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CG News: नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भ गिराने की अनुमति, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

CG News: बिलासपुर हाईकोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता को 25 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी है। शीतकालीन अवकाश के बावजूद विशेष अदालत में मामले की सुनवाई की गई..

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CG High Court, cg news
बिलासपुर हाई कोर्ट प्रतीकात्मक फोटो

CG News: दुष्कर्म पीडि़ता नाबालिग के गर्भपात की अनुमति से जुड़े संवेदनशील मामले में शीतकालीन अवकाश के बावजूद हाईकोर्ट ने विशेष संवेदनशीलता दिखाई। सोमवार को जस्टिस पी.पी. साहू की विशेष अदालत लगाकर मामले की सुनवाई की गई। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर रायपुर स्थित डॉ. बी.आर. अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल एवं पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिया है कि 23 दिसंबर को विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपस्थिति में पीडि़ता का गर्भपात कराया जाए। साथ ही भ्रूण का डीएनए सुरक्षित रखने के भी निर्देश दिए गए हैं।

CG News: 25 सप्ताह की गर्भवती पाई गई थी पीडि़ता

मामला रायपुर जिले की एक नाबालिग लड़की से जुड़ा है। परिजनों को तब संदेह हुआ जब बच्ची के पेट का आकार बढऩे लगा। पूछताछ पर नाबालिग ने बताया कि आरोपी ने शादी का झूठा आश्वासन देकर कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद परिजन उसे चिकित्सक के पास ले गए, जहां जांच में वह 25 सप्ताह की गर्भवती पाई गई।

अवकाश में भी लगी विशेष अदालत

मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए शीतकालीन अवकाश के बावजूद सोमवार को विशेष कोर्ट गठित कर सुनवाई की गई। जस्टिस पी.पी. साहू ने याचिका स्वीकार करते हुए गर्भपात की अनुमति प्रदान की।

कोर्ट ने की अहम टिप्पणी

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि, दुष्कर्म पीडि़ता यह आज़ादी और अधिकार मिलना चाहिए कि वह स्वयं तय करे कि वह गर्भावस्था जारी रखना चाहती है या उसे समाप्त करना चाहती है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की गर्भपात की अनुमति मांगने वाली याचिका स्वीकार की जाती है।

मेडिकल रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने लिया फैसला

पीडि़ता ने अपने अभिभावक के माध्यम से हाईकोर्ट में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने 19 दिसंबर को बीआर अंबेडकर अस्पताल और जेएनएम मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी कर मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि गर्भपात से पीडि़ता को कोई गंभीर चिकित्सकीय जोखिम नहीं है।

विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में होगा गर्भपात

अदालत ने निर्देश दिए कि पीडि़ता अस्पताल अधीक्षक, स्त्रीरोग विशेषज्ञ और संबंधित मेडिकल कॉलेज प्रशासन से संपर्क कर सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करे। गर्भपात की प्रक्रिया मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के प्रावधानों के तहत, दो पंजीकृत चिकित्सकों एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में कराई जाएगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य की जांच और ट्रायल को ध्यान में रखते हुए भ्रूण का डीएनए सैंपल सुरक्षित रखा जाए। पीडि़ता को 23 दिसंबर को अस्पताल में उपस्थित होकर गर्भपात कराने का निर्देश दिया गया है।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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