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ऑनलाइन ऑर्डर, ऑफलाइन जहर! ई-कॉमर्स की आड़ में युवाओं पर नशे का कहर, ड्रग्स माफिया फैला रहे नशीली दवाओं का जाल…

E-commerce Drug Racket: अब ड्रग्स माफिया ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन डिलीवरी नेटवर्क का इस्तेमाल कर नशीली दवाओं की सप्लाई कर रहे हैं।

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ई-कॉमर्स की आड़ में युवाओं पर नशे का कहर(photo-AI)
ई-कॉमर्स की आड़ में युवाओं पर नशे का कहर(photo-AI)

E-commerce Drug Racket: छत्तीसगढ़ के भलाई जिले में देश में ई-कॉमर्स के तेजी से विस्तार के साथ अपराध के नए और खतरनाक तरीके सामने आ रहे हैं। अब ड्रग्स माफिया ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन डिलीवरी नेटवर्क का इस्तेमाल कर नशीली दवाओं की सप्लाई कर रहे हैं। पारंपरिक तस्करी की तुलना में ऑनलाइन माध्यम से अपराधियों को छिपने और बच निकलने के ज्यादा अवसर मिल रहे हैं, जिससे यह ट्रेंड कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है।

जांच में सामने आया है कि ई-कॉमर्स के जरिए बड़ी मात्रा में नशीली दवाएं मंगाकर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में खपाई जा रही हैं। दुर्ग पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। इसके साथ, संबंधित दवा कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। कंपनियों के जवाब का अवलोकन किया जा रहा है और जांच के बाद ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी कार्रवाई की तैयारी है।

E-commerce Drug Racket: हेल्थ सप्लीमेंट के पैक में भेजी जा रहीं नशीली दवाएं

पुलिस के अनुसार, ड्रग्स माफिया फर्जी नाम और पते से ऑनलाइन ऑर्डर बुक कराते हैं। नशीली गोलियां, सिरप और प्रतिबंधित दवाएं सामान्य दवाओं, हेल्थ सप्लीमेंट या हर्बल प्रोडक्ट बताकर पैक की जाती हैं, ताकि शुरुआती जांच में शक न हो। डिलीवरी एजेंट को भी अक्सर पार्सल की वास्तविक सामग्री की जानकारी नहीं होती। दुर्ग पुलिस ने ऐसे चार मामलों में बड़ी कार्रवाई करते हुए नशीली दवाएं जब्त की हैं।

ई-कॉमर्स से बढ़ रहा अपराध का दायरा

चिंताजनक पहलू यह भी है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से चाकू, धारदार हथियार और अन्य खतरनाक सामान भी आसानी से मंगाया जा रहा है। कुछ प्लेटफॉर्म पर आयु सत्यापन और खरीदार की पृष्ठभूमि जांच कमजोर है, जिसका फायदा असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। इससे अपराध बढऩे की आशंका गहरी हो गई है।

नियमों में खामियां बनीं अपराधियों की ढाल

  • मौजूदा नियमों में कई लूपहोल मौजूद हैं। विक्रेता और खरीदार की केवाईसी पूरी तरह सख्त नहीं
  • पार्सल की गोपनीयता के कारण हर खेप की जांच संभव नहीं
  • ड्रग्स कंट्रोल और साइबर क्राइम कानूनों के बीच समन्वय की कमी
  • यही कारण है कि अपराधियों पर शिकंजा कसने में कठिनाई आ रही है।

ई-कॉमर्स के जरिए सीधे दवा कंपनियों से मंगाई गई नशीली दवाएं

केस 1

पद्मनाभपुर थाना अपराध क्रमांक 326/25 में बोरसी निवासी वैभव खंडेलवाल समेत 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। 85 हजार 352 रुपए की नशीली दवाएं जब्त की गईं। आरोपी एक फार्मा कंपनियों से नशीली दवाएं मंगवाता था।

केस 2

मोहन नगर थाना अपराध क्रमांक 520/23 में शंकर नगर निवासी आकांक्षा खंडेलवाल समेत तीन आरोपी गिरफ्तार किया गया। राजस्थान की फार्मा कंपनी से ऑनलाइन नशीली दवाएं मंगाई गई थीं। कंपनी को नोटिस जारी।

केस 3

दुर्ग कोतवाली थाना अपराध क्रमांक 157/24 में रुस्तम नेताम समेत सात आरोपी गिरफ्तार किए गए। आरोपियों ने जबलपुर की एक मेडिकल एजेंसी से नशीली दवाएं मंगाई थीं। एजेंसी को नोटिस जारी किया गया।

  1. पुलिस और एजेंसियां अब साइबर सर्विलांस, डेटा एनालिटिक्स और संदिग्ध ट्रांजैक्शन की निगरानी बढ़ा रही हैं।
  2. ई-कॉमर्स कंपनियों की जवाबदेही तय करना, सख्त केवाईसी, और कानून में संशोधन ही इस खतरे पर प्रभावी रोक लगा सकते हैं।
  3. सरकार पहले से ही ई-फार्मेसी नियम, ऑनलाइन प्रिस्क्रिप्शन वेरिफिकेशन और सेंट्रल ट्रैकिंग सिस्टम पर काम कर रही है। भविष्य में सप्लाई चेन और बल्क सेलर्स की जिम्मेदारी और सख्त हो सकती है।

एनडीपीएस मामलों के विशेष लोक अभियोजक

विजय अग्रवाल एसएसपी ने कहा की ई-कॉमर्स के जरिए नशीली दवाएं और धारदार वस्तुएं मंगाई जा रही हैं। पुलिस ऐसे मामलों में लगातार कार्रवाई कर रही है। गैरकानूनी सप्लाई करने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। अपराध की दुनिया में ई-कॉमर्स एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है, लेकिन पुलिस सख्ती से कार्रवाई करेगी।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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