AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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विद्यार्थियों की हाजिरी लेने में अक्सर कई मिनट लग जाते हैं, जिससे कक्षा की शुरुआत में देरी हो जाती है और पढ़ाई पर असर पड़ता है। इस समस्या का हल अब बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने खोज लिया है। कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों ने एक एआई आधारित अटेंडेंस सिस्टम तैयार किया है, जो न सिर्फ हाजिरी के समय की बचत करेगा, बल्कि मानवीय त्रुटियों को भी कम करेगा। इस नई प्रणाली के तहत अब किसी भी प्रोफेसर को कक्षा में उपस्थित छात्रों की हाजिरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। एआई मॉडल खुद ही छात्रों की उपस्थिति दर्ज करेगा और इसे सर्वर पर भेज देगा। इसके बाद, हर छात्र की उपस्थिति का डेटा एक एक्सल शीट में ऑटोमेटिकली तैयार कर दिया जाएगा। परीक्षाओं के समय भी कोई उपस्थिति से जुड़ी समस्या नहीं होगी। कुल मिलाकर, इस सिस्टम की मदद से कक्षा में हाजिरी का कार्य बहुत तेज और प्रभावी तरीके से संपन्न होगा, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई का समय बर्बाद नहीं होगा।
क्या खास है इस सिस्टम में
इस प्रणाली में रास्पबेरी पाई (एक छोटा कंप्यूटर प्रोसेसर) का उपयोग किया गया है। इस सिस्टम को बनाने के लिए मशीन लर्निंग और कंप्यूटर विजन तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। कोडिंग के जरिए सभी विद्यार्थियों की फोटो और रोल नंबर की रिपोर्ट अपलोड की जाती है। फिर, पाइथन कोड के माध्यम से मॉडल तैयार किया जाता है, जो छात्रों की हाजिरी अपने आप ले लेता है।
ऐसे करेगा काम
सिस्टम सबसे पहले क्लास का फोटो क्लिक करेगा, फिर उसे सर्वर पर भेजेगा। फोटो की पहचान करने के बाद यह छात्रों की हाजिरी को ऑटोमेटिकली अपडेट कर देगा। सभी डेटा को क्लाउड स्टोर किया जाएगा और इसे वाई-फाई के माध्यम से सर्वर से जोड़ा जाएगा। इसके अतिरिक्त, एक पावर बैंक भी लगाया गया है, ताकि बिजली की बिना समस्या के सिस्टम चलता रहे।
विद्यार्थियों ने साझा किया आर्थिक भार
यह एआई आधारित प्रोजेक्ट करीब 8,000 रुपये की लागत से तैयार हुआ है, जो सभी विद्यार्थियों ने मिलकर वहन किया है। आने वाले समय में यह सिस्टम कॉलेजों और स्कूलों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है, खासकर जब विद्यार्थी अधिक हों और हाजिरी लेना चुनौतीपूर्ण हो।
यह बोले कुलगरु…
कुलगुरु प्रो. अखिल रंजन गर्ग के अनुसार, इस प्रणाली से विश्वविद्यालय को लाभ होगा और भविष्य में इसे और भी अपग्रेड किया जाएगा। विभागाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह खंगारोत का कहना है कि यह प्रोजेक्ट उनके विभाग के विजन का हिस्सा है, जहां उनका उद्देश्य छात्रों को ’जॉब सीकर’ से ’प्रॉब्लम सॉल्वर’ बनाने का है।
इन विद्यार्थियों ने किया तैयार
पियूष लधड, रोहित पंचारिया, शुभम वर्मा, आलोक भटेश्वर, एकता वर्मा, योगेश स्वामी, वासु मिश्रा, धनजय राजपूत और रुद्राक्ष तिवारी।
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Published on:
21 Nov 2025 06:11 pm


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