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ट्रोमा अस्पताल बने तो मरीजों को रैफर करने पर लगे ब्रेक

उप जिला स्तर पर सीटी स्कैन, एमआरआई, रेडियोलोजिस्ट, कार्डियोलोजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट के अभाव में उच्च स्तरीय जांच व चिकित्सा सुविधा के अभाव में सड़क हादसे में घायलों को तुरंत जयपुर रैफर कर दिया जाता है। प्रतिमाह 40 से 50 मरीज जयपुर रैफर किए जा रहे हैं।

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trauma hospital
फाइल फोटो

जयपुर जिले के शाहपुरा में ट्रोमा सेंटर व अस्पताल भवन के लिए विभाग अभी तक जमीन आवंटन भी नहीं करवाया पाया है। अगर यहां पर ट्रोमा अस्पताल बन जाए तो मरीजों को शाहपुरा टू जयपुर रेफर पर ब्रेक लग सकते हैं। उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा नहीं होने से सड़क हादसे में प्रतिमाह करीब 50 घायलों को जयपुर रैफर किया जा रहा है।तत्कालीन विधायक आलोक बेनीवाल की अनुशंसा पर वर्ष 2023 के बजट सत्र में शाहपुरा में ट्रोमा सेंटर निर्माण की घोषणा की थी।

उस समय विभाग ने ट्रोमा सेंटर के लिए पद, भवन व उपकरण खरीदने के लिए बजट भी स्वीकृत कर दिया था, लेकिन सरकार के बदल जाने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। क्षेत्र के लोगों की ओर से ट्रोमा सेंटर की लगातार मांग उठाई गई। चिकित्सा विभाग ने मामले में सुध लेते हुए ट्रोमा सेंटर व अस्पताल भवन निर्माण के लिए बजट स्वीकृत किया गया। बिदारा में आरटीओ कार्यालय के समीप भामाशाह की ओर से दी गई जमीन पर भवन निर्माण के लिए जून माह में विभाग ने 30.42 करोड़ के टेंडर जारी कर दिए हैं, लेकिन बाद में विभाग ने टेंडर निरस्त कर दिए।

अब तक भी तलाश नहीं कर पाए जमीन
जानकार सूत्रों की मानें तो बिदारा आरटीओ कार्यालय के समीप भामाशाह की ओर से दी गई जमीन को ट्रोमा सेंटर व अस्पताल भवन निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं माना गया। जिसके चलते टेंडर निरस्त कर दिया गया। लेकिन विभाग अभी तक जमीन की तलाश नहीं कर पाया कि ट्रोमा सेंटर कहां पर बनेगा। जो लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

ट्रोमा सेंटर बने तो मिले जयपुर रैफर से छुटकारा
शहर के राजकीय उप जिला अस्पताल में वैसे तो लंबे समय से ट्रोमा सेंटर का संचालन किया जा रहा है, जिसमें सुविधाएं सीएचसी स्तर की है। उप जिला स्तर पर सीटी स्कैन, एमआरआई, रेडियोलोजिस्ट, कार्डियोलोजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट के अभाव में उच्च स्तरीय जांच व चिकित्सा सुविधा के अभाव में सड़क हादसे में घायलों को तुरंत जयपुर रैफर कर दिया जाता है। प्रतिमाह 40 से 50 मरीज जयपुर रैफर किए जा रहे हैं। दूरी अधिक होने पर घायल को जयपुर पहुंचने में करीब डेढ़ से दो घंटे लग जाते हैं। त्वरित उपचार के अभाव में कई बार घायल बीच रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। अत्याधुनिक सुविधा से सुसज्जित ट्रोमा सेंटर बनने के बाद रैफर टू जयपुर पर ब्रेक लग सकेंगे और यहीं पर घायलों को त्वरित उपचार मिल सकेगा।

पिछले 4 साल में जयपुर रैफर किए मरीज
वर्ष-हादसे-रैफर
2021-1251-247
2022-1468-302
2023-1662-318
2024-1801-405

इनका कहना है…
ट्रोमा सेंटर व अस्पताल भवन निर्माण को लेकर प्रक्रिया चल रही है। शीघ्र ही जमीन का आवंटन होने की संभावना है। भवन बनने के लिए मरीजों के लिए सुविधाओं में विस्तार हो सकेगा।
-डाॅ.विनोद योगी, पीएमओ शाहपुरा

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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