AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Saurabh Sharma Case: सौरभ शर्मा केस 2025 में सालभर छापों, गिरफ्तारियों, जमानत याचिकाओं और हाईकोर्ट-ईडी, लोकायुक्त की कार्रवाईयों की वजह से लगातार सुर्खियों में रहा। साल के अंत तक भी न सौरभ और न ही उसके सहयोगी कोई भी जेल से बाहर नहीं आ सका है। यह पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा का ये केस काली कमाई, मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी नियुक्ति जैसे एंगल के कारण पूरे मध्य प्रदेश की सबसे हाई‑वॉल्टेज कहानियों में से एक बना रहा। 2025 जाने को है, ऐसे में ये जानना महत्वपूर्ण होगा कि आखिर क्या था ये मामला, कैसे हुआ था पर्दाफाश… कौन-कौन है आरोपी… 10 जनवरी को किसका फैसला आना है… क्या फिर आएगा कोई बड़ा ट्विस्ट?
दिसंबर 2024 में लोकायुक्त पुलिस को सौरभ शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की गोपनीय शिकायत मिली। शिकायत में दावा किया गया था कि सौरभ परिवहन विभाग में रहते हुए वाहन पंजीयन, परमिट, फिटनेस और दलाली नेटवर्क के माध्यम से अवैध कमाई कर रहा है। जांच में जो सामने आया वो इनपुट चौंकाने वाले थे। क्योंकि सौरभ की घोषित आय और उसकी लाइफ-स्टाइल में जमीन-आसमान का फर्क था।
लोकायुक्त की टीम ने भोपाल में सौरभ शर्मा के घर और उससे जुड़े ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। रेड में करोड़ों की नकदी, भारी मात्रा में चांदी और संपत्ति के दस्तावेज मिले। लेकिन जांच यहीं नहीं रुकी। अधिकारियों को अंदेशा था कि असली खजाना अभी सामने नहीं आया है।

जांच के दौरान एक बड़ा मोड़ तब आया जब छापामारी की कार्वाई के दिन ही भोपाल में एक लावारिस इनोवा कार मिली। कार की जब तलाशी ली गई, तो पुलिस और लोकायुक्त अधिकारियों के होश उड़ गए। कार से अधिकारियों को 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए का कैश मिला था। जांच में सामने आया कि कार सीधे तौर पर सौरभ शर्मा के नेटवर्क से ही जुड़ी है। उसका रजिस्ट्रेशन उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर के नाम था। लेकिन कहानी अभी और बाकी थी।
छापामारी की कार्रवाई के बाद सौरभ शर्मा अचानक गायब हो गया। सूत्रों से जानकारी मिलती रही कि वह भोपाल, कभी इंदौर और उसके आसपास तो, कभी परिचितों के फॉर्म हाउस, कभी रिश्तेारों के यहां छिपा रहा। इस दौरान उसके पत्नी के साथ डांस करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर छाए रहे, जिन्हें दुबई का बताया गया। उसका मोबाइल बंद रहता था, वह दूसरों के नंबरों से अपनों से संपर्क करता था। उसे अंदेशा था कि अब ED भी केस में एंट्री करने वाली है। जांच में एजेंसियों ने सौरभ की डिजिटल लोकेशन, कॉल डिटेल्स और करीबी लोगों की निगरानी शुरू की।

लोकायुक्त ने या किसी भी जांच एजेंसी ने सौरभ को नहीं पकड़ा था। सौरभ खुद सरेंडर करने अपने वकील के साथ भोपाल कोर्ट पहुंचा था। दोपहर में जब सौरभ शर्मा वकील के साथ एडीजे आरपी मिश्रा की कोर्ट में पहुंचा। तब वकील ने कोर्ट को बताया था कि उन्हें जानकारी मिली है कि सौरभ लोकायुक्त के आय से अधिक संपत्ति के एक प्रकरण में फरार चल रहा है और वह अंडर इंवेस्टिगेशन है। वकील ने कहा कि केस से जुड़े तमाम डॉक्यूमेंट लोकायुक्त की टीम के पास है। तब कोर्ट ने प्रतिवेदन के साथ डायरी कॉल की। तब लोकायुक्त संगठन के विशेष लोक अभियोजक विवेक गौड़ को बुलाया गया। उनसे बातचीत के बाद मंगलवार सुबह डायरी सहित कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश भी दिए गए थे।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 27 दिसंबर को सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर, शरद जायसवाल, रोहित तिवारी के ठिकानों पर भी छापामारी की थी। सौरभ के परिजन और दोस्तों के खातों में 4 करोड़ का बैंक बैलेंस मिला। इसके अलावा 23 करोड़ की संपत्ति भी ED ने जांच के दायरे में ली थी।
यही नहीं भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर में की गई जांत में 6 करोड़ रुपए की FD भी ED के हाथ लगी थी। फर्मों और कंपनियों के जरिए किए गए निवेश का खुलासा भी हुआ था।

जनवरी के अंत में लोकायुक्त पुलिस ने 41 दिन चली जांच के बाद RTO के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया। इसके बाद उसकी इनसाइड स्टोरीज लगातार मीडिया का सुर्खियां बनीं।
मार्च में एक और बड़ा खुलासा सामने आया कि उसने compassionate ग्राउंड पर नौकरी पाने के लिए आय और हालात से जुड़े फर्जी दावे किए, जिस पर उसके और उसकी मां के खिलाफ धोखाधड़ी और झूठा हलफनामा देने का केस दर्ज हुआ। पिता की मौत पर गरीबी का झूठ, करोड़ों की प्रॉपर्टी छुपाकर ली थी उसने ये सरकारी नौकरी प्राप्त की थी।
अप्रैल की शुरुआत में लोकायुक्त वाले केस में कोर्ट ने सौरभ शर्मा को जमानत दे दी, लेकिन ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में उसे बेल नहीं मिली। वह जेल से बाहर नहीं आ सका।
-जुलाई के बाद लगातार सुनवाईयों के बीच, सितंबर में MP हाईकोर्ट ने ED केस में सौरभ शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी और कहा कि ED के पास मौजूद बयान और जब्त संपत्ति के दस्तावेज मनी लॉन्ड्रिंग के मजबूत संकेत देते हैं।
-31 अक्टूबर 2025 के एक आदेश में भी यह साफ नजर आया कि अदालतें अभी सौरभ को राहत देने के मूड में नहीं हैं और जांच एजेंसियों के हर प्वॉइंट को गंभीरता से ले रही हैं।

-दिसंबर 2024 में शुरू हुई कार्रवाई के तहत ED ने ग्वालियर समेत कई शहरों में 13 घंटे से ज्यादा लंबी तलाशी ली, जिसमें डायरी और कथित ब्लैक मनी से जुड़े अहम दस्तावेज बरामद हुए, इन्हीं दस्तावेजों पर पूरे 2025 में कार्रवाई और सुनवाई टिकी रही।
-जांच में यह एंगल भी सामने आया कि यह सिर्फ एक आरक्षक का मामला नहीं है, बल्कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में 52 जिलों तक फैले कथित भ्रष्टाचार नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है। इस पर सियासी बयानबाजी और न्यायिक जांच की मांगों ने भी आग लगाई। 'एक आरक्षक या पूरा नेटवर्क? 52 जिलों तक फैले 'ट्रांसपोर्ट रैकेट' की डायरी का सच जानने कांग्रेस के जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार समेत कई नेता और कांग्रेस समर्थकों ने लगातार आवाज उठाई। भाजपा और पार्टी के दिग्गज नेताओं पर निशाना साधा।

अब सियासत से दूर ये मामला कोर्ट में है... लगातार सुनवाई हो रही है। जांचें जारी हैं। चर्चा यह भी की जाती है कि कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। फिलहाल 10 जनवरी को लेकर मामला एक बार फिर सुर्खियों में है, जब सौरभ शर्मा के आरोप मुक्ति के आवेदन मामले पर फैसला होगा। सोमवार 22 दिसंबर को इस मामले में सुनवाई हुई है और कोर्ट ने आदेश को सुरक्षित रख 10 जनवरी को फैसला सुनाने को कहा है। आगे देखना बाकी है क्या इस मामले में अभी और राज खुलेंगे? क्या वाकई बड़े नाम एमपी के इस केस का हिस्सा बनेंगे? 2026 में क्या आएगा नया ट्विस्ट...?
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
23 Dec 2025 04:54 pm
Published on:
23 Dec 2025 04:47 pm


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