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80:20 के नैरेटिव को फिर से मजबूत करने में जुटी BJP! ‘राम’ के सहारे कैसे सभी वर्गों को एक छतरी में समेटने की कोशिश?

UP Politics: अयोध्या राम मंदिर ध्वाजा रोहण से उभरी BJP की नई रणनीति क्या है? PM नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत की भगवान 'राम' के सहारे सभी वर्गों को एक छतरी में समेटने की कोशिश है?

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bjp new strategy emerges from ayodhya ram temple flag hoisting ceremony about pm modi and mohan bhagwat plan
80:20 के नैरेटिव को फिर से मजबूत करने में जुटी BJP! फोटो सोर्स- पत्रिका न्यूज

UP Politics: अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा की स्थापना नहीं हुई, बल्कि PM नरेंद्र मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव की नई राजनीतिक दिशा भी तय कर दी।

‘विकसित भारत 2047’ की वैचारिक नींव

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, वहीं अब 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा स्थापित कर BJP ने एक बड़ा संदेश दिया है। इस ऐतिहासिक अवसर पर PM नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि राम मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि ‘विकसित भारत 2047’ की वैचारिक नींव भी है।

अयोध्या केवल धार्मिक केंद्र नहीं

अपने संबोधन में PM मोदी ने गुलामी की मानसिकता के अंत, सांस्कृतिक डि-कॉलोनाइजेशन और हिंदू एकता की ऐसी लकीर खींचने की कोशिश की जिनका राजनीतिक जवाब ढूंढना कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मंदिर परिसर में PM मोदी, RSS प्रमुख मोहन भागवत और CM योगी आदित्यनाथ के भाषणों ने यह संकेत दिया कि अयोध्या केवल धार्मिक केंद्र नहीं है।

भाषण की मुख्य बातें-

विकास मॉडल से रामराज्य का जुड़ाव

गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का लक्ष्य, 2035 तक तय किया गया

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य 2047 तक तय किया गया

जातिवाद की काट करने के लिए हिंदू समरसता का गढ़ा नया नारा

सियासी जानकार मानते हैं कि PM नरेंद्र मोदी, RSS प्रमुख मोहन भागवत और CM योगी आदित्यनाथ के भाषणों की धुरी राम के आदर्श रहे, लेकिन संदेश के भीतर राजनीतिक संकेत स्पष्ट नजर आए। तीनों नेताओं ने बिना किसी दल का नाम लिए रामत्व को नकारने वालों पर निशाना साधा, जिससे कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष कटाक्ष के दायरे में आ गया।

'अब तक लगभग 45 करोड़ श्रद्धालु अयोध्या दर्शन कर चुके'

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अयोध्या को करीब 70 सालों तक उपेक्षा झेलनी पड़ी, जबकि पिछले 11 सालों में सरकार ने इसके विकास को प्राथमिकता दी। उन्होंने दावा किया कि आज अयोध्या विश्व-पटल पर आस्था की राजधानी के रूप में उभर चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब तक लगभग 45 करोड़ श्रद्धालु अयोध्या दर्शन कर चुके हैं। यह आंकड़ा स्वयं अयोध्या के बदलते स्वरूप और महत्व को दर्शाता है।

कारोबार और स्थानीय बाजारों पर भी सकारात्मक प्रभाव

अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा सहारा बन रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जैसे काशी, प्रयागराज, विंध्यवासिनी, मथुरा और वृंदावन में विकास कार्यों के बाद पर्यटन में तेजी से वृद्धि हुई है, उसी तरह अयोध्या भी आर्थिक बदलाव के नए दौर में प्रवेश कर चुका है। पर्यटन ने इन धार्मिक शहरों की सांस्कृतिक पहचान को तो मजबूत किया ही है, साथ ही रोजगार, कारोबार और स्थानीय बाजारों पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला है।

80:20 के नए नैरेटिव को फिर से मजबूत करने में जुटी BJP!

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के चुनाव में यूपी में हिंदू वोटों का जातिगत आधार पर बिखराव BJP को नुकसान पहुंचा गया था। इसी वजह से इस बार आयोजन में जातीय संतुलन बिठाने पर खास जोर दिया गया। यह स्पष्ट संकेत है कि BJP अब 80:20 के नए नैरेटिव को फिर से मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। यानी 80 प्रतिशत हिंदुओं को एकजुट करने के लिए राम मंदिर परिसर में सभी समाजों और जातियों के महापुरुषों की मूर्तियों को स्थान दिया जा रहा है। जिससे 80 फीसदी हिंदू समाज को एकजुट किया जा सके। कार्यक्रम में सोनभद्र और मिर्जापुर जैसे जिलों से बड़ी संख्या में आदिवासी, पिछड़े समुदाय के लोग और साधु-संतों को आमंत्रित किया गया।

BJP की नई रणनीति

PM मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ''विकसित भारत 2047 तभी संभव है, जब हम अपने भीतर राम के आदर्शों को जगाएं। राम केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।'' शबरी, निषादराज, अहिल्या, जटायु और गिलहरी जैसे पात्रों का जिक्र कर उन्होंने संदेश दिया कि राम किसी कुल, जाति या वर्ग को नहीं देखते वे भक्ति और समर्पण को महत्व देते हैं। इस प्रतीकात्मक संदर्भ के जरिए PM मोदी ने दलित, आदिवासी और OBC समाज को सीधे जोड़ने की कोशिश की।

वहीं, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भगवान राम के मंदिर के लिए चले 500 साल के लंबे संघर्ष को याद करते हुए माहौल को भावुक कर दिया। उन्होंने खास तौर पर कारसेवकों की भूमिका, अशोक सिंघल और महंत रामचंद्र दास परमहंस जैसे साधु-संतों के योगदान और उनकी कुर्बानियों का उल्लेख किया, जो आंदोलन की रीढ़ रहे।

क्या है 80:20 नैरेटिव

अयोध्या में धर्मध्वजा स्थापना के चलते जिस तरह हिंदू समाज की व्यापक एकता का प्रदर्शन हुआ, उसने BJP की नई चुनावी रणनीति का संकेत साफ कर दिया है। संदेश यह है कि आगामी चुनाव 2024 की तरह जातिगत बिखराव वाले नहीं होंगे, बल्कि 2017 की तर्ज पर एक बार फिर 80:20 के ध्रुवीकरण की ओर बढ़ सकते हैं। जहां 80% हिंदू समाज एक तरफ दिखाई दे और 20% अल्पसंख्यक दूसरी ओर।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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