Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

Mahanavami 2017 : भक्तों की पूजा तपस्या से प्रसन्न होकर अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं माँ सिद्धिदात्री

Mahanavami 2017 : शक्ति के प्रवाह में भक्ति का निर्वाह है नवरात्र। अविश्वास के अंत और विश्वास के वसंत का नाम है नवदुर्गा। नवम् (नौवें) नवरात्र में मां

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

पूरी खबर सुनें
  • 170 से अधिक देशों पर नई टैरिफ दरें लागू
  • चीन पर सर्वाधिक 34% टैरिफ
  • भारत पर 27% पार्सलट्रिक टैरिफ
पूरी खबर सुनें

Sep 29, 2017

Mahanavami 2017 : शक्ति के प्रवाह में भक्ति का निर्वाह है नवरात्र। अविश्वास के अंत और विश्वास के वसंत का नाम है नवदुर्गा। नवम् (नौवें) नवरात्र में मां दुर्गा का सौम्य रूप है सिद्धिदात्री। सिद्धि अर्थात मोक्ष को देने वाली होने से उनका नाम सिद्धिदात्री है। भक्तों के लिए पूजनार्थ रूप है सिद्धिदात्री। सौम्य स्वरूप मेें सिद्धिदात्री दरअसल कोमलता का 'किरणकुंज हैं। जैसे सुबह का संकेत देता हुआ उगता हुआ सूर्य जिसकी तरफ देखा जा सकता है और जिसकी सुनहरी कोमल किरणों को महसूस किया जा सकता है, अत:, सिद्धिदात्री अर्थात किरणकुंज। मां की संतान को जब कोई सताता है तो निरीह-सी दिखने वाली मां भी ईंट का जवाब पत्थर से देती है अर्थात रौद्ररूप धारण कर लेती है। मां दुर्गा का रौद्ररूप है देवी चंडिका। एक वाक्य में यह कि सौम्य रूप में सिद्धिदात्री हैं 'किरणकुंज और रौद्ररूप में देवी चंडिका हैं 'तेजपुंज'। जैसे दोपहर का तपता हुआ सूर्य, जिसके प्रचंड ताप अर्थात तेज से आंखें मिलाने का साहस कोई नहीं कर सकता। भक्तों के लिए सिद्धिदात्री 'बहार की बांसुरी हैं। दुष्टों के लिए देवी चंडिका 'नाश का नगाड़ा' हैं। इसको यों समझिए कि संवैधानिक शब्दावली में मां दुर्गा सिद्धिदात्री के रूप में हैं 'विधायिका' लेकिन देवी चंडिका के रूप में 'कार्यपालिका' भी हैं और 'सर्वोच्च न्यायपालिका' भी। देवी चंडिका के प्रचंड रूप अर्थात 'तेजपुंज' होने के कारण ही दुष्टों/दानवों/दैत्यों को वे दंडित करती हैं। श्री दुर्गा सप्तशती के नौवें अध्याय में 'निशुंभ का वध' और दसवें अध्याय में 'शुंभ का वध' दरअसल देवी चंडिका द्वारा किया जाना इसका प्रतीक है।

तेजपुंज' के रूप में देवी चंडिका की महत्ता इसी से ज्ञात
हो जाती है कि 'श्री दुर्गासप्तशती' के 'देव्या कवचम', 'अर्गलास्तोत्रम' का प्रारंभ ही 'ॐ नमश्चंडिकायै', (चंडिका देवी को नमस्कार है) से होता है। प्रथम अध्याय में भी मार्कण्डेय उवाच के पहले 'ॐ नमश्चंडिकायै' आता है।

देवी चंडिका के दिव्य शरीर में अन्य सभी देवियों की शक्तियां समाहित हैं। इसी कारण चंडिका तेज का पुंज हैं। तेज ही वह आभा है, जिसके द्वारा 'देवत्व' दरअसल दानवत्व पर विजय प्राप्त करता है। यजुर्वेद के 19वें अध्याय के 9वें मंत्र में तो तेज प्राप्ति के लिए ही प्रार्थना करते हुए कहा गया है 'तेजोअसि तेजोमयि देहि' अर्थात हे! ईश्वर, तुम तेज स्वरूप हो, मुझे तेज प्रदान करो, 'उल्लेखनीय है कि देवी चंडिका का तेज दुष्टों का तो दलन करता है, लेकिन भक्तों का कल्याण करता है। दानवों का नाश ही मानवों का विकास है।' श्री दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय के 54वें और 55वें श्लोक में देवी चंडिका ने अपने अवतरण के बारे में स्वयं कहा है 'इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति... तदा तदावतीया हैं करिष्याम्यरिसंक्षयम' अर्थात 'जब-जब संसार में दानवी बाधा उपस्थित होगी, तब-तब अवतार लेकर मैं शत्रुओं का संहार करूंगी। ' देवी चंडिका द्वारा 'शुंभ-निशुंभ' वध की कथा का सार यह है कि तीनों लोकों में जब इन दोनों दैत्यों (शुंभ-निशुंभ) ने अपनी सत्ता के अहंकार में आतंक फैलाकर स्वयं देवी से विवाह जबरन करना चाहा तो देवी ने चंडिका रूप धारण करके पहले निशुंभ का फिर शुंभ का वध कर दिया। वर्तमान अर्थ यह है कि 'सेर को सवा सेर' मिलता है। अहंकार का अंत अवश्य होता है।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

आपकी राय

आपकी राय

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?


ट्रेंडिंग वीडियो

टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

User Avatar