AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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- एक साल में 500 से ज्यादा हॉकी खिलाड़ी तैयार
- गांव की दस हजार की आबादी में सात फीसदी खिलाड़ी
- टोंक जिले के लावा गांव में साल दर साल बढ़ रहे खिलाड़ी
रमाकांत दाधीच
जयपुर. खेलों को बढ़ावा देने के लिए लाखों रुपए खर्च कर राज्य सरकार प्रदेश के स्पोर्ट्स स्कूलों में खिलाड़ी तैयार करने में जुटी है, ताकि वे प्रदेश का नाम देश-विदेश में रोशन करें। लेकिन छोटे-छोटे गांवों में भी खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बशर्ते जरूरत उनको ढूंढकरतरासने की है। ऐसी ही कहानी टोंक जिले के लावा गांव की है, जहां खेल प्रतिभाओं का तो भंडार है, लेकिन उन्हें उचित मार्गदर्शन के साथ ही संसाधनों का अभाव झेलना पड़ रहा है। सरकार अगर इन प्रतिभाओं की ओर ध्यान दे तो ये भी देश-विदेश में प्रदेश का डंका बजा सकती है। लावा ग्राम में चार सरकारी और पांच निजी स्कूलों से जुटाई गई जानकारी में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि यहां सत्र 2024-25 मेंं 700 से अधिक खिलाडिय़ों ने जिलास्तर से राज्य स्तर तक की प्रतियोगिताओं में भाग लिया। इनमें से 500 से अधिक खिलाडिय़ों ने हॉकी में दमखम दिखाया। विभिन्न स्रोतों से जुटाई जानकारी अनुसार यह प्रदेश में एक सत्र में किसी एक पंचायत से भाग लेने वाले खिलाडिय़ों की सर्वाधिक संख्या है।
गौरतलब है कि यह गांव प्रदेश का पहला ऐसा गांव है जहां सर्वाधिक शारीरिक शिक्षक हैं। यहां वर्तमान में 150 से अधिक पीटीआई हैं। जो प्रदेश के विभिन्न जिलों में पद स्थापित हैं। वहीं 500 से अधिक राज्य व राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी देने वाला भी यह राज्य का अकेला गांव हैं।
स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया(साई) के मिनी सेंटर की दरकार
खिलाडिय़ों की प्रतिभा और जोश के बावजूद, गांव में एक बड़े खेल स्टेडियम की कमी है। अब तक यहां बिना किसी खास सुविधा के सैकड़ों खिलाड़ी तैयार हुए हैं। अगर उन्हें सरकार और स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) का सहयोग मिलता है, तो यह गांव खेलों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। क्योंकि इसके माध्यम से बेहतर खेल मैदान और प्रशिक्षक मिल सकेंगे।
लावा में साल दर साल ऐसे बढ़े खिलाड़ी
सत्र- खिलाड़ी
2024-25- 702
2023-24- 648
2022-23- 553
(स्रोत: गांव की सरकारी व निजी स्कूलों से मिली जानकारी अनुसार )
दो बार हो चुकी राज्य स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता
यह गांव प्रदेश का पहला ऐसा गांव बन चुका है, जहां ग्राम पंचायत स्तर पर राज्यस्तरीय सीनियर हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा चुका है।
नेताओं के वादे निकले थोथे
गांव में जब भी बड़ा खेल आयोजन होता है तो कई राजनेता यहां आते हैं और खिलाडिय़ों को बेहतर सुविधाएं, मैदान और स्टेडियम उपलब्ध कराने की घोषणाएं करते हैं। हालांकि, इन घोषणाओं पर कभी अमल नहीं होता। गांव के युवाओं का कहना है कि वे नेताओं के वादों से थक चुके हैं।
प्रदेश में एक साल में सबसे ज्यादा खिलाड़ी तैयार करने वाले गांव
दुजोद(सीकर): यह गांव बास्केटबॉल के लिए प्रसिद्ध है। यहां के हर घर में बास्केटबॉल के खिलाड़ी मिलते हैं और इस गांव से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं।
सिलवाला खुर्द (हनुमानगढ़): यह गांव वॉलीबॉल के लिए मशहूर है। यहां के एक कोच की वजह से सैकड़ों खिलाडिय़ों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है।
परमदरा(भरतपुर): यह गांव कुश्ती के लिए जाना जाता है, जहां हर घर में पहलवान मिलते हैं।
लावा (टोंक): इसे हॉकी की नर्सरी और ‘खेलगांव’ के नाम से जाना जाता है। यहां हर साल सैकड़ों हॉकी खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं। यहां गांव की हर गली में राज्यस्तरीय हॉकी खिलाड़ी मिल जाएंगे।
इनका कहना है....
- ग्राम पंचायत की ओर से खिलाडि़यों को हरसंभव मदद उपलब्ध करवाई जाती है। लेकिन संसाधनों के अभाव के चलते खिलाडि़यों को परेशानी होती है। सरकार साई का मिनी सेंटर खोले तो अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं।
ग्राम पंचायत लावा
कमल जैन,पंचायत प्रशासक
- यहां ग्रामीण खेल के प्रति समर्पित हैं। पत्रों के माध्यम से हमने पहले भी साई के मिनी सेंटर के लिए प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब फिर सरकार तक बात पहुंचाएंगे। जिससे यहां अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सकें।
किशनलाल फगोडिय़ा, पूर्व जिला परिषद सदस्य
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
03 Sept 2025 05:58 pm
Published on:
03 Sept 2025 05:57 pm


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