AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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कमला नगर थाना क्षेत्र में 8 वर्षीय मासूम से दुष्कर्म, अप्राकृतिक कृत्य और हत्या करने वाले विष्णु भमौरे को जब अदालत ने दोहरे मृत्युदंड की सजा सुनाई उस समय कोर्र्ट रूम में मासूम की मां-बहन भी मौजूद थीं। सजा के बाद मासूम की मां और बहन कोर्ट रूम में रो पड़ी। मां बोली अब दिल को सुकून मिला है।
जज ने भी अपने फैसले में लिखा है कि मासूम से ज्यादती के बाद हत्या कर लाश को नाले में फैंका गया है। मेडिकल रिपोर्ट में मासूम के पूरे शरीर पर चोट के निशान पाए गए हैं। घिनौने और जघन्य कृत्य से आरोपी की मानसिकता का अन्दाजा लगाया जा सकता है। ऐसा घिनौना कृत्य करने वाले में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती। ऐसे अपराधिक- वीभत्स कृत्य करने वालों को अधिकतम सजा से दण्डित किया जाना जरूरी है।
कोर्ट रूम के बाहर फैसले के दौरान काफी गहमा गहमी रही। मासूम के अन्य परिजन, रिश्तेदार, पड़ोसी कोर्ट रूम के बाहर बेसब्री से फैसले का इंतजार कर रहे थे।
मजबूती से रखा अभियेाजन का पक्ष
आरोप तय होने के बाद जिला अभियोजन अधिकारी राजेन्द्र उपाध्याय के मार्ग दर्शन में अभियोजन का पक्ष रखने के लिए सरकारी वकीलों की टीम का गठन किया गया। विशेष लोक अभियोजक टीपी गौतम, मनीषा पटेल लोकेन्द्र दिवेदी को नियुक्त किया गया। पुलिस ने मामले में 40 गवाह बनाए थे।
चालान का परीक्षण करने के बाद 22 महत्वपूर्ण गवाहों को चिन्हित कर बयान दर्ज कराए गए। गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए पुलिस को ताकीद दी गई। अदालत में लगभग प्रत्येक कार्य दिवस में मामले की सुनवाई हुई। गवाही के बाद अभियोजन ने वीभत्स कृत्य के लिए सर्वोच्च सजा की मांग की।
पुलिस ने भी दिखाई तेजी
आमतौर पर पुलिस की सबसे कमजोर कड़ी मानी जाती है-विवेचना। लचर तफ्तीश, साक्ष्यों की कमी के कारण बड़े-बड़े मुल्जिम (अपराधी) आसानी से छूट जाते हैं। वहीं, कमला नगर में मासूम के साथ हैवानियत के बाद हत्या की विवेचना, आरोपी की गिरफ्तारी के 48 घंटे के अंदर भोपाल पुलिस का पहली बार चालान पेश करने को कानून के हर जानकार ने सराहा है।
एक-एक साक्ष्य पुलिस ने इस तरह जोड़ा कि दोषी किसी तरह से बचकर निकल न पाए। आरोपी विष्णु की गिरफ्तारी से लेकर सजा दिलाने तक इन पुलिस अधिकारियों की बड़ी भूमिका रही है। आईजी योगेश देशमुख घटना स्थल पहुंचे। वैज्ञानिक आधार, सबूत जुटाने से लेकर चालान पेश करने तक मॉनिटरिंग करते रहे।
वहीं, डीआईजी इरशाद वली ने केस डायरी की गहनता से जांच की। डायरी किस तरह लिखी गई उसके अनुरूप सबूतों को परखा। सजा मिलने तक वह केस की मानिटंरिंग करते रहे। एएसपी अखिल पटेल ने मुकदमा-गवाहों के बयान लिखने में कोई त्रुटि नहीं हो इस पर मुख्य फोकस रखा। क्राइम सीन का उन्होंने कई बार निरीक्षण किया।
फांसी का छठवां फैसला
जिला अदालत में फांसी का यह छठा मामला है। इसके पूर्व पिछले साल जज कुमुदिनी पटेल ने कोहेफिजा थाना अन्तर्गत मासूम बेटी से ज्यादती कर जघन्य हत्या करने वाले मोहम्मद अफजल को फांसी की सजा सुनाई थी। वहीं पूर्व में
टीटी नगर क्षेत्र में पांच साल की मासूम का अपहरण कर ज्यादती और निर्मम हत्या करने वाले दुष्कर्मी दिलीप बनकर को फांसी की सजा सुनाई गई थी। टीलाजमालपुरा क्षेत्र में ईद के दिन पड़ोसी के घर में नौ लोगो को जलाने के मामले में नाना उर्फ फारूख को फांसी की सजा सुनाई थी।
हनुमानगंज थाना क्षेंत्र के न्यूकबाडख़ाना क्षेत्र में पत् िन और दो बेटियो की निर्मम हत्याकरने वाले मोहम्मद शफीक उर्फ मुन्ना को फांसी की सजा सुनाई थी। गृहमंत्री के बंगले के पास आठ बर्षीय मासूम का बहला-फुसला कर अपहरण ,ज्यादती करने के बाद कन्नी से गला काटकर हत्या करने वाले नंदकिशोर तामोली को अदालत ने सजा ए मौत की सजा सुनाई थी।
जीआरपी लाईन हबीबगंज में रहने वाली सोलह बर्षीय नाबालिग छात्रा का ज्यादती की नीयत से अपहरण, ज्यादती के बाद गरदन मरोड़ कर हत्या करने वाले मोहम्मद मुस्तफा को अदालत ने सजा ए मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि इनमें से किसी को भी अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है। मामलों में आरोपियों ने अपर कोर्ट में अपील लगा रखी है।
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Published on:
12 Jul 2019 07:52 am


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