AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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जिला चिकित्सालय में नियमित रूप से जांच के लिए पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं के बैठने की व्यवस्था नहीं है। उन्हें फर्श पर बैठकर के जांच के लिए अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को विशेष देखभाल व सावधानी की जरूरत होती है, इसके बावजूद चिकित्सालय प्रबंधन उनके लिए कुर्सियों की व्यवस्था भी नहीं कर पा रहा है। महिलाओं को जांच के लिए लाने वाली आशा कार्यकर्ताओं ने भी इस समस्या को प्रबंधन के समक्ष उठाया। बैठने की उचित व्यवस्था किए जाने की मांग हर महीने चिकित्सालय स्टाफ से की जाती है इसके बावजूद कोई प्रबंध न होने से उन्हें परेशान होना पड़ता है। जिला चिकित्सालय में हर महीने जांच के लिए पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं की जांच में समय लगता है। चिकित्सालय के बरामदे के फर्श पर बैठकर उन्हें अपनी बारी आने का इंतजार करना होता है। कई किलोमीटर दूर से यहां पहुंचने के बाद इंतजार के दौरान भी आराम न मिलने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है। जिले में वर्तमान में 5187 गर्भवती महिलाएं हैं जिनमें अनूपपुर विकासखंड में 1264, जैतहरी में 1563, कोतमा में 561 एवं पुष्पराजगढ़ विकासखंड में 1384 गर्भवती महिलाएं हैं। इनकी नियमित रूप से जांच की जाती है। हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को परामर्श के लिए जिला चिकित्सालय लाया जाता है और जांच के साथ ही उपचार परामर्श दिया जाता है।
जिला चिकित्सालय में जांच के लिए पहुंची डालवती सिंह ने बताया कि सुबह 11 बजे आई हुई थी। दोपहर 2 बजे तक जमीन में बैठकर इंतजार करना पड़ा। उन्होंने कहा कि अगर यहां बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था हो जाए तो काफी राहत मिलेगी।
जांच के लिए पहुंची सावित्री सिंह ने कहा कि हर महीने उन्हें जांच के दौरान इस स्थिति का सामना करना पड़ता है और अब इस व्यवस्था की आदत उन्हें पड़ चुकी है। उनके साथ ही जांच के के लिए आई लगभग 70 महिलाएं यहां इंतजार कर रही थी।
नए चिकित्सालय भवन में अभी सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं, अब असुविधा नहीं होगी।
डॉ. एसआर परस्ते, सिविल सर्जन
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लव सोनकर
लव सोनकर - 9 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछले 7 सालों से डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए हैं और कई संस्थानों में अपना योगदान दि है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता ए...और पढ़ें...
Published on:
28 Jul 2025 12:22 pm


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