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रेलवे के खटारा पुराने कोच बदलेंगे, दिसंबर तक आरकेएमपी भोपाल से चमचमाते कोच में शुरु होगी यात्रा

रेलवे के खटारा पुराने कोच बदलेंगे, दिसंबर तक आरकेएमपी भोपाल से चमचमाते कोच में शुरु होगी यात्रा निशातपुरा कोच फैक्टी में बनाए जा रहे विदेशी तकनीक आधारित रेल कोच एलएचबी श्रेणी के कोच मंडल की सभी ट्रेनों में लगाने की तैयारी आधुनिक एलईडी लाइटिंग, वॉश बेसिन के साथ सेंसर प्रणाली

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ट्रेन के पुराने नीले रंग के जर्जर एवं कंडम डिब्बे जल्द ही बदल दिए जाएंगे। इनके स्थान पर जर्मन तकनीक पर बनने वाले लिंक हॉफमैन बुश यानी एलएचबी कोच को लगाया जाएगा। अगले 1 साल के अंदर भोपाल रेल मंडल के सभी पुराने कोच को बदलने की योजना है। रेल मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए मंडल को यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए 114 करोड़ का बजट स्वीकृत किया है। इस राशि का इस्तेमाल रेलवे के डिब्बों को आधुनिक बनाने के लिए किया जा रहा है। भोपाल की निशातपुरा कोच फैक्ट्री में एलएचबी श्रेणी के रेलवे कोच तैयार किए जा रहे हैं। निशातपुरा फैक्ट्री में प्रतिदिन फिलहाल तैयार होने वाले कुछ की संख्या काफी कम है। इस संख्या को प्रतिदिन 5 तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के स्टेशनों को चमकाने के लिए 13607 करोड रुपए का बजट आवंटित किया है। भोपाल रेल मंडल के 15 स्टेशनों को डेवलपमेंट प्रोजेक्ट से जोड़ने के लिए अलग से फंड स्वीकृत किया गया है।

अमरकंटक एस्क्सप्रेस में प्रयोग
इस ट्रेन को जर्मन तकनीकी के अनेक खूबियों वाले एलएचबी (लिंक हफमन बुश) कोचों से चलाया जाएगा। इस ट्रेन में वर्तमान में अनारक्षित कोचों की 17 बोगियों में 1224 यात्रियों के लिए बर्थ की व्यवस्था थी, जो कि अब बढ़कर 1280 हो जाएगी। नये कोचों से एसी- टू टायर के कोचों में 8 बर्थ, एसी- थ्री टायर के तीन कोचों में 24 तथा दिव्तीय श्रेणी के शयनयान कोचों में 936 बर्थ के स्थान पर 960 बर्थ की सुविधा सहित कुल 56 बर्थ की वृद्धि हो जाएगी। इससे यात्रियों को राहत मिलेगी।

नए कोचों की ये खासियत

एलएचबी कोच आधुनिक तकनीक पर आधारित हैं। पुराने कोच के मुकाबले नए कोच का वजन काफी कम है इसलिए इन डिब्बों के साथ ट्रेनें पहले के मुकाबले तेज गति से दौड़ सकेगी। सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से भी नए कोच काफी बेहतर है। एलएचबी कोच ज्यादा लंबे होते हैं. इसके स्लीपर में 80 सीट और थर्ड एसी कोच में 72 सीट होती हैं। एलएचबी कोच स्टेनलेस स्टील से बनी हुई होती है इसलिए हल्की होती है. इसका वजन पुराने कोच के मुकाबले करीब 10 फीसदी कम होता है।

ब्रेक का किया गया इस्तेमाल
एलएचबी कोच में ब्रेक का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए ये बेहद कम दूरी में रुक जाती है। इसमें ब्रेक लगाने पर 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार में चल रही ट्रेन 1200 मीटर के अंदर रुक जाती है। एलएचबी कोच का सस्पेंशन हाइड्रोलिक होता है, इसलिए ये कम शोर करता है। साथ ही इसमें साइड सस्पेंशन भी होता जो यात्रियों को झटकों को महसूस नहीं होने देता है। इससे यात्रियों को भी ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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