AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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विकासखंड बिछुआ के ग्राम खमारपानी के कृषक रामचरण झाडु ने यह साबित कर दिखाया है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से खेती को न केवल लाभकारी बल्कि टिकाऊ भी बनाया जा सकता है।उन्होंने परंपरागत खेती से आगे बढकऱ फसल विविधिकरण और समन्वित कृषि को अपनाया। आज वे जैविक खेती और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए अपने गांव में प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।
रामचरण पिछले कई वर्षों से गेहूँ, चना, मक्का और सोयाबीन जैसी पारंपरिक फसलों की खेती कर रहे थे। रासायनिक खाद और दवाइयों पर अधिक निर्भरता के कारण उनकी लागत लगातार बढ़ रही थी और खेत की उर्वरक शक्ति भी कम हो रही थी। जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाया और तीन एकड़ क्षेत्र में रासायनिक खेती छोड़ दी।
पिछले वर्ष से वे सुपर सीडर जैसी आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग कर रहे हैं।
आज उनके पास 11 एकड़ भूमि के साथ-साथ देसी नस्ल की गिर गाय भी है। पशुपालन से प्राप्त गोबर और गौमूत्र का उपयोग कर वे खेतों में जैविक खाद एवं दवाइयाँ तैयार करते हैं। फसल चक्र के तहत पारंपरिक फसलों के साथ स्वीटकॉर्न, टमाटर और धनिया की खेती भी कर रहे हैं। स्वीटकॉर्न की फसल से उन्हें 35-40 रुपये प्रति किलो की दर से लगभग 1 लाख 20 हजार रुपये का लाभ मिला। साथ ही अंतरवर्ती फसल से अतिरिक्त आमदनी भी हुई।
जैविक पद्धति अपनाने से उनकी लागत घटी और आमदनी में वृद्धि हुई। आज वे जीवामृत, नीमास्त्र जैसी जैविक दवाइयाँ स्वयं बनाकर खेतों में उपयोग कर रहे हैं। खेती और पशुपालन के सम्मिलित प्रयासों से उनकी वार्षिक आय 5 से 8 लाख रुपये तक पहुँच चुकी है। वर्ष 2017-18 में उन्हें विकासखंड स्तरीय सर्वोत्तम पशुपालन कृषक पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।
जैविक खेती के फायदे - जैविक खेती वह पद्धति है जिसमें रासायनिक खाद और दवाइयों का प्रयोग नहीं किया जाता, बल्कि गोबर, गौमूत्र, कम्पोस्ट, हरी खाद और जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बढ़ाया जाता है। इस पद्धति से उपजाई गई फसलें न केवल स्वास्थ्यवर्धक होती हैं बल्कि लंबे समय तक भूमि की उत्पादकता भी बनी रहती है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
21 Sept 2025 11:52 am


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