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आ​खिर क्यों सार्वजनिक जगहों पर कबूतरों को खाना खिलाने पर लग सकती है रोक?

प्रस्तावित ढांचे के तहत उन इलाकों में कबूतरों को खाना खिलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा, जहां इससे सार्वजनिक परेशानी या स्वास्थ्य जोखिम पैदा होता है। हालांकि, तय स्थानों पर नियंत्रित परिस्थितियों में और समय-सीमा के साथ भोजन की अनुमति दी जा सकती है।

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  • सेहत संबंधी समस्याओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने शहरी विकास विभाग को लिखा पत्र

सरकार घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में बढ़ती सांस संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को खाना feeding pigeons खिलाने पर रोक लगाने और जरूरत पड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने शहरी विकास विभाग को पत्र लिखकर बिना नियंत्रण कबूतरों को खाना खिलाने पर रोक के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है। स्वास्थ्य विभाग ने शहरी विकास से ग्रेटर बेंगलूरु अथॉरिटी Greater Bengaluru Authority (जीबीए) समेत राज्यभर के सभी नगर निगमों को इस संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने को कहा है।

नियंत्रित परिस्थितियों में और समय-सीमा के साथ

प्रस्तावित ढांचे के तहत उन इलाकों में कबूतरों को खाना खिलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा, जहां इससे सार्वजनिक परेशानी या स्वास्थ्य जोखिम पैदा होता है। हालांकि, तय स्थानों पर नियंत्रित परिस्थितियों में और समय-सीमा के साथ भोजन की अनुमति दी जा सकती है। ऐसे फीडिंग जोन के रखरखाव की जिम्मेदारी मान्यता प्राप्त चैरिटेबल संगठनों या गैर-सरकारी संगठनों की होगी।

जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश

स्थानीय निकायों के अधिकारियों को मौके पर ही चेतावनी देने, जुर्माना लगाने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही, नागरिक निकायों को सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं, जिनमें कबूतरों को खाना खिलाने से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम, नियमों का उल्लंघन करने पर दंड और पक्षियों के संरक्षण के लिए वैकल्पिक व मानवीय तरीकों की जानकारी दी जाएगी।

गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता

स्वास्थ्य विभाग ने पत्र में कहा है कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में कबूतरों की बीट और पंखों का अत्यधिक जमा होना एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन चुका है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनिटिस और फेफड़ों की अन्य बीमारियां हो सकती हैं। ये बीमारियां गंभीर हो सकती हैं और कुछ मामलों में फेफड़ों को स्थायी नुकसान भी पहुंचा सकती हैं, खासकर कमजोर आबादी के बीच।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद बृहन मुंबई नगर निगम पहले ही इसी तरह के नियामक उपाय लागू कर चुका है।

इसी तरह की मांग की थी

कानूनी आधार का हवाला देते हुए विभाग ने भारतीय न्याय संहिता-2023 की धारा 270, 271 और 272 का उल्लेख किया है, जो सार्वजनिक परेशानी और जीवन के लिए खतरनाक बीमारियों के प्रसार से जुड़े कृत्यों पर लागू होती हैं। इसके अलावा, ग्रेटर बेंगलूरु अथॉरिटी एक्ट-2025 और कर्नाटक नगर निगम अधिनियम- 1976 के प्रावधान नागरिक निकायों को सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता की रक्षा के लिए निवारक कदम उठाने का अधिकार देते हैं। पिछले महीने पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक एस. सुरेश कुमार ने भी जीबीए के मुख्य आयुक्त को पत्र लिखकर इसी तरह की मांग की थी।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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