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सरकारी सहायता प्राप्त पीयू कॉलेजों में 1.33 लाख से ज्यादा सीटें खाली

विशेषज्ञों का मानना है कि निजी कॉलेजों s को बड़ी संख्या में अनुमति देने से सहायता प्राप्त कॉलेजों की स्थिति बिगड़ी है और प्रवेश में गिरावट आई है।

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Karnataka में सरकारी सहायता प्राप्त प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेजों की लोकप्रियता लगातार कम होती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में ये कॉलेज उपलब्ध सीटें भी भर नहीं पाए। विशेषज्ञों का मानना है कि निजी कॉलेजों Private Colleges को बड़ी संख्या में अनुमति देने से सहायता प्राप्त कॉलेजों की स्थिति बिगड़ी है और प्रवेश में गिरावट आई है।

प्रवेश संख्या पर कोई सीमा नहीं

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री मधु बंगारप्पा की ओर से विधान परिषद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, अकादमिक वर्ष 2025-26 में कुल 2,25,200 सीटों में से 1,33,243 सीटें खाली रह गईं, जबकि केवल 91,957 सीटें ही भरी जा सकीं। सरकारी कॉलेजों में प्रवेश संख्या पर कोई सीमा नहीं है, फिर भी कॉलेजों ने सिर्फ 2,77,507 छात्रों को ही नामांकित किया।

बंद हो रहे सहायता प्राप्त कॉलेज

छात्रों की लगातार घटती संख्या के कारण कई सहायता प्राप्त कॉलेज बंदी के कगार पर हैं। कई सहायता प्राप्त कॉलेजों ने विभाग से कॉलेज बंद करने की अनुमति मांगी। वर्ष 2022-23 से वर्ष 2024-25 के बीच कुल 11 सहायता प्राप्त कॉलेज बंद हुए।

तीन वर्ष में कोई नया सरकारी कॉलेज नहीं

मंत्री ने स्पष्ट किया कि पिछले तीन वर्षों में एक भी सरकारी पीयू कॉलेज बंद नहीं हुए हैं। इस दौरान कोई नया सरकारी पीयू कॉलेज नहीं खोला गया, जबकि नए 393 निजी गैर सहायता प्राप्त कॉलेजों को अनुमति दी गई।

निजी कॉलेजों को प्राथमिकता

एक वरिष्ठ शिक्षाविद् ने बताया कि सरकारी और सहायता प्राप्त कॉलेजों की कार्यप्रणाली लगभग समान है। इनमें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एकीकृत कोचिंग सुविधा नहीं होती है। शिक्षकों की कमी और कमजोर अवसंरचना भी बड़ी समस्या है। ऐसे में अभिभावक और छात्र निजी कॉलेजों को अधिक प्राथमिकता देते हैं।

अंग्रेजी शिक्षा की चाहत भी बड़ा कारण

मंत्री ने गुरुवार को विधानसभा में पूर्व शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि बीते 15 वर्षों में सरकारी स्कूलों में नामांकन में 17 लाख की गिरावट आई है। माता-पिता की अंग्रेजी शिक्षा की चाहत, सेंट्रल सिलेबस को प्राथमिकता, पलायन और निजी स्कूलों की बढ़ती संख्या के कारण नामांकन में कमी आई है। सरकार ने सरकारी स्कूलों में नामांकन बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए हैं।

नामांकन दर बढ़ाने के प्रयास जारी

सरकार ने 2018 से 2025 के 6,675 सरकारी स्कूलों में कन्नड़ और अंग्रेजी द्विभाषी प्री-प्राइमरी सेक्शन शुरू किए हैं। वर्तमान में 9,522 सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक द्विभाषी शिक्षा उपलब्ध है। सरकार ने 14 नवंबर 2025 से 30 जून 2026 तक राज्यव्यापी अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन को बढ़ाना है।

स्मार्ट क्लास और इनोवेशन लैब

मंत्री ने बताया कि 5,437 सरकारी प्राथमिक और हाई स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित की गई हैं, जबकि 2025-26 में 1,072 और स्कूलों में लैब स्थापित की जा रही हैं। राज्य के 3,862 स्कूलों में स्मार्ट क्लास और 173 स्कूलों में इनोवेशन लैब उपलब्ध हैं। इसके अलावा 489 स्कूलों और 614 प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में विज्ञान प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं। 375 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा (वोकेशनल एजुकेशन) भी शुरू की गई है। समग्र शिक्षा कर्नाटक परियोजना के तहत कक्षाओं, शौचालयों और फर्नीचर के विकास व मरम्मत के लिए सरकार ने 838.75 करोड़ रुपए जारी किए हैं।

शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी

शिक्षक भर्ती पर जानकारी देते हुए मंत्री ने बताया कि कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में 5,267 और अन्य जिलों में 5,000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी है। शिक्षक कमी को पूरा करने के लिए 43,526 अतिथि शिक्षक और 5,508 अतिथि व्याख्याताओं की सेवाएं ली जा रही हैं। हर ग्राम पंचायत में एक सरकारी स्कूल को कर्नाटक पब्लिक स्कूल (केपीएस) के रूप में उन्नत किया जाएगा, जहां प्री-प्राइमरी से लेकर पीयू तक की शिक्षा एक ही परिसर में उपलब्ध होगी। राज्य में वर्तमान में 309 केपीएस संचालित हैं, जबकि 900 और स्कूलों को केपीएस में अपग्रेड किया जा रहा है।मंत्री ने बताया कि 2022 से 2024 के बीच 375 निजी स्कूलों ने राज्य पाठ्यक्रम छोड़कर सीबीएसइ पाठ्यक्रम अपनाया है।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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