AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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शहर के वार्ड नंबर 9 निवासी जमीर खान की जान आवारा श्वान के काटने के बाद उपचार के दौरान मौत हो गई। शहर में श्वान के काटने से मौत का यह पहला मामला बताया जा रहा है। घटना के बाद मृतक के परिजनों में शोक और आक्रोश व्याप्त है। जिन्होंने नगरपालिका के कुछ समय पूर्व चलाए आवारा श्वानों को पकडऩे के अभियान को दिखावा बताया है। वहीं जिला अस्पताल से मृतक को प्रदान की गई दवा की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े किए हैं। परिजनों के अनुसार डॉक्टरों के कहे अनुसार सभी दवा दिए जाने के बावजूद जमीर की हालत में कोई सुधार नहीं आया और उपचार के दौरान नागपुर में उनकी मौत हो गई।
मृतक जमीर के परिजन यूनिस खान ने बताया कि घटना 23 अक्टूबर 2025 की है। वार्ड 9 निवासी जमीर जो कि ऑटो इलेक्ट्रीशियन है, नमाज पढऩे जामा मस्जिद जा रहे थे। तभी पुलिस कॉलोनी के पास में एक पागल श्वान ने उन पर हमला कर काट दिया था। तत्काल जमीर को जिला अस्पताल लेजाकर कर रैबीज इंजेक्शन लगाए गए। तीन इंजेक्शन लग गए थे और चौथा इंजेक्शन 20 दिसंबर को को लगना था। लेकिन 2 दिसंबर को उनका स्वास्थ्य बिगडऩे लगा। तब गोंदिया लेजाकर निजी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। फिर वहं से मेडिकल कॉलेज नागपुर में 6 दिसंबर को भर्ती किया गया था, यहां देर रात उनका निधन हो गया।
यूनिस खान के अनुसार जमीर को तीन इंजेक्शन लगाए चुके थे। बावजूद इसके भी मरीज की हालत में सुधार न ओकर वे मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति की तरह हरकत करने लगे थे। गोंदिया के चिकित्सक भी इस बात को लेकर हैरान थे कि तीन डोज पूरे होने के बाद भी श्वान का जहर कम होने के बजाए कैसे बढ़ गया। यूनिस खान सहित मृतक के अन्य परिजनों ने जिला अस्पताल की दवा की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। दवा की जांच किए जाने की मांग भी की है।
बताया गया कि जमीर अपने पीछे दो बच्चे व पत्नी को छोडकऱ चले गए हैं। अब जमीर के परिवार में बच्चों का पालन करने वाला कोई नहीं बचा है। यह शहर के लिए गंभीर मसला है। नपा प्रशासन आवारा श्वानों पकडऩे का दावा कर रही है, जबकि शहर में अब भी सैकड़ों की संख्या में आवारा श्वान घूम रहे हैं, जो कि पूरे शहर के लिए मुसीबत बने हुए हैं। पूरे मामले में कलेक्टर का ध्यान आकर्षित कराते हुए आवारा श्वानों की गंभीर समस्या से निजात दिलाए जाने और सरकारी अस्पताल में उपलब्ध दवाओं की गुणवत्ता की जांच किए जाने की मांग की गई है।
इस पूरे मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ परेश उपलव से की गई चर्चा के दौरान उन्हें अनभिग्यता जारी करते हुए बताया कि जिला अस्पताल में प्रतिदिन ही श्वान के काटने के मामले आया करते हैं। लेकिन अब तक किसी को कोई नुकसानी के मामले सामने नहीं आए हैं। उनका कहना है कि यदि कोई संशय था तो मृतक के शव का पीएम करवाया जाना था। दवा की गुणवत्ता या मिलावट जैसी कोई बात नहीं हो सकती है।
वर्सन
श्वानों को पकडऩा यह नगर पालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। जहां तक बात जिला अस्पताल में तीन डोज लगने और सुधार नहीं होने की है यह मुमकिन नहीं है। प्रतिदिन ही मामले आते हैं, सुधार भी हुए हैं। फिर भी क्या मामला है हम पता करते हैं।
डॉ परेश उपलव, सीएमएचओ बालाघाट
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Published on:
08 Dec 2025 04:38 pm


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