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राजस्थान की रहस्यमयी बावड़ी… जिसकी सुरंग में समा गई थी पूरी बारात; आज तक बना हुआ है रहस्य

Chand Baori Abhaneri Dausa: राजस्थान अपनी ऐतिहासिक धरोहर, किले और बावड़ियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इन धरोहरों के साथ जुड़ी रहस्यमयी कहानियां इन्हें और भी खास बना देती हैं।

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Chand-Baori
आभानेरी की चांद बावड़ी। फोटो: पत्रिका

Chand Baori: राजस्थान अपनी ऐतिहासिक धरोहर, किले और बावड़ियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इन धरोहरों के साथ जुड़ी रहस्यमयी कहानियां इन्हें और भी खास बना देती हैं। आज हम बताने जा रहे हैं राजस्थान की ऐसी ही रहस्यमयी बावड़ी के बारे में, जिसकी सुरंग में पूरी बारात खो गई थी और कभी लौटकर नहीं आई।

राजस्थान के दौसा जिले में स्थित आभानेरी की चांद बावड़ी को एशिया की सबसे गहरी और भव्य बावड़ियों में गिना जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार चांद बावड़ी सिर्फ सीढ़ियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके नीचे और आसपास गुप्त सुरंगों का जाल फैला हुआ है। कहा जाता है कि ये सुरंगें आसपास के किलों तक जाती है।

सुरंग में घुसी बारात कभी नहीं लौटी वापस

कहा जाता है कि चांद बावड़ी में बनी अंधेरी गुफा में एक बार बारात घुसी और फिर कभी वापस नहीं आई। धीरे-धीरे यह कहानी फैल गई कि पूरी बारात बावड़ी की सुरंग में समा गई और कभी वापस नहीं लौटी। आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि आखिर पूरी बारात कहां लापता हो गई है।

बावड़ी में 3500 से ज्यादा सीढ़ियां

करीब 9वीं शताब्दी में निर्मित चांद बावड़ी का निर्माण प्रतिहार वंश के राजा चांद ने करवाया था। यह बावड़ी लगभग 13 मंजिला गहरी है और इसमें करीब 3500 से ज्यादा सीढ़ियां हैं। चारों ओर एक जैसी दिखने वाली सीढ़ियां, संकरे रास्ते और गहराई में उतरता अंधेरा इसे किसी भूलभुलैया से कम नहीं बनाता। बावड़ी में सुरंगनुमा गुफा भी हैं। हालांकि, सुरंग को अब बंद कर दिया गया है।

चांद बावड़ी के पास ही हर्षद माता का मंदिर हैं। जहां अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनी हुई हैं, जिनमें से कई क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। महामेरू शैली में बने इस मंदिर में सींमेट और चूने का प्रयोग नहीं किया गया हैं।

भूलभुलैया या अंधेरे-उजाले की बावड़ी

चांद बावड़ी को भूलभुलैया भी कहा जाता है। बावड़ी की सीढ़ियों के बारे में कहा जाता है कि कोई भी इंसान कभी भी एक ही सेट की सीढ़ियों का इस्तेमाल करके बावड़ी में नीचे नहीं जा पाया और फिर उसी रास्ते से वापस ऊपर नहीं चढ़ पाया। दिन के उजाले में जब भी कोई नीचे की ओर देखता है, तो सीढ़ियों का जाल आंखों को भ्रमित कर देता है। यही वजह है कि सदियों से लोग इसे सिर्फ जल संरचना नहीं, बल्कि रहस्यों का भंडार मानते आए हैं। चांद बावड़ी को अंधेरे-उजाले की बावड़ी भी कहा जाता है। क्योंकि चांदनी रात में यह बावड़ी सफेद दिखाई देती है।

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

चांद बावड़ी देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यहां हर साल लाखों पर्यटक घूमने के लिए आते है। इसके अलावा यहां कई बॉलीवुड व हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। जिनमें 'भूल भुलैया', 'द फॉल', 'पहेली' और 'भूमि' जैसी फिल्में शामिल हैं। बावड़ी को देखने के लिए दिन के समय पर्यटकों की भीड़ रहती है। लेकिन, रात के समय यहां प्रवेश पर रोक लगा रखी है।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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