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स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल, वैन पर प्रतिबंध के बावजूद बेधडक़ परिवहन, ऑटो में ओवरलोडिंग जारी

ऑटो में 5 से अधिक बच्चों को बैठाने पर भी रोक लगाई गई थी। आदेश का पालन नहीं करने पर चालक का लाइसेंस व परमिट निरस्त करने के सख्त निर्देश हैं।

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school auto
ऑटो में ओवरलोड बच्चे

स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट ग्वालियर द्वारा जारी निर्देशों के बावजूद शहर व जिले में वैन और ऑटो से बच्चों का परिवहन लगातार जारी है। 20 मई 2019 को हाईकोर्ट ने बच्चों को ले जाने वाली स्कूली वैन के संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। साथ ही ऑटो में 5 से अधिक बच्चों को बैठाने पर भी रोक लगाई गई थी। आदेश का पालन नहीं करने पर चालक का लाइसेंस व परमिट निरस्त करने के सख्त निर्देश हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि शहर के प्रमुख मार्गों, थानों और पुलिस सहायता केंद्रों के सामने से ही ऑटो चालक बच्चों को ठूंस-ठूंसकर ले जाते दिख रहे हैं और विभागीय अमलों की आंखें बंद हैं। न यातायात पुलिस, न परिवहन विभाग और न ही स्थानीय पुलिस हाईकोर्ट के आदेशों को गंभीरता से ले रही है।

इसलिए लगाया गया था प्रतिबंध

मारुति वैन और अन्य छोटी गाडिय़ां मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 2(11) के अनुसार स्कूल बस की परिभाषा में नहीं आतीं।

विभाग स्कूल वैन के नाम पर किसी भी प्रकार का परमिट जारी नहीं करता। आरटीओ सूत्रों के अनुसार जिन स्कूलों ने संस्था के नाम पर वैन का पंजीयन कराया है, वे उनका उपयोग बच्चों को ले जाने में नहीं कर सकते। वेन सिर्फ स्टाफ व अन्य कार्यों के लिए उपयोग की जा सकती है।

स्कूल बसें भी नियमों का पालन नहीं कर रहीं

2019 में लागू स्कूल व्हीकल कंट्रोल एंड रेगुलेशन पॉलिसी के अनुसार

-सभी स्कूली वाहनों में व्हीकल ट्रैकिंग डिवाइस अनिवार्य

-कैमरे और पैनिक बटन लगाना जरूरी

-बस की अधिकतम गति 40 किमी/घंटा

-सूचना का एक्सेस आरटीओ, स्कूल व अभिभावकों को

-पूरी तरह पीला रंग, स्पष्ट स्कूल जानकारी

लेकिन जिले के राजनगर, खजुराहो, लवकुशनगर, हरपालपुर, बड़ामलहरा, बकस्वाहा तथा अन्य कस्बों में अधिकांश निजी स्कूल किसी भी निर्देश का पालन नहीं कर रहे। बसें बिना ट्रैकिंग डिवाइस, बिना कैमरों और बिना सुरक्षा मानकों के चल रही हैं।नई पॉलिसी के अनुसार हर स्कूली वाहन में जीपीएस ट्रैकिंग की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि अभिभावक मोबाइल पर बच्चे की लोकेशन देख सकें। लेकिन न शहर में और न ग्रामीण इलाकों में एक भी स्कूल वाहन इस सुविधा के अनुरूप नहीं।

नीति में यह भी अनिवार्य है—

-वाहन 15 साल से अधिक पुराना नहीं होगा

-काले शीशे/परदे पूरी तरह प्रतिबंधित

-डायल-100 का नंबर लिखा होना आवश्यक

-वाहन की खिड़कियां अंदर से स्पष्ट दिखाई दें

सुरक्षा संकट गहराता जा रहा

स्कूल खुलने के समय शहर की सडक़ों पर ओवरलोडेड ऑटो और अवैध वैन तेज गति से दौड़ते देखे जा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विभागों की लापरवाही बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल रही है। अभिभावक और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि हाईकोर्ट के आदेशों का कठोर पालन हो, अवैध वैन और ओवरलोड ऑटो को तुरंत जब्त किया जाए। स्कूली बसों में सुरक्षा उपकरणों की अनिवार्य जांच की जाए। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो बच्चे रोजाना जोखिमभरी यात्रा करते रहेंगे और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ती ही जाएगी। इस संबंध में आरटीओ मधु सिंह का पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन अटेंड नहीं किया।

इनका कहना है

स्कूल बसों, वैन, ऑटो को लेकर लगातार कार्रवाई की गई है। चालकों को जागरुक भी किया जा रहा है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए मानकों का पालन कराने की कवायद की जाएगी।

बृहस्पिति साकेत, प्रभारी, यातायात थाना

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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