AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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जिले के वारासिवनी नगर के वार्ड 07 में संचालित मॉ स्कंद शहरी आजीविका स्व सहायता समूह आज महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक विकास का उदाहरण बन चुका है। नगर पालिका परिषद वारासिवनी और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के सहयोग से गठित यह समूह उन महिलाओं के जीवन में नई ऊर्जा लेकर आया है, जो पहले घर की चारदीवारी तक सीमित थीं।
बीपीएल श्रेणी की 5 और सामान्य वर्ग की 6 गृहिणियों ने जब आपसी विश्वास के साथ इस समूह की शुरुआत की, तब उनके पास न संसाधन थे न अनुभव। बस एक इच्छा थी अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारना और समाज में अपनी पहचान बनाना। शुरूआत छोटे स्तर पर कुछ मशीनों और सीमित पूंजी के साथ हुई। पर दृढ़ निश्चय के साथ शुरू किया गया काम धीरे-धीरे रंग लाने लगा।
महिलाओं के समूह ने कपड़े के थैले, जूट बैग, रिसायकल बोरियों और पर्यावरण अनुकूल बैग बनाने का कार्य शुरू किया। शुरू में छोटा बाजार था, लेकिन गुणवत्ता और मेहनत ने उनके उत्पादों को पहचान दिला दी। आज यह समूह अपने थैले न केवल वारासिवनी और जिला मुख्यालय में बेच रहा है, बल्कि निकटवर्ती शहरों गोंदिया, तिरोड़ा, तुमसर आदि में भी थोक में आपूर्ति कर रहा है। समूह की आय लाख रूपए तक पहुंच गई है।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन द्वारा समूह को बैंक लिंक्ड लोन मिला, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है। इसके अलावा नगर पालिका परिषद ने प्रशिक्षण, स्टॉल लगाने और उत्पादों के प्रचार में सहयोग किया है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत समूह की महिलाएं बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ी हैं। अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और उज्ज्वला योजना से समूह की महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा मजबूत हुई। इन सभी प्रयासों ने महिलाओं के जीवन स्तर में बदलाव लाया है।
समूह की महिलाओं के अनुसार मॉ स्कंद शहरी आजीविका स्व सहायता समूह केवल आर्थिक उन्नति का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का भी प्रतीक है। महिलाओं के अनुसार यदि अवसर, प्रशिक्षण और सामूहिक प्रयास मिले तो महिलाएं हर क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त कर सकती हैं। भविष्य में यह समूह और अधिक विस्तार, नवाचार और बड़े बाजारों तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ आगे बढऩे के लिए तैयार है।
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Published on:
11 Dec 2025 09:00 pm


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