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Arjun fight With Lord Shiv: भगवान शिव और अर्जुन के बीच क्यों हुआ था युद्ध, जानिए इस घटना का रहस्य

Arjun fight With Lord Shiv: महादेव को समर्पित सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि आने वाला है। इस दिन शिव भक्त भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना करते है। साथ ही उनकी रहस्यमयी काथाओं को पढ़ते सुनते हैं। जिनमें अर्जुन और महादेव के युद्ध की कथा भी शामिल है। यहां पढ़िए दोनों के युद्ध की रोचक कथा।

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Arjun fight With Lord Shiv
भगवान शिव और अर्जुन के बीच युद्ध कथा

Arjun fight With Lord Shiv: महाभारत की कथाओं में पांडवों और भगवान शिव के युद्ध की कथा अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक है। यह कथा मुख्य रूप से पांडु पुत्र अर्जुन की तपस्या और उनकी भगवान शिव से भेंट से जुड़ी हुई है। जब पांडवों को वनवास हुआ, तब अर्जुन ने महान धनुर्धर बनने और दिव्य अस्त्र प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करने का प्रण किया। उनका उद्देश्य महाभारत युद्ध में कौरवों पर विजय प्राप्त करने के लिए परमशक्ति प्राप्त करना था।

अर्जुन ने की घोर तपस्या

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अर्जुन हिमालय पर भगवान शिव की घोर तपस्या करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें परखने का निर्णय लिया। इसके बाद महादेव किरात यानी शिकारी के रूप में अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए पहुंच गए। भगवान शिव ने अर्जुन के पास एक जंगली सूअर को भेजा। अर्जुन और शिकारी दोनों ने एक साथ उस उस जंगली सूअर पर बाण चलाए। लेकिन तीर सिर्फ एक ही निकला। इस पर विवाद हुआ और दोनों के बीच घोर युद्ध छिड़ गया।

यह भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर इस विधि से करें भगवान शिव का जलाभिषेक, आपको सदा मिलेगा शिवजी का आशीर्वाद

अर्जुन को हुआ सच्चाई का ज्ञान

युद्ध में अर्जुन ने अपनी संपूर्ण शक्ति और कौशल का प्रदर्शन किया। लेकिन वह किरात को परास्त नहीं कर सके। हर बाण और अस्त्र निष्फल होते देख अर्जुन को यह समझ में आया कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। उन्होंने भगवान शिव की पूजा करते हुए पुष्पों की माला अर्पित की। आश्चर्यजनक रूप से वही माला किरात के गले में दिखाई दी। तब अर्जुन को सच्चाई का ज्ञान हुआ।

महादेव से विजय प्राप्ति का मिला वरदान

तपस्वी अर्जुन भगवान शिव के चरणों में गिर गए और क्षमा याचना करने लगे। उनकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पाशुपतास्त्र प्रदान किया, जो संसार का सबसे शक्तिशाली अस्त्र था। उन्होंने अर्जुन को आशीर्वाद दिया कि वह महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करेंगे।

कथा का महत्व

महादेव और अर्जुन के युद्ध की यह कथा केवल अर्जुन की तपस्या और समर्पण को ही नहीं दर्शाती, बल्कि यह भी सिखाती है कि सच्ची भक्ति और आत्मसमर्पण से भगवान स्वयं भक्त की परीक्षा लेकर उसे उसकी क्षमता के अनुसार शक्ति और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। अर्जुन की तरह अगर मनुष्य समर्पण और धैर्य से कार्य करे, तो उसे निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है।

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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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