AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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बरेली। स्मार्ट सिटी की नदियों का पानी अब जीवन नहीं, जहरीला खतरा बन चुका है। पानी में कॉस्मेटिक, डिटर्जेंट और केमिकल डाईज़ का ऐसा घातक मिश्रण घुल गया है कि नदी के किनारे उतरते ही तेज बदबू, झागदार परत और कालेपन की मोटी लकीरें दिखाई देती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नदियों का पानी अब स्नान या उपयोग तो दूर, छूने भर से त्वचा पर जलन, रैशेज, फंगल संक्रमण और गंभीर स्किन एलर्जी का खतरा पैदा कर रहा है।
नदियों में जहरीले तत्वों का स्तर लगातार तेजी से बढ़ रहा है। सीवर की गंदगी, फैक्ट्रियों का रासायनिक कचरा, कॉस्मेटिक और डिटर्जेंट के माइक्रो पार्टिकल्स मिलकर पानी को पूरी तरह विषाक्त बना रहे हैं। पानी की सतह पर रसायनों की परत तैर रही है, जिसमें बदबू और केमिकल का असर इतना भरा हुआ है कि पानी के संपर्क में आने पर त्वचा पर झनझनाहट और घाव जैसी प्रतिक्रियाएं संभव हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कुछ साल पहले तक नदियों का पानी साफ दिखाई देता था, घाटों पर लोग नहाते थे और बच्चे पानी में खेलते थे। लेकिन अब हालत ऐसी है कि लोग किनारे खड़े होने से परहेज कर रहे हैं। ग्रामीणों ने शिकायत की है कि नदी किनारे रहने वाले कई लोगों की त्वचा पर दाने, फोड़े, खुजली और चकत्तों की समस्या बढ़ी है।

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण का घातक स्तर अब इतना बढ़ चुका है कि यह नदियां शहर के लिए गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट बन चुकी हैं। शरीर पर पानी गिरने से ही रसायन सीधे त्वचा के रोमछिद्रों में घुस जाते हैं और संक्रमण तेजी से बढ़ता है। यह पानी पीने, नहाने और सिंचाई के लिए पूरी तरह असुरक्षित है। यहां तक कि जिन लोगों के नदियों के आसपास घर हैं और वह अपने हैंडपंप के पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। नदियों की वजह से भाभी प्रदूषित हो गया है।
स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टरों ने चेतावनी जारी की है कि यह जहरीला पानी लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को स्किन कैंसर, फंगल संक्रमण और एलर्जी जैसी गंभीर बीमारियों की ओर धकेल सकता है। वहीं पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो नदियों में घुलने वाले ये रसायन जलीय जीवन को तो समाप्त कर ही रहे हैं, साथ ही आगे चलकर भूजल को भी विषाक्त कर सकते हैं। लोगों में बढ़ती जलन, खुजली और त्वचा संक्रमण के मामले देखकर साफ है कि स्मार्ट सिटी की चमक के बीच नदियां मृत्यु के कगार पर हैं। जहरीले रसायनों का यह सैलाब न केवल शरीर को छूकर नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि शहर की हवा, मिट्टी और प्राकृतिक संतुलन को भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
21 Dec 2025 12:10 pm
Published on:
21 Dec 2025 11:20 am


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