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बेटे के निधन के बाद भी जारी रखा काम, कैंसर पीड़ित वो एक्टर जिसने कभी नहीं मानी हार

Shiv Kumar Subramaniam: कैंसर के बावजूद नहीं छोड़ा जुनून, वो एक्टर जिसने कभी नहीं मानी हार। करता रहा काम… पढ़िए पूरी खबर।

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Shiv Kumar Subramaniam
एक्टर शिव कुमार सुब्रमण्यम (इमेज सोर्स: IMDb)

Shiv Kumar Subramaniam Struggle: मुश्किलों से जूझते हुए भी मुस्कुराते रहना सबके बस की बात नहीं, लेकिन शिव कुमार सुब्रमण्यम (Shiv Kumar Subramaniam) उन लोगों में से थे जो दर्द को अपनी ताकत बना लेते हैं। एक तरफ कैंसर की लंबी लड़ाई और दूसरी तरफ बेटे का निधन जैसी दिल दहला देने वाली त्रासदी, फिर भी उन्होंने ना काम छोड़ा और ना ही अपने सपनों से समझौता किया। भारतीय सिनेमा और टीवी जगत में अपनी प्रतिभा, निष्ठा और जुनून से उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी, जो हर कलाकार के लिए प्रेरणा बनी हुई है। शिव कुमार सुब्रमण्यम केवल एक अभिनेता या लेखक नहीं थे, वह जज्बे और जिद के प्रतीक थे, जो अंतिम सांस तक कैमरे और कहानियों से जुड़े रहे।

बता दें शिव कुमार सुब्रमण्यम (Shiv Kumar Subramaniam) का जन्म 23 दिसंबर 1959 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई पुणे में पूरी की। बचपन से ही उन्हें अभिनय और रचनात्मक कला का शौक था। थिएटर में काम करने के अनुभव ने उनके अभिनय को निखारा, जिससे बाद में उन्हें फिल्मों और टीवी की दुनिया में अलग पहचान मिली।

'परिंदा' से शुरू हुआ फिल्मी सफर

शिव कुमार सुब्रमण्यम (Shiv Kumar Subramaniam)ने अपना करियर 1989 में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘परिंदा’ से शुरू किया। वह इसके स्क्रीनप्ले लेखक और असिस्टेंट डायरेक्टर थे। यह फिल्म हिट हुई और उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। इसके बाद उन्होंने ‘1942: ए लव स्टोरी’, ‘चमेली’ और ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ जैसी फिल्मों की कहानियां लिखीं, जिनमें से ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ के लिए उन्हें बेस्ट स्टोरी का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। अभिनय में भी उन्होंने धमाल मचाया। ‘कमीने’, ‘तीन पत्ती’, ‘टू स्टेट्स’, ‘हिचकी’ और कई फिल्मों व टीवी शो में उनके किरदार लोगों के दिलों में बस गए।

बेटे का ब्रेन ट्यूमर से निधन

शिव कुमार सुब्रमण्यम (Shiv Kumar Subramaniam) की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ते हुए भी उन्होंने काम करना नहीं छोड़ा। यह उनकी मेहनत, जुनून और अपने काम के प्रति प्यार को दिखाता है। उनके साथ काम करने वाले लोग अक्सर कहते थे कि बीमारी के बावजूद उनका काम करने का उत्साह सबको प्रेरित करता था। उन्होंने साबित किया कि सच्चा कलाकार कभी हार नहीं मानता।

उनकी निजी जिंदगी में भी बहुत दुख था। साल 2022 में शिव कुमार को सबसे बड़ा झटका लगा, जब फरवरी में उनके बेटे का ब्रेन ट्यूमर से निधन हो गया। इतना बड़ा दुख झेलने के बाद भी उन्होंने काम जारी रखा। लेकिन उसी साल 10 अप्रैल 2022 को कैंसर से लड़ते-लड़ते शिव कुमार सुब्रमण्यम का निधन हो गया।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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