AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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बीकानेर. सुजानदेसर स्थित मां काली मंदिर वर्षों से लोक आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां विराजमान मां काली का स्वरूप भक्तों को मनमोहक भी लगता है और अद्भुत भी। तकरीबन 11 फीट ऊंची और करीब 9 फीट चौड़ी त्रिनेत्री, चतुर्भुजी काली माता की मूर्ति बीकानेर संभाग में सबसे विशाल मानी जाती है। भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली मां का यह मंदिर सालभर दर्शन-पूजन से गुलजार रहता है।
त्रिनेत्री व चतुर्भुजी स्वरूप
काली माता मंदिर ट्रस्ट के लक्ष्मीनारायण गहलोत बताते हैं कि मां की मूर्ति में चार भुजाएं हैं। हाथों में त्रिशूल, खड़ग और नरमुंड है, जबकि एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। सिर पर मुकुट, पारंपरिक आभूषण और बाहर निकली जिह्वा मां के भव्य स्वरूप को और प्रभावशाली बनाते हैं। मंदिर परिसर में हनुमान, शिव, भैरु, राम-सीता, राधा-कृष्ण समेत नव देवियों की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
भव्य पोशाक और ध्वज की मान्यता
मूर्ति की पारंपरिक पोशाक लगभग 14 मीटर कपड़े से तैयार होती है। पुजारी ताराचंद गहलोत के अनुसार, भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर पोशाक अर्पित करते हैं। मंदिर के गुंबद पर ध्वजा चढ़ाने और श्रीफल बांधने की परंपरा भी आस्था से जुड़ी है।
नवरात्र में विशेष आयोजन
सालभर दर्शन-पूजन का क्रम चलता रहता है, लेकिन नवरात्र के दौरान मंदिर का माहौल विशेष हो जाता है। नित्य चार बार आरती और दो बार भोग अर्पित होता है। हलुआ, लापसी, चूरमा जैसे विशेष भोग चढ़ाए जाते हैं। महाआरती और भव्य शृंगार में मां का दरबार भक्तों से खचाखच भर जाता है।
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Published on:
27 Sept 2025 11:03 pm


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