Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

Janmashtami Puja Vidhi : पुरूषोत्तम श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव और कष्टों को हरने वाला महामंत्र

Janmashtami Puja Vidhi : भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। वे भगवान विष्णु के अवतार थे, इसलिए जन्म से ही उनमें अलौकिक शक्तियां मौजूद थीं। पढ़िए कष्टों का हरण करने वाला मंत्र और श्रीकृष्णजन्माष्टमी की सम्पूर्ण पूजा विधि।

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

पूरी खबर सुनें
  • 170 से अधिक देशों पर नई टैरिफ दरें लागू
  • चीन पर सर्वाधिक 34% टैरिफ
  • भारत पर 27% पार्सलट्रिक टैरिफ
पूरी खबर सुनें
Janmashtami Puja Vidhi
Janmashtami Puja Vidhi : लीलामाधव भगवान पुरूषोत्तम श्रीकृष्णचन्द्र प्राकट्योत्सव, इस एक मंत्र से होता है मनुष्यों के सभी कष्टों का हरण (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Janmashtami Puja Vidhi : भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन नराकृति परब्रह्म स्वरूप विराट पुरुष भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र योगीराज का प्राकट्योत्सव है। भगवान विष्णु के अवतार होने के कारण से श्रीकृष्ण जी में जन्म से ही सिद्धियां उपस्थित थी। उनके माता पिता वसुदेव और देवकी जी के विवाह के समय मामा कंस जब अपनी बहन देवकी को ससुराल विदा कर रहे थें तभी आकाशवाणी हुई, कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का अन्त करेगा। अर्थात् यह होना पहले से ही निश्चित था अतः वसुदेव और देवकी को कारागार में रखने पर भी कंस पुरूषोत्तम श्री कृष्ण जी को नहीं समाप्त कर पाया।

"इस दिन चारों वर्णों को यथाशक्ति उपवास करना चाहिये। जो जानकर भी श्रीकृष्णजन्माष्टमी का व्रत नहीं करते हैं वे वनमें सर्प और व्याघ्र होते हैं।"
निम्न श्लोक का मानसिक जाप प्रत्येक मनुष्यों के कष्टों को हरण कर लेता है-

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः ।

स्कन्द पुराण कहता है कि- हे द्विजोत्तम् ! जो मनुष्य श्रीकृष्णजन्माष्टमी के दिन भोजन कर लेता है, उसका वह भोजन नहीं है किंतु वह तीनों लोकों के पाप को भक्षण करता है इसमें कुछ भी संदेह नहीं है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में स्पष्ट कथन है कि सप्तमी सहित अष्टमी यत्नपूर्वक वर्जित करें और बिना रोहिणी नक्षत्र के नवमी सहित अष्टमी का व्रत करें।"
पद्मपुराण के अनुसार भी यह स्पष्ट है- “पूर्व सप्तमी से विद्ध अष्टमी नवमी के दिन सूर्योदय में मुहूर्त मात्र भी हो तो वह अष्टमी संपूर्ण होती है। नवमी के दिन यदि कला, काष्ठा वा मुहूर्त्त मात्र भी अष्टमी तिथि हो तो वही अष्टमी ग्राह्य है, परंतु सप्तमी सहित अष्टमी कभी ग्रहण नहीं करना चाहिये।"

सर्वेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्सव जन्माष्टमी का पूजन विधि -

जन्माष्टमी को पूरा दिन यथाशक्ति व्रत रखें एवं द्वादशाक्षर मन्त्र का मानसिक जाप करें। प्रातःकाल उठकर स्नानादि नित्यकर्म से निवृत्त होकर व्रत का निम्न संकल्प करे - ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्य अमुक नामसंवत्सरे सूर्य दक्षिणायने वर्षतौ भाद्रपदमासे कृष्णपक्षे श्रीकृष्णजन्माष्टम्यां तिथौ अमुक वासरे नामाहं मम चतुर्वर्गसिद्धिद्वारा श्रीकृष्णदेवप्रीतये जन्माष्टमीव्रताङ्गत्वेन श्रीकृष्णदेवस्य यथामिलितोपचारैः पूजनं करिष्ये।

केले के खम्भे, आम-अशोक के पल्लव, बहुविध पुष्पादि से श्रीठाकुरजी की दिव्य झाँकी सजाए, सारा दिन संकीर्तन आदि से श्रीकृष्णचन्द्र परमानंदकंद की भक्ति करें। रात्रि में पञ्चामृत एवं दुग्धाभिषेक के साथ माता देवकीसहित श्रीबालकृष्ण का षोडशोपचार से पूजन करें। विविध शृङ्गारादिक वस्तुओं से विशेषरूप से अलंकृत करे। ब्राह्मणों के द्वारा विधिवत श्रीविष्णु सहस्रनाम के पाठ करवाने से मनोवाञ्छित फल की प्राप्ति होती है।

Janmashtami Puja Vidhi Worship Lord Krishna on Janmashtami (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' -

इस मन्त्र से पूजन करता हुआ सुसज्जित करके भगवान् को सुन्दर सजे हुए हिंडोले में प्रतिष्ठित करें। अन्नरहित नैवेद्य तथा सुस्वादु मिष्टान्न. नमकीन पदार्थों, फल, पुष्पों और नारियल, छुहारे, अनार, पंजीरी, नारियल के मिष्टान्न तथा नाना प्रकार के मेवे का प्रसाद सजाकर श्रीभगवान् को अर्पण करे। पूजन में देवकी, वसुदेव, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी-इन सबका क्रमशः नाम निर्दिष्ट करना चाहिये।

अन्त में 'प्रणमे देवजननीं त्वया जातस्तु वामनः।' वसुदेव को तथा 'कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः ।। सपुत्रार्थ्यं प्रदत्तं मे गृहाणेमं नमोऽस्तु ते।' से देवकी को अर्घ्य दे और 'धर्माय धर्मेश्वराय धर्मपतये धर्मसम्भवाय गोविन्दाय नमो नमः।' से श्रीकृष्ण को 'पुष्पांजलि' अर्पण करे। विशेषार्घ्य प्रदानपूर्वक धूप, दीप, नैवेद्य नीराजनपर्यन्त सेवा सम्पादन करके पुष्पाञ्जलि अर्पण करे।

जन्मोत्सव के पश्चात कर्पूरादि प्रज्जवलित कर समवेत स्वर से भगवान् की आरती-स्तुति करें, पश्चात् प्रसाद वितरण करें। तत्पश्चात् 'सोमाय सोमेश्वराय सोमपतये सोमसम्भवाय सोमाय नमो नमः ।' से चन्द्रमा का पूजन करे और फिर शंख में जल, फल, कुश, कुसुम और गन्ध डालकर दोनों घुटने जमीन में लगावे और 'क्षीरोदार्णवसंभूत अत्रिनेत्रसमुद्भव । गृहाणार्घ्य शशांकेमं रोहिण्या सहितो मम ।। ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषां पते। नमस्ते रोहिणीकान्त अर्घ्य मे प्रतिगृह्यताम्' से चन्द्रमा को अर्घ्य दे। इसके द्वितीय दिन अर्थात् नवमी को दधिकांदो या (नन्दमहोत्सव) किया जाता है।

इस समय भगवान् पर कपूर, हल्दी, दही, घी, जल, तेल तथा केसर आदि चढ़ाकर लोग परस्पर विलेपन तथा सेचन करते हैं। वाद्य यन्त्रों से कीर्तन करते हैं तथा ब्राह्मणों को यथा शक्ति भोजन वस्त्र दक्षिणादि प्रसन्न मन से अर्पित कर आशिर्वाद ग्रहण करें ।

इस प्रकार नन्दनन्दन भगवान् श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव प्रीतिपूर्वक सम्पन्न होता है।

डॉ.सुधाकर कुमार पाण्डेय

वेदाचार्य ,सहायकाचार्य केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

आपकी राय

आपकी राय

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?


ट्रेंडिंग वीडियो

टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

User Avatar