AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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China silver export policy: चांदी की कीमतें आसमान पर हैं। ऐसा लग रहा है, जैसे कोई कीमतों का एक्सीलेटर दबा रहा है और चांदी दौड़े चली जा रही है। चांदी में निखार की एक बड़ी वजह इसका बढ़ता औद्योगिक इस्तेमाल है। इसके अलावा, चांदी का चीन कनेक्शन भी इसकी कीमतों को भड़का रहा है। 2026 में चीनी कनेक्शन के चलते सिल्वर मौजूदा तेजी से भी अधिक तेज दौड़ सकती है।
दुनिया के चांदी उत्पादक देशों में हमारा पड़ोसी चीन दूसरे नंबर पर है। ऐसे में चांदी को लेकर चीन की शी जिनपिंग सरकार द्वारा लिया गया कोई भी फैसला भारत सहित कई देशों को प्रभावित करेगा। अगले साल यानी 2026 की शुरुआत में चांदी को लेकर चीन एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इससे वैश्विक स्तर पर सिल्वर की सप्लाई प्रभावित होने और दाम तेजी से चढ़ने की आशंका है। 1 जनवरी, 2026 से चीन इस कीमती धातु के निर्यात को सीमित कर देगा। इस नई पॉलिसी के तहत चीनी कंपनियों को सिल्वर एक्सपर्ट करने के लिए लाइसेंस लेना होगा। हालांकि, इसमें भी बड़ा पेंच है।
चीन केवल उन्हें ही लाइसेंस देगा, जो चांदी के बड़े खिलाड़ी हैं। बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, सालाना कम से कम 80 टन चांदी उत्पादन करने वाली कंपनियों को ही लाइसेंस दिया जाएगा। छोटे निर्यातक अब ऐसा नहीं कर पाएंगे। एक्स्पर्ट्स का मानना है कि चीन के इस कदम से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चांदी की कमी होगी। दुनिया पहले से ही चांदी में कमी का सामना कर रही है। मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं होने से बीते कुछ सालों में स्थिति बिगड़ी है। डिमांड और सप्लाई के बीच का अंतर जब बढ़ता है, तो दाम चढ़ते हैं। चांदी के साथ भी यही हो रहा है।
चीन इस नीति को 'राष्ट्रीय संसाधन' के संरक्षण का नाम दे रहा है, लेकिन इसके पीछे उसकी मंशा वैश्विक कीमतों पर अधिक नियंत्रण हासिल करने की है। चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चांदी उत्पादक देश है और ग्लोबल मार्केट में 60-70 प्रतिशत चांदी सप्लाई करता है। ऐसे में चीन से आने वाली चांदी सीमित होने से कई देशों की व्यवस्था गड़बड़ा सकती है। बीजिंग उन देशों पर दबाव डालना चाहता है, जो उसकी चांदी पर निर्भर हैं। रिपोर्ट में सिल्वर एकेडमी के हवाले से बताया गया है कि चीन के निर्यात सीमित करने से चांदी की आपूर्ति में सालाना 2,500 से ज्यादा टन की कमी का अनुमान है।
चांदी का उद्योगों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। खासकर, सोलर और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इंडस्ट्री में चांदी की डिमांड अधिक रहती है। ये 2 ऐसे सेक्टर हैं, जिनके आगे भी तेजी से ग्रोथ हासिल करने की संभावना है। चीन सिल्वर के जरिए इसका सबसे ज्यादा लाभ कमाना चाहता है। भारत जैसे देश, जो अपनी सिल्वर जरूरतों की पूर्ति के लिए आयात पर निर्भर रहते हैं, उन्हें अधिक परेशानी उठानी पड़ सकती है। चांदी की आपूर्ति कम होने से सोलर और EV भी महंगे हो सकते हैं। इसके साथ ही चांदी का जहां-जहां इस्तेमाल किया जाता है, सभी पर इसका कुछ न कुछ असर पड़ेगा।
भारत ने सितंबर-अक्टूबर के दौरान 2600 टन से अधिक चांदी का आयात किया है। इसमें से 1,715 टन अकेले अक्टूबर में मंगाई गई थी। भले ही चीन की नई नीति महज एक साल के लिए हो, लेकिन इस एक साल में वह कई देशों का खेल बिगाड़ सकता है। चांदी के दाम और भी ज्यादा तेजी से बढ़ सकते हैं। फिलहाल भारत में चांदी के दाम 2 लाख रुपए प्रति किलो के आंकड़े को पार कर गए हैं।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Updated on:
18 Dec 2025 11:43 am
Published on:
18 Dec 2025 11:37 am


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।