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डीपीआर बनाने में लाखों किए खर्च, फिर भी जलभराव का नहीं मिला समाधान

सीएम और केंद्रीय मंत्रियों तक पहुंचा मामला लेकिन अभी निस्तारण का इंतजार

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भिवाड़ी. अलवर बायपाय और उद्योग क्षेत्र के विभिन्न आवासीय एवं औद्योगिक भाग में जलभराव के समाधान के लिए तीन साल पहले 70 लाख रूपये से डीपीआर तैयार कराई गई। अब उस डीपीआर के अनुसार काम नहीं करके। जल संसाधन विभाग डीपीआर तैयार कर रहा है। इसके साथ ही कई अन्य प्रस्ताव भी तैयार किए गए, जिसके लिए बीडा अभियंताओं ने तकनीकि कार्य किया लेकिन जलभराव दूर करने के लिए उचित रास्ता नहीं मिला है। भिवाड़ी में बारिश और घरों-कारखानों से निकलने वाले पानी का प्राकृतिक बहाव हरियाणा की ओर है। खिजूरीबास टोल और खोरी बैरियर से होकर बारिश का पानी पहले धारूहेड़ा होते हुए साहबी नदी में जाता था। नालों का बहाव भी धारूहेड़ा की तरफ है। धारूहेड़ा में आगे समूचित निकास व्यवस्था नहीं होने से पानी बीच में ही भरने लगा। धारूहेड़ा प्रशासन ने जल निकासी की पुख्ता व्यवस्था करने के बजाय हाईवे पर चार फीट ऊंचा रैम्प बना डाला। इसके बाद से उद्योग नगरी भिवाड़ी जलभराव की समस्या से जूझ रही है। हालांकि मामले में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्य सचिव तक बैठकें ले चुके हैं। इसके बावजूद समस्या का हल नहीं निकला है। बता दें कि भिवाड़ी के लाखों बाशिंदों सहित यहां से रोजाना बड़ी संख्या में गुजरने वाले वाहन चालकों व राहगीरों को जलभराव की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। रेवाड़ी-पलवल हाईवे पर रैम्प से यातायात बाधित हो रहा है। बारिश होने पर यहां चार से पांच फीट पानी भर जाता है। बारिश का पानी बायपास के बाजार और आवासीय क्षेत्र में ना घुसे, इसके लिए भिवाड़ी प्रशासन को अलवर-भिवाड़ी मेगा हाईवे पर मिट्टी की दीवार लगानी पड़ी है। इससे एक तरफ नेशनल हाईवे तो दूसरी ओर मेगा हाईवे की कनेक्टिविटी कट गई है। वाहन चालकों को लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। भिवाड़ी में नालों के पानी को पंप के जरिए थड़ा नाला और खुशखेड़ा में फेंका जा रहा है। नालों के बहाव को रास्ते में कई जगह रोका गया है। इसके बावजूद कुछ पानी ओवरफ्लो होकर धारूहेड़ा तिराहे पर पहुंच रहा है। इधर, हरियाणा के भी कई गांवों और श्रमिक कॉलोनियों के नालों का पानी धारूहेड़ा तिराहे पर एकत्र होता है।
भिवाड़ी की जलभराव समस्या दूर करने के लिए 355 करोड़ की डीपीआर अक्टूबर, 2024 में मंजूर हुई। प्रोजेक्ट तीन चरण में पूरा होना था। 55 करोड़ रीको को देना था, शेष 305 करोड़ रुपए का इंतजाम सरकार को करना था। दूसरे प्रोजेक्ट में बायपास तिराहे से मसानी बैराज तक पानी ले जाना था। इसमें छह किमी भूमिगत लाइन बिछनी थी, जिसमें करीब 150 से 200 करोड़ की लागत अनुमानित है। तीसरे प्रोजेक्ट में बायपास से पानी को पंपिंग कर झिबाना बांध में छोड़ा जाना था। बांध से निकला नाला थड़ा होते हुए साहबी नदी तक जाता है। नाला छह किमी लंबा है। इस प्रोजेक्ट पर करीब 30 करोड़ की लागत का अनुमान था। चौथे प्रोजेक्ट में ग्वाल्दा के पास बीडा की 60 हेक्टेयर भूमि में पानी छोड़ा जाना था। जिसकी दूरी करीब 21 किमी थी। इसे लेकर फिजिबिलिटी रिपोर्ट ठीक नहीं मिली, जिसकी वजह से प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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