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दमोह में एक्यूआई मॉनीटरिंग सिस्टम हरियाली के बीच कलेक्ट्रेट में लगा, शहर में धूल

ऐसे कैसे तय होगा दमोह शहर में कितना प्रदूषण, एक्यूआई अपडेट पर भी सवाल

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ऐसे कैसे तय होगा दमोह शहर में कितना प्रदूषण, एक्यूआई अपडेट पर भी सवाल
ऐसे कैसे तय होगा दमोह शहर में कितना प्रदूषण, एक्यूआई अपडेट पर भी सवाल

दमोह. शहर में बढ़ते धूलकणों और प्रदूषण के बीच सामने आ रहे एक्यूआई आंकड़े अचरज पैदा करते है। मामले में पड़ताल की गई तो पता चलता है कि कलेक्ट्रेट परिसर में लगाए गए एयर क्वालिटी इंडेक्स मॉनीटरिंग सिस्टम के आधार पर यह रिपोर्ट तय होती है। जबकि शहर की मुख्य सड़कों, बाजारों में धूल से निकलना भी मुश्किल हालात बन रहे हैं, लेकिन हरियाली से घिरे कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदूषण मापने वाला सिस्टम क्या वास्तविक स्थिति को दर्शा पाएगा? इस पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।


शहर की सड़कों पर उड़ रही धूल, हो रहा मेकअप


दमोह शहर की सड़के इन दिनों पूरी तरह धूलमयी हो गई है। प्रॉपर मशीनों से सफाई नहीं होने के कारण एक भी सड़क शहर में डस्ट फ्री नहीं है। ऐसे में किसी सड़क पर यदि चारपहिया वाहन निकल रहा है तो उसके पीछे निकलने पर राहगीरों का धूल से मेकअप हो रहा है। धूल की स्थिति यह है कि मुख्य बाजार की दुकानों की सामग्री पर रोजाना धूल जमा हो जाती है, जबकि सड़क किनारे एक-दो दिन वाहन खड़ा रहने पर धूल से वह पूरी तरह कवर हो जा रहा है। शहर के सभी मुख्य सड़कों के अलावा वार्डों की सड़कों पर सफाई नहीं होने से धूल बढ़ रही है। लोगों का कहना है कि मास्क लगाए बिना निकलना मुश्किल है।

ऐसे में प्रदूषण कैसे होगा तय


कलेक्ट्रेट परिसर घने पेड़ों, बड़े.बड़े पौधों और खुले मैदान के बीच है। यहां हवा की शुद्धता शहर के बाजारों की तुलना में काफी अलग है। विशेषज्ञों के अनुसार किसी शहर का एक्यूआई तभी वास्तविक माना जाता है जब मॉनीटरिंग सिस्टम शहर के ट्रैफिक घनी आबादी या धूल प्रमुख क्षेत्रों में स्थापित हो। ऐसे में यहां लगा सिस्टम शहर के धुएं, वाहन उत्सर्जन और धूल की सही रिपोर्ट नहीं दे पाएगा। बताते है कि मॉनीटरिंग सिस्टम की रेंज अधिकतम १ किलोमीटर ही होती है। प्रांशुल सेन, हरि रजक का कहना है कि ऑनलाइन अपडेट होने वाले एक्यूआई डेटा में उतार चढ़ाव अधिक नहीं दिखता और कई बार डेटा घंटों तक अपडेट नहीं होता। इसके अलावा इसकी रियलटी पर भी संदेह है।

ऐसे होता है माप


एक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स हवा की गुणवत्ता मापता है। जिसमें पीएम २.५ यानि सूक्ष्म धूलकण, पीएम १० यानि सामान्य धूलकण, एसओ२ यानि सल्फर डाइऑक्साइड, एनओ२ नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सीओ
कार्बन मोनोऑक्साइड, ओ३ यानि ओजोन गैस आदि माध्यम होते है। सेंसर हवा को खींचकर इन गैसों और धूलकणों की मात्रा को माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में मापते हैं। इसके बाद मानकों के अनुसार एक्यूआई स्कोर निर्धारित होता है।

क्या होना चाहिए


१-मॉनीटरिंग सिस्टम को बाजारों और ट्रैफिक वाली जगहों पर स्थापित किया जाए
२- निर्माण कार्यों में धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव हो
३- नगर पालिका द्वारा सफाई अभियान तेज हो, मशीनों से सफाई व धुलाई कर डस्ट फ्री रोड घोषित करें।
४- एक्यूआई डेटा आम जनता के लिए आसानी से उपलब्ध कराया जाए।

वर्शन


सड़कों से डस्ट फ्री करने के लिए समय-समय पर पानी से धुलवाया जाता है। मशीनों से सफाई का कार्य मशीन सुधरने के बाद होगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया फिर से की गई है।


राजेंद्र सिंह लोधी, सीएमओ नगरपालिका दमोह


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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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