AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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US China Taiwan tension impact on markets: भारत का शेयर बाजार धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। अगले साल के लिए मार्केट का आउटकुल पॉजिटिव बना हुआ है। एक्स्पर्ट्स का मानना है कि 2026 बाजार के लिए अच्छा रह सकता है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामने आई एक खबर ने कुछ शंकाएं भी उत्पन्न की हैं। अमेरिका और चीन एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं, वजह है - ताइवान। यूएस ने ताइवान को 11 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी है, जिससे चीन आगबबूला हो गया है। ऐसे में दो महाशक्तियों के बीच टकराव बढ़ने के आसार हैं और यह भारतीय बाजार के लिए अच्छा नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम पर चीन ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि सैन्य सहायता ने ताइवान को बारूद के ढेर पर बैठाने वाला काम किया है। इससे अमेरिका और चीन के बीच टकराव का खतरा बढ़ गया है। चीन ने अमेरिका को चेतावनी देते कहा है कि ताइवान को हथियार देने के गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इससे पहले, चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि वह प्रशिक्षण और युद्ध की तैयारियों को तेज करना जारी रखेगा।
चीन, ताइवान के मुद्दे पर बेहद संवेदनशील है और किसी तीसरे देश की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करता। वह ताइवान को लगातार अपना बताता आया है। अमेरिका के ताइवान को हथियार मुहैया कराने के फैसले से यूएस-चाइना के बीच तनाव बढ़ना तय है। इसके साथ ही चीन और ताइवान के बीच हालात खतरनाक हो सकते हैं। दोनों ही स्थिति में भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इससे पहले जब अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर अपने चरम पर थी, तो भारत सहित वैश्विक बाजारों पर भी इसका असर पड़ा था। चीन और अमेरिका दुनिया की दो बड़ी आर्थिक महाशक्तियां हैं, इन दोनों का आपस में उलझना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सभी को प्रभावित करेगा।
वहीं, अगर चीन-ताइवान में युद्ध जैसे हालात बनते हैं, तो भारत के लिए एक और बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। भारत अपनी सेमीकंडक्टर चिप्स संबंधी जरूरतों के लिए ताइवान पर निर्भर है। ताइवान चिप निर्माण में एक ग्लोबल लीडर है। ऐसे में उसका संकट में फंसना, भारत सहित कई देशों को संकट में डाल सकता है। कोरोना महामारी के समय जब वैश्विक स्तर पर चिप की आपूर्ति प्रभावित हुई थी, तब भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर पर इसका सबसे अधिक असर पड़ा था। गाड़ियों का वेटिंग पीरियड बढ़ गया था। इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस छोटी-सी चिप का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट, गाड़ियां, स्मार्टफोन से लेकर कई जगह होता है।
अमेरिका-चीन और ताइवान के बीच हालात बिगड़ने का असर केवल इन तीनों तक ही सीमित नहीं रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, इस साल कुल वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका और चीन की हिस्सेदारी करीब 43% है। यदि दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ता है, तो उनकी विकास दर धीमी पड़ सकती है। इससे अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी नुकसान पहुंचेगा। ऐसे में भारत पर असर न पड़े यह कैसे संभव है। लिहाजा, अगर 2026 में स्थिति बिगड़ती है, तो भारतीय शेयर बाजार के पॉजिटिव आउटलुक में भी बदलाव संभव है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Updated on:
20 Dec 2025 12:48 pm
Published on:
20 Dec 2025 12:44 pm


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
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