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रीवा उप जेल अधीक्षक को छतरपुर जेल का प्रभार, दिलीप सिंह हटाए गए

शंकर प्रजापति जन्म के कुछ महीने के बाद से पोलियो से ग्रसित था और वह 45 प्रतिशत दिव्यांग था, तो वो छत पर कैसे चढ़ सकता है।

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district jail
जिला जेल छतरपुर

मध्य प्रदेश के जेल विभाग ने जिला जेल छतरपुर में हाल ही में घटित दो गंभीर घटनाओं के बाद बड़ा निर्णय लिया है। जिला जेल की सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं डॉ. वरुण कपूर ने उप जेलर दिलीप सिंह को हटाकर योगेन्द्र परमार उप जेल अधीक्षक केन्द्रीय जेल रीवा को छतरपुर जिला जेल में का प्रभार सौंप दिया है।

जिला जेल में 19 दिसंबर 2025 को विचाराधीन बंदी लख्खू उर्फ महेश्वरीदीन पुत्र शिवपाल द्वारा अन्य दंडित बंदी हाकिम उर्फ अंतू पुत्र देवीसिंह पर पत्थर से हमला करने और उसे गंभीर रूप से घायल करने की घटना हुई थी। इसके अलावा 25 दिसंबर 2025 को दंडित बंदी शंकर प्रजापति पुत्र ननुआ प्रजापति ने जेल में बने वीसी कक्ष की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।

इन घटनाओं में कथित लापरवाही को ध्यान में रखते हुए जेल विभाग ने दिलीप सिंह को तत्काल प्रभाव से केन्द्रीय जेल रीवा अटैच कर दिया है। वहीं, रीवा से आए योगेन्द्र परमार को छतरपुर जिला जेल में प्रशासनिक कार्यप्रणाली, सुरक्षा व्यवस्था और जेल संचालन के विभिन्न पहलुओं की निगरानी एवं सुधार की जिम्मेदारी दी गई है।

परिजन बोले- 45 फीसदी द्विव्यांग कैसे चढ़ सकता है छत पर

पास्को एक्ट के दोषी कैदी की जेल में कूदकर जान देने के मामले में मृतक कैदी शंकर प्रजापति के भाई कल्लू प्रजापति ने जेल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे भाई की जेल में हत्या की गई है और उसे आत्महत्या का नाम दिया है। कल्लू ने बताया कि शंकर प्रजापति जन्म के कुछ महीने के बाद से पोलियो से ग्रसित था और वह 45 प्रतिशत दिव्यांग था, तो वो छत पर कैसे चढ़ सकता है।

जेल में मिल रही थी प्रताड़ना

वहीं परिजनों ने कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए बताया है कि वह तीन वर्ष से जेल में था और जब उससे हम लोगों की मुलाकात होती थी तो उसे जेल प्रशासन द्वारा यातनाएं देने ही बात कही थी। जिस संदर्भ में हमने जेलर से बात भी की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

हत्या का लगाया आरोप

परिजनों ने जेल प्रशासन लापरवाही और जेल में शंकर को जान से मारने का आरोप लगाया है। वहीं शंकर के चचेरे भाई रामकिशोर प्रजापति का कहना है कि मेरे भाई को साजिश के तहत मारा गया है। हम न्याय व्यवस्था से निष्पक्ष जांच की अपील करते हैं।

लंबरदार संभाल रहे व्यवस्था

जिला जेल छतरपुर में प्रशासनिक अव्यवस्थाओं की तस्वीर लगातार गंभीर होती जा रही है। अधीक्षक से लेकर डिप्टी जेलर, मुख्य प्रहरी और प्रहरी जैसे महत्वपूर्ण पदों के लंबे समय से रिक्त रहने के कारण कारागार की वास्तविक कमान लंबरदारों के हाथों में चली गई है। इस स्थिति का सबसे ज्यादा खामियाजा जेल में बंद बंदियों को भुगतना पड़ रहा है, जो असुरक्षा, अव्यवस्था और कथित अवैध गतिविधियों के बीच जीवन बिताने को मजबूर हैं।

11 पद खाली पड़े

जिला जेल में कुल 11 अहम पद रिक्त पड़े हैं। इनमें जेल अधीक्षक, डिप्टी जेलर, मुख्य प्रहरी, प्रहरी और ड्राइवर जैसे पद शामिल हैं। वर्षों से अधीक्षक की नियमित नियुक्ति नहीं होने के चलते जेल प्रबंधन प्रभार के सहारे संचालित हो रहा है। इसका सीधा असर जेल के अनुशासन, निगरानी और आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था पर पड़ा है। यह स्थिति वर्षों से बनी हुई है, जिससे कारागार व्यवस्था लगातार कमजोर होती जा रही है।

लंबरदारों के हाथों में आ गया लॉकअप से लेकर बैरक तक का नियंत्रण

सूत्रों का दावा है कि स्टाफ की कमी का लाभ उठाकर जेल के अंदर लंबरदारों का वर्चस्व बढ़ गया है। लॉकअप से लेकर बैरकों के भीतर तक गतिविधियों पर उन्हीं का प्रभाव नजर आता है। आए दिन कैदियों के बीच विवाद, गुटबाजी और टकराव की स्थिति बन रही है। आरोप है कि जेल प्रबंधन की मौन सहमति से लंबरदार बंदियों पर अवैध वसूली का दबाव बनाते हैं। इतना ही नहीं, जानकार यह भी दावा कर रहे हैं कि प्रतिबंधित सामग्री जेल के भीतर पहुंच रही है, जिसमें लंबरदारों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। इससे जेल की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक सख्ती पर गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं।

वरिष्ठ अधिकारियों के निरीक्षण में सामने आईं खामियां

गौरतलब है कि पूर्व में कलेक्टर पार्थ जैसवाल और पुलिस अधीक्षक अगम जैन द्वारा किए गए निरीक्षण में जेल परिसर में प्रतिबंधित सामग्री पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है। वहीं डीआईजी अखिलेश तोमर के निरीक्षण के दौरान बंदियों को घटिया और अमानक भोजन परोसे जाने का भी खुलासा हुआ था। इन निरीक्षणों के बावजूद अब तक स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।

गुटीय संघर्ष और सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा

पोस्टिंग न होने और स्टाफ की कमी के कारण जेल में बंदियों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रह गया है। बीते कुछ समय में कैदियों के बीच गुटीय संघर्ष के कई मामले सामने आ चुके हैं। जानकारों का कहना है कि यदि शीघ्र ही रिक्त पदों पर शासन स्तर से नियुक्तियां नहीं की गईं, तो भविष्य में किसी बड़ी और गंभीर घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।

शासन स्तर पर होगी कार्रवाई की पहल

इस संबंध में सेंट्रल जेल सतना की अधीक्षक लीना कोष्टा ने कहा कि जिला जेल में अधीक्षक सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों के रिक्त होने की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन पदों की प्रतिपूर्ति शासन स्तर से ही की जानी है और इसके लिए आवश्यक पत्राचार किया जाएगा। कुल मिलाकर, जिला जेल की वर्तमान स्थिति न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि बंदियों की सुरक्षा, अधिकार और सुधार की मूल भावना पर भी सवाल खड़े करती है। अब देखना यह है कि शासन और जेल प्रशासन कब तक इस गंभीर समस्या पर ठोस कदम उठाता है।

फैक्ट फाइल

पद रिक्त पद

जेल अधीक्षक 1

डिप्टी जेलर 3

मुख्य प्रहरी 3

प्रहरी 3

ड्राइवर 1

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लव सोनकर

लव सोनकर

लव सोनकर - 9 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछले 7 सालों से डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए हैं और कई संस्थानों में अपना योगदान दि है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता ए...और पढ़ें...


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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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