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IIT Madras का ग्रीन हाइड्रोजन Roadmap: Sustainable Production के लिए अहम गाइड

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के शोधकर्ताओं ने भारत में सस्टेनेबल ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया है। शोध में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के तकनीकी विकल्पों, पीईएम इलेक्ट्रोलाइज़रों की भूमिका और पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण किया गया।

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IIT Madras Researchers Provide Roadmap for Sustainable Green Hydrogen Production in India
आईआईटी मद्रास ने पेश किया ग्रीन हाइड्रोजन रोडमैप

भारत के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को लेकर IIT Madras के रिसर्चर्स ने एक अहम स्टडी पेश की है। इस रिसर्च में ग्रीन हाइड्रोजन के sustainable production, PEM electrolysers की भूमिका और पर्यावरणीय प्रभावों समेत कई जरूरी बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई है।

ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन पर IIT Madras की स्टडी

IIT Madras के वैज्ञानिकों ने भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को लेकर व्यापक अध्ययन किया है। यह रिसर्च भारत की Net Zero Carbon Emissions 2070 और 2030 तक 50% बिजली नॉन-फॉसिल फ्यूल से उत्पन्न करने के लक्ष्य के संदर्भ में की गई है। ग्रीन हाइड्रोजन, जो कि रिन्यूएबल एनर्जी से बनता है, उद्योग, ट्रांसपोर्ट और बिल्डिंग जैसे क्षेत्रों के कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकता है।

तकनीकी चुनाव का असर: PEM Electrolyser की भूमिका

शोध में बताया गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली तकनीकों, खासतौर पर Proton-Exchange Membrane (PEM) electrolysers का चुनाव, पर्यावरणीय प्रभाव, एफिशिएंसी और सस्टेनेबिलिटी पर बड़ा असर डालता है। पारंपरिक alkaline systems की तुलना में PEM electrolysers ज्यादा एफिशिएंट हैं और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। रिसर्च में पाया गया कि PEM electrolysers के डिज़ाइन और उनमें इस्तेमाल होने वाले electrocatalyst coatings से उनकी operational efficiency और lifespan बढ़ती है, हालांकि निर्माण के दौरान उत्सर्जन बढ़ता है, लेकिन लाइफटाइम में हाइड्रोजन ज्यादा क्लीन बनती है।

हाइड्रोजन क्लासिफिकेशन में स्टैंडर्डाइजेशन की जरूरत

स्टडी के मुताबिक, ग्रीन हाइड्रोजन की क्लासिफिकेशन को स्टैण्डर्डाइज करना जरूरी है, क्योंकि अलग-अलग तकनीकों से बने हाइड्रोजन का इमीशन फुटप्रिंट अलग होता है। शोधकर्ताओं ने “platinum”, “gold”, “silver” और “bronze” की tiered classification system का सुझाव दिया है, जिससे पर्यावरणीय गुणवत्ता को समझना और उद्योग, निवेशक व नीति-निर्माताओं के लिए फैसला लेना आसान हो सके।

कच्चे माल की सुरक्षा और आगे की दिशा

रिसर्च में PEM electrolysers के लिए जरूरी कच्चे माल की सप्लाई सुरक्षा और भारत के ग्रीन हाइड्रोजन इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के उपायों पर भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। यह अध्ययन भविष्य के रिसर्च के लिए मजबूत आधार तैयार करता है, जिसमें उत्पादन के तरीके, जीवन चक्र आंकड़े और कच्चे माल की उपलब्धता की और गहन जांच की जा सकेगी।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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