलीफों के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इन रोगों के चलते प्रतिदिन करीब एक हजार मरीज अस्पताल में उपचार के लिए आ रहे हैं। एक सप्ताह के आंकड़ों के मुताबिक, अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 800 से 1000 मरीज अपना पर्चा बनवाकर इलाज प्राप्त कर रहे हैं।
मौसम में बदलाव के कारण सुबह-शाम की सर्दी और हवा में बढ़ी एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) की वजह से श्वसन रोगियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। विशेषकर, दमा और सांस की तकलीफ वाले मरीजों के लिए यह मौसम खतरनाक साबित हो रहा है।
डेंगू और मलेरिया की स्थिति: भिवाड़ी जिला अस्पताल में डेंगू और मलेरिया के मामलों की स्थिति पर भी नजर डाली गई है। अस्पताल में जुलाई से अगस्त तक 3142 मरीजों की डेंगू और मलेरिया की जांच की गई, जिनमें से सिर्फ दो डेंगू पॉजिटिव पाए गए। मलेरिया की जांच कराने वाले 2420 मरीजों में भी कोई पॉजिटिव केस नहीं पाया गया। यह आंकड़े अस्पताल में डेंगू और मलेरिया के नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सफलता को दर्शाते हैं। हालांकि, चिकनगुनिया के लक्षणों वाले कोई मरीज नहीं पाए गए, जिसके चलते इस बीमारी की जांच नहीं कराई गई।
मेडिकल ज्यूरिस्ट और अन्य रिक्त पद : भिवाड़ी जिला अस्पताल में एक और गंभीर समस्या सामने आई है—मेडिकल ज्यूरिस्ट का पद गत आठ महीनों से रिक्त है। अस्पताल में प्रतिदिन एक से दो पोस्टमार्टम और एक्सीडेंट के मामलों का कार्य होता है, लेकिन मेडिकल ज्यूरिस्ट की नियुक्ति न होने की वजह से जटिल मामलों को जयपुर या अलवर भेजा जाता है।
इसके अतिरिक्त, अस्पताल में चिकित्सकों और अन्य स्टाफ की कमी भी कार्य में बाधा डाल रही है। जिला अस्पताल में 34 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में 23 डॉक्टर ही कार्यरत हैं। नर्सिंग स्टाफ के 56 पदों में से 11 पद खाली हैं। चिकित्सकों की कमी के कारण ओपीडी में मरीजों की लंबी कतारें लग जाती हैं और इलाज में देरी होती है।
अस्पताल में इलाज की स्थिति: हालांकि, अस्पताल में दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है और सभी मरीजों को चिकित्सकों द्वारा देखा जाता है और दवाएं दी जाती हैं। अस्पताल की ओपीडी में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आते हैं और उन्हें इलाज प्राप्त होता है।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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