AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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भारतीय शास्त्रीय नृत्य की प्रतिष्ठित पहचान बन चुके खजुराहो नृत्य समारोह को अब एक नई पहचान मिल गई है। राज्य सरकार ने इसका नाम बदलकर नटराज महोत्सव कर दिया है। नाम बदलने के साथ ही आयोजन की सोच, दिशा और प्रस्तुति शैली में भी बड़े परिवर्तन किए जा रहे हैं। 1975 में शुरू हुआ यह आयोजन अब अपने नए नाम के साथ 2026 में पूरी तरह बदले रूप में सामने आएगा।
सरकार का मानना है कि खजुराहो जैसे आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थल पर होने वाले इस आयोजन को भारतीय संस्कृति और परंपरा से और गहराई से जोड़ा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अनुसार शास्त्रीय नृत्य की जड़ें भगवान नटराज से जुड़ी हैं, इसलिए आयोजन की पहचान भी उसी भाव को प्रतिबिंबित करे। खजुराहो के मंदिरों में मौजूद नृत्य मुद्राएं और मूर्तियां भी नटराज स्वरूप और शास्त्रीय नृत्य के दर्शन को प्रकट करती हैं, इसलिए यह नया नाम सांस्कृतिक रूप से अधिक सार्थक माना जा रहा है।
नटराज शिव का वह स्वरूप है जिसमें वे ब्रह्मांडीय नृत्य करते हैं सृजन, पालन और विनाश का प्रतीक। कहा जाता है कि भारत की हर शास्त्रीय नृत्य शैली किसी न किसी रूप में इसी दिव्य दर्शन से प्रेरणा लेती है। नए नाम से आयोजन की पहचान को एक आध्यात्मिक आधार मिलता है, जो खजुराहो की सांस्कृतिक विरासत के साथ पूरी तरह मेल खाता है।51 साल की गौरवशाली यात्रा1975 से शुरू हुआ यह आयोजन आज दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित क्लासिकल डांस फेस्टिवलों में शामिल है। सोनल मानसिंह, बिरजू महाराज, मल्लिका साराभाई जैसे दिग्गज कलाकार यहां प्रस्तुति दे चुके हैं। कलाकारों के लिए खजुराहो का मंच हमेशा सम्मान का प्रतीक रहा है, एक ऐसा मंच जहां प्रस्तुति देना करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है।स्वर्ण जयंती के बाद बड़ा बदलावपिछले वर्ष इस समारोह ने 50 वर्ष पूरे किए। इसके बाद सरकार ने आयोजन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और ऊंचा उठाने, नई पहचान देने और नई दिशा देने का निर्णय लिया। इसी निर्णायक सोच के बीच नए नाम का प्रस्ताव आया।
1. अधिक भारतीय और पारंपरिक शैली में आयोजन
मंच की सजावट, थीम और प्रस्तुति में शिव तत्वों और खजुराहो की नक्काशी को प्रमुखता दी जाएगी। पूरा सेटअप भारतीय सौंदर्यबोध को और गहराई से प्रस्तुत करेगा।
2. अंतरराष्ट्रीय भागीदारी का विस्तार
सरकार जापान, फ्रांस, रूस, अमेरिका, इंडोनेशिया सहित कई देशों के कलाकारों और कला समूहों को आमंत्रित करने की तैयारी कर रही है, जिससे यह आयोजन वैश्विक मंच बन सके।
3. नटराज युवा मंच—युवाओं के लिए खास प्लेटफॉर्म
युवा कलाकारों के लिए अलग मंच तैयार किया जाएगा। वर्कशॉप, मास्टरक्लास और संवाद सत्र आयोजित होंगे, जिससे नई पीढ़ी को शास्त्रीय कला के गहरे अध्याय सीखने का अवसर मिलेगा।
4. स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बड़ा लाभ
पर्यटन बढऩे से स्थानीय होटल, रेस्टोरेंट, टूर ऑपरेटर और शिल्पकारों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। खजुराहो की आर्थिक गतिविधियों पर इसका सीधा सकारात्मक असर देखने को मिलेगा।
5. डिजिटल दुनिया में विस्तार
2026 से महोत्सव की लाइव स्ट्रीमिंग यूट्यूब और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर की जाएगी, जिससे पूरी दुनिया के दर्शक इसे घर बैठे देख सकेंगे।
कई प्रसिद्ध कलाकारों का मानना है कि खजुराहो में प्रस्तुति देना केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है। रात की रोशनी में चमकते मंदिर, नृत्य मुद्राओं से भरी मूर्तियाँ और आसपास का शांत वातावरण कलाकार के भीतर एक अलग ही ऊर्जा भर देता है। कई कलाकार इसे कला की साधना और आत्मानुभूति का स्थान कहते हैं—जहां नृत्य सिर्फ प्रस्तुति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संवाद बन जाता है। नटराज महोत्सव 2026 न सिर्फ नाम का बदलावा है, बल्कि यह भारतीय कला, संस्कृति और आध्यात्मिक दर्शन को एक नए स्वरूप में विश्व मंच पर पेश करने की दिशा में बड़ा कदम है।
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Published on:
11 Dec 2025 10:38 am


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