AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

किसे पता था कि ऐसा भी वक्त आएगा कि कच्चे तेल की काली धार, चांदी की सफेद चमक के आगे फीकी पड़ जाएगी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतों ने कच्चे तेल की कीमतों को पीछे छोड़ दिया है. कॉमेक्स पर चांदी ने आज 64.192 डॉलर प्रति आउंस को छुआ है, जबकि कच्चा तेल (ब्रेंट क्रूड) 60 डॉलर प्रति बैरल पर है, WTI क्रूड तो इससे भी कम जो कि 57 डॉलर प्रति बैरल पर है.
ये कारनामा 1980 शुरुआती दौर के बाद पहली बार हुआ है, यानी तकरीबन 40-45 साल बाद. लेकिन चांदी की ये रफ्तार तो हाल फिलहाल की है, थोड़ा पीछे जाएं तो साल 2022 के दौरान चांदी की कीमतों में दबाव देखने को मिल रहा था और भाव 18-20 डॉलर प्रति आउंस के आस-पास हुआ करते थे, जबकि कच्चा तेल उबाल पर था और भाव 95-96 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई पर थे. यानी क्रूड के भाव, चांदी के मुकाबले उस वक्त करीब 5 गुना ज्यादा थे.
अब जो हो रहा है, ये अपने आप में ऐतिहासिक और अनोखा है. जो मौजूदा वक्त में मेटल्स की ताकत और एनर्जी कमोडिटी की कमजोरी को दर्शा रहा है. चांदी इस वक्त मॉडर्न हिस्ट्री की सबसे पावरफुल रैलियों में से एक पर है. 2025 में अब तक कीमतें 150% से ज्यादा उछल चुकी हैं. ये 1979 के बाद का सबसे बढ़िया प्रदर्शन है. 2020 की शुरुआत से चांदी 220% ऊपर है, जबकि इसी अवधि के दौरान तेल की कीमतों में 44% तक की गिरावट आ चुकी है.
WTI क्रूड $57 के आसपास घूम रहा है, इस साल 2025 तक 20% तक टूट चुका है, ब्रेंट क्रूड भी $60-61 के रेंज में सिमट गया है. लेकिन क्रूड ऑयल में ये गिरावट क्यों है. इसकी कई वजहें हैं.
सबसे बड़ी वजह ये है कि दुनिया में तेल की सप्लाई, मांग के मुकाबले बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. EIA (US Energy Information Administration) की दिसंबर 2025 रिपोर्ट कहती है कि ग्लोबल ऑयल इन्वेंटरीज 2025 और 2026 में लगातार बढ़ रही हैं, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ रहा है, रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ब्रेंट को 2026 में $55 प्रति बैरल तक गिर सकता है.
पिछले एक साल में चांदी की कीमतें 130% उछल चुकी हैं, और 2022 के अंत से कुल मिलाकर 206% की बढ़ोतरी हो चुकी है. 12 दिसंबर को चांदी ने नया रिकॉर्ड हाई 65.085 डॉलर प्रति आउंस बनाया है और इसी के करीब वो ट्रेड कर रही है. एनालिस्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि इतनी तेज रफ्तार के बाद मार्केट टेक्निकली ओवरस्ट्रेच्ड लग रहा है. एनालिस्ट्स का कहना है कि ये बदलाव बड़े मैक्रोइकॉनॉमिक शिफ्ट्स की ओर इशारा कर रहा है. चांदी की बढ़ती कीमतें इंडस्ट्रियल मेटल्स की मजबूत डिमांड और सेफ-हेवन एसेट्स में निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी दिखा रही हैं.
CNBC TV को दिए एक इंटरव्यू में सिटी के ग्लोबल कमोडिटी रिसर्च हेड मैक्स लेटन कहते है कि चांदी इस साल पहले ही दोगुनी हो चुकी है 50 डॉलर प्रति आउंस से आसानी से ऊपर निकल गई. वजह, पांच साल से चल रहा सप्लाई डेफिसिट और इंडस्ट्रियल डिमांड का जोरदार बूम. सिटी को लगता है कि चांदी का आउटपरफॉर्मेंस जारी रहेगा, बेसलाइन में 62 डॉलर तक, और बुलिश केस में 70 डॉलर तक का टारगेट है. लेटन का कहना है कि चांदी थोड़ी ज्यादा ग्रोथ-ओरिएंटेड है. निवेशक अब गोल्ड से शिफ्ट होकर चांदी, कॉपर, एल्यूमिनियम जैसी ग्रोथ-लिंक्ड मेटल्स में पैसे लगा रहे हैं, क्योंकि आने वाले महीनों में अमेरिका की अर्थव्यव्यवस्था पर पॉजिटिव सेंटिमेंट बढ़ रहा है.
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
संबंधित विषय:
Updated on:
16 Dec 2025 12:29 pm
Published on:
16 Dec 2025 12:26 pm


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।