AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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दमोह. शहर से लेकर गांव तक इन दिनों तिलचट्टों का प्रकोप अधिकांश घरों में देखने मिल रहा है। घरों में किचन के साथ-साथ पलंग, सोफा, बिस्तर, कपड़ों तक में इनकी बढ़ती संख्या फैल रही है। ऐसे में जिले की ५० फीसदी आबादी तक परेशान है। खास बात यह है कि कोई भी व्यक्ति यह नहीं समझ पाता है कि यह आ कहां रहे हैं, लेकिन अधिकांश का मानना है कि गैस सिलेंडरों के माध्यम से यह घर-घर फैल रहे हैं। जहां ये पहुंच जाते हैं, वहां यह कब हजारों की संख्या में हो जाते हैं, पता भी नहीं चलता है।
लोगों के अनुसार एक ही गैस सिलेंडर कई घरों, दुकानों में उपयोग होता है और उसके निचले हिस्से में तिलचिट्टे अंडे दे देते हैं। सिलेंडर किसी घर में पहुंचते ही ये अंडे फूट जाते हैं और कुछ ही दिनों में तिलचिट्टों की संख्या सैकड़ों में पहुंच जाती है। इसी कारण नागरिक गैस सिलेंडरों को साफ. सुथरी और हाइजीन व्यवस्था के तहत वितरित करने की मांग कर रहे हैं। तिलचिट्टों की बढ़ती संख्या से संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। सबसे ज्यादा इसका प्रभाव छोटे बच्चों पर पड़ रहा है, क्योंकि तिलचिट्टे रसोई, पानी के बर्तन, डस्टबिन और खाने-पीने की चीजों के आसपास आसानी से पहुंच जाते हैं।
पूरे घर को प्रदूषित कर रहे तिलचट्टे, मरते भी नहीं
स्थानीय निवासी दीपक पटेल, राकेश जैन ने बताया कि सिलेंडर में अक्सर तिलचिट्टों को देखा जाता है। उसके हैंडल और अधिकांश निचले स्थल में यहा छिपे रहते हैं। जहां से ही इनका एक से दूसरे घरों में प्रवेश होता है। इससे रसोई और खाद्य सामग्री के आसपास संक्रमण का डर रहता है। बच्चों की बीमारी का खतरा बना रहता है। रात में तिलचिट्टों की संख्या बढऩे से असहज माहौल बना रहता है। कई परिवार रोजाना सफाई करने के बाद भी समस्या से राहत नहीं पा रहे है।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रहते है तिलचट्टे
डॉ. प्रहलाद पटेल के अनुसार तिलचिट्टे गंदगी, सीवर और कचरे की जगहों से संपर्क में रहते हैं, इनके पैरों और शरीर पर कीटाणु चिपके होते हैं, जो घर में फैल जाते हैं। खाने-पीने की चीजों में इनका प्रवेश गैस्ट्रो, डायरिया और फूड पॉइजनिंग जैसे रोग बढ़ा सकता है
बच्चों में एलर्जी, स्किन इंफेक्शन और पेट संबंधी बीमारियों की आशंका बढ़ती है। घर में तिलचिट्टे दिखते ही कीटनाशक दवा का उपयोग करें।
गैस सिलेंडर को साफ करके ही अंदर ले जाएं
गैंस सिलेंडर रिफिल को लेते समय ही इसे अच्छी तरह से बाहर से वॉश करना चाहिए। गैस सिलेंडर घर में लाने से पहले उसके नीचे का हिस्सा जरूर धुलवाएं। सिलेंडर एजेंसियों से हाइजीनिक वितरण व्यवस्था लागू करने की मांग रखना चाहिए। रसोई को हमेशा सूखा और साफ रखें। नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग को संयुक्त अभियान चलाना चाहिए। गैस एजेंसियों को सिलेंडरों की सफाई, सैनिटाइजेशन और हाइजीन चेक अनिवार्य करना चाहिए। लोगों को जागरूक करने के लिए घर-घर सूचना अभियान चलाया जाए
वर्शन
गैस सिलेंडर से तिलचिट्टों का फैलना संभव है। एजेंसी संचालकों को जो गाइडलाइन तय की गई है, उसके आधार पर ही वितरण किया जाता है। हाइजीन, सैनेटाइजिंग का काम प्लांट स्तर पर ही संभव है।
प्रथम गुप्ता, गैस एजेंसी संचालक
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Published on:
04 Dec 2025 10:25 am


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