AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

High Court News:जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में व्याप्त अव्यवस्थाओं को दूर करने को लेकर पत्रकार रमेश जोशी ने बीते 18 दिसंबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने जनहित याचिका में कहा है कि जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का गठन हाईकोर्ट के आदेश पर 2013 में हुआ था। हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का गठन किया था। मंदिर समिति के कार्यों में पारदर्शिता लाना इसका मुख्य मकसद था। जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में पांच सदस्य होते हैं। इसके पदेन अध्यक्ष जिलाधिकार अल्मोड़ा जबकि क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी इसमें सदस्य के तौर पर होते हैं। उपाध्यक्ष और प्रबंधक का चयन राज्यपाल करते हैं। पुजारी प्रतिनिधि का चयन पुजारियों की वोटिंग के माध्यम से लोकतांत्रिक तरीके से होता है। जनहित याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का ऑडिट नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से कराएं। उन्होंने बताया कि समिति गठन के बाद से अब तक सरकार ने एक भी बार मंदिर समिति का सीएजी ऑडिट नहीं कराया है। इसके अलावा हाईकोर्ट के आदेश पर गठित मंदिर समिति को सूचना के अधिकार अधिनियम से दूर रखा गया है, जिससे इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। अधिवक्ता विनोद तिवारी के मुताबिक मामले की सुनवाई आज न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जागेश्वर मंदिर समिति के आदेश के अनुपालन में अब तक आपने क्या किया है? कोर्ट ने सरकार से इस मामले में 30 दिसंबर को जवाब मांगा है।
जागेश्वर मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में भी इसे आरटीआई के दायरे में लाने का प्रस्ताव पास हो चुका था। बावजूद इसके जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में आरटीआई लागू नहीं हो रही है। यहां तक की जिला प्रशासन भी जागेश्वर मंदिर समिति से जुड़े मामलों में आरटीआई देने से इनकार कर रहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर गठित इस समिति को निजी संस्था करार दिया जा रहा है। जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में लंबे समय से उपाध्यक्ष, प्रबंधक और पुजारी प्रतिनिधि के पद खाली चल रहे हैं। प्रबंधक का पद तो करीब 15 माह से खाली चल रहा है। ये समिति मौजूदा समय में सरकारी मोड पर संचालित हो रही है, जोकि न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। याचिका में सीएजी ऑडिट, आरटीआई समेत कई जनहित के बिंदु शामिल किए गए हैं।
जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में हाईकोर्ट के आदेशों की लगातार अवहेलना हो रही है। जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में कई प्रस्ताव केवल दो सदस्यों की सहमति या दो हस्ताक्षरों पर भी पास हुए हैं। इन प्रस्तावों में उपाध्यक्ष, पुजारी प्रतिनिधि और क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी की सहमति नहीं ली गई है। पुजारी प्रतिनिधि या उपाध्यक्ष से सहमति लिए बगैर करीब डेढ़ साल पहले एक पुजारी को एक माह तक के लिए मंदिर में पूजाओं से निष्कासित भी कर दिया गया था और जुर्माना भी लगाया गया था। इसके अलावा जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में राजनैतिक हस्तक्षेप बढ़ने के आरोप भी समय-समय पर लगते रहते हैं।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Updated on:
22 Dec 2025 05:45 pm
Published on:
22 Dec 2025 05:28 pm


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।