AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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घरों में कई बार औषधीय पदार्थों को खुले में धूप में रखकर सुखाया जाता था। इस प्रक्रिया के दौरान समय भी अधिक लगता है साथ ही शुद्धता भी नहीं रहती है। ऐसे में बीकानेर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नयाशहर भीमनगर के विद्यार्थी विष्णु विश्नोई और गोपाल स्वामी ने राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक दीपक जोशी के मार्गदर्शन में हाईटेक डोमेस्टिक आयुर्वेद हर्बस ड्रायर मशीन तैयार की है। ये मशीन आयुर्वेदिक पदार्थों को सुखाने और उन पर कीटाणुओं को मारने तथा नष्ट करने का कार्य करती है। ताकि उनसे शुद्ध आयुर्वेदिक औषधि तैयार की जा सके। इस मशीन को तैयार करने में सोलर प्लेट का भी उपयोग किया गया है, जिससे बिना बिजली के ही इसका उपयोग आसानी से किया जा सकेगा। सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों की ओर से तैयार इस मशीन को युवा महोत्सव में जिला स्तरीय पुरस्कार भी मिला था।
ऐसे आया आइडिया
विद्यार्थियों के अनुसार, वे ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं, जहां कुछ जड़ी-बूटियां को खुले में धूप में रखकर सुखाया जाता था, जिसमें समय भी अधिक लगता साथ ही शुद्धता और कीटाणुनाशन प्रक्रिया भी अच्छे से पूर्ण नहीं होती। विशेषकर ठंडे व नमीयुक्त मौसम में और मेहनत भी ज्यादा लगती। तब इन्हें ऐसी मशीन जिससे कम मेहनत में कम समय में प्रभावी तरीके से जड़ी-बूटियों को सुखाया जा सके व कीटाणुओं को नष्ट किया जा सके का विचार आया। फिर शिक्षक जोशी के सहयोग से इसको तैयार करने का निर्णय लिया।
ऐसे होता है मशीन का उपयोग
शिक्षक दीपक जोशी ने बताया कि इस मशीन में मुख्य रूप से सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। सूर्य की रोशनी में उपस्थित पराबैंगनी किरणें और अवरक्त किरणें इस कार्य में मुख्य भूमिका निभाती है। इस मशीन में लगे हीटिंग एलिमेंट और एग्जॉस्ट फैन ठंडे मौसम में भी इस मशीन के कार्य को प्रभावी रूप से चालू रखते हैं। इस मशीन में उच्च ताप पर कुछ घंटों में ही जड़ी-बूटियां सुखाई जा सकती है। साथ ही उन पर स्थित अधिकांश कीटाणुओं को नष्ट किया का सकता है। मशीन में मिक्सर और स्टायरर होता है, जो जड़ी-बूटियों को आवश्यकतानुसार मिलाकर मशीन के कार्य को प्रभावी करता है। ताकि जड़ी बूटियों के हर हिस्से तक गर्म हवा पहुंच सके। सामान्यतः इस प्रक्रिया में 2-3 घंटे लगते हैं।
करीब 15 हजार का खर्च, इन चीजों का उपयोग
डोमेस्टिक आयुर्वेद हर्बस ड्रायर मशीन को तैयार करने में करीब 15 हजार रुपए का खर्च आया। इसमें हीटिंग एलिमेंट, एग्जॉस्ट फैन, 12 वोल्ट बैटरी, 100 वाट की सोलर प्लेट, लकड़ी का बॉक्स, जाली, तापमान नियंत्रक, पहिए, स्टैंड सहित अन्य सामानों का उपयोग किया गया है। इसको तैयार करने में विद्यार्थियों को करीब तीन से चार महीने का समय लगा। विद्यार्थियों ने बताया कि आने वाले समय में पेटेंट के लिए भी आवेदन किया जाएगा।
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Published on:
16 Dec 2025 06:43 pm


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