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अच्छी बारिश के बावजूद छीतोली बांध रीता

वर्ष 1965 में निर्मित इस बांध की भराव क्षमता 22.06 फीट और चौड़ाई 861 घनमीटर है। वर्ष 1985 तक इसमें नियमित रूप से पानी की आवक होती थी, जिससे जयसिंहपुरा, सुरजपुरा, बहादुरपुरा, भगतपुरा, ठीकरिया सहित कई गांवों को सिंचाई सुविधा मिलती थी।

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Chhitoli Dam
पानी की आवक के अभाव में बदहाल छीतोली बांध की (मोरी) गेट।

विराटनगर उपखंड के दर्जनभर गांवों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने वाला छीतोली बांध इस बार भी रीता पड़ा है। वर्ष 1965 में निर्मित इस बांध की भराव क्षमता 22.06 फीट और चौड़ाई 861 घनमीटर है। वर्ष 1985 तक इसमें नियमित रूप से पानी की आवक होती थी, जिससे जयसिंहपुरा, सुरजपुरा, बहादुरपुरा, भगतपुरा, ठीकरिया सहित कई गांवों को सिंचाई सुविधा मिलती थी। लेकिन अब यह बांध खुद पानी को तरस रहा है। हालांकि मौसम विभाग के अनुसार इस बार अच्छी बारिश हुई है, फिर भी बांध में पानी नहीं पहुंच पाया। इसका मुख्य कारण बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण, मिट्टी भराव, छोटे-बड़े ऐनीकट और बादशाहपुरा के आसपास अवैध बजरी खनन है, जिससे पानी के प्राकृतिक रास्ते बाधित हो गए हैं।

बारिश का पानी बांध तक नहीं पहुंचा
बांध में पानी की आवक कुहाड़ा और विराटनगर परिक्षेत्र की पहाड़ियों से होती थी, लेकिन अब रास्ते उबड़-खाबड़ हो गए हैं। भराव क्षेत्र में 1000 बीघा से अधिक जमीन पर अवैध रूप से फसलें बोई जा रही हैं, जिससे बारिश का पानी बांध तक नहीं पहुंच पाता। दिसंबर 2015 में प्रशासन ने 1200 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया था, लेकिन कुछ समय बाद फिर से अतिक्रमण शुरू हो गया। बांध से जुड़ी नहरें भी अब अनउपयोगी हो चुकी हैं और कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हैं, जिससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा। अन्य बांधों की स्थिति भी चिंताजनक है। वर्ष 1993 में निर्मित बहडोदा बांध (भराव क्षमता 17 फीट) और धूलकोट बांध (भराव क्षमता 11.04 फीट) भी पानी की आवक के इंतजार में सूखे पड़े हैं।

इनकी जुबानी…
-छीतोली के खरबूजी निवासी रामकरण गुर्जर ने बताया कि पहले कुहाडी और विराटनगर की आसपास की पहाडियों से बाध में पानी पहुंचता था। लेकिन अवैध बजरी खनन बाध में पानी की आवक प्रभावित रही है।
-स्थानीय पीर की गुणी की ढाणी निवासी बाबूलाल बलाई ने बताया कि छीतोली बाध से अण्डर ग्राउण्ड और पक्की नहर भी बनी हुई है। जिम्मेदार प्रशासन बांध पेटे को अतिक्रमण मुक्त कराए।
-छीतोली तालुकाबास निवासी सुण्डाराम गुर्जर ने बताया कि बादशाहपुरा के पास बांध के बहाव क्षेत्र में लोग अवैध खनन कर रहे हैं। इस पर रोक जरूरी है। इसके लिए सिंचाई विभाग को राजस्व विभाग से समन्वय बनाकर बांध के भराव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की पहल करनी चाहिए।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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