AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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हाईकोर्ट की युगल पीठ ने शहर में फैली गंदगी, जगह-जगह जमा सूखा-गीला कचरा और केदारपुर लैंडफिल साइट की गंभीर स्थिति को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नगर निगम ग्वालियर को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि स्वच्छता व्यवस्था में अब किसी भी प्रकार की ढिलाई स्वीकार नहीं की जाएगी और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर युद्धस्तर पर कार्य किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि ग्वालियर को साफ-सुथरा बनाने के नगर निगम के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। कोर्ट ने कहा कि स्वच्छता से जुड़े सभी अधिकारी सुबह से फील्ड में मौजूद रहें और बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली के जरिए उनकी उपस्थिति की निगरानी की जाए। इसके अलावा भवन निरीक्षकों को भी नियमित रूप से क्षेत्रों का दौरा कर यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए कि खुले प्लॉट्स पर कचरा न फेंका जाए और संपत्तियों का सही आकलन हो।
हाईकोर्ट में लैंडफिल साइड मौजूद कूड़े के पहाड़ को लेकर सरताज सिंह ने जनहित याचिका दायर की है। नगर निगम ने पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश कर कोर्ट को बताया कि केदारपुर स्थित सैनिटरी लैंडफिल साइट के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) को राज्य स्तरीय तकनीकी समिति से मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि, पर्यावरणीय स्वीकृति और वन विभाग की अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) लंबित होने के कारण परियोजना के क्रियान्वयन में देरी हो रही है। कोर्ट ने अपेक्षा जताई कि संबंधित विभाग समन्वय कर जल्द ही आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त करें, ताकि लैंडफिल साइट का वैज्ञानिक तरीके से विकास किया जा सके।
सीबीजी स्टेशन स्थापित करने की प्रक्रिया प्रगति पर है
शहर में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) स्टेशन स्थापित करने की प्रक्रिया प्रगति पर है। टेंडर से जुड़े ढांचे में संशोधन कर उसे स्वीकृति के लिए भेजा गया है। इसी तरह वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है और इसके लिए टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ करने की तैयारी चल रही है। नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने बताया कि वर्तमान में कचरा प्रसंस्करण क्षमता 200 टन प्रतिदिन है, जिसे नए प्लांट के स्थापित होने के बाद 550 टन प्रतिदिन तक बढ़ाया जाएगा।
-हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त अमीकस क्यूरी ने इंदौर नगर निगम की स्वच्छता व्यवस्था का अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में इंदौर मॉडल को अपनाने की सिफारिश की गई है। इसमें प्रमुख रूप से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण वाहनों की संख्या बढ़ाने, उपलब्ध वाहनों का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने, पुराने किराए के वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने और निगम के अपने वाहन खरीदने पर जोर दिया गया है।
जीपीएस की अनिवार्यता बताई
अमीकस क्यूरी की रिपोर्ट में कहा गया कि सभी सेकेंडरी वाहनों में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य रूप से लगाया जाए, ताकि उनकी निगरानी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से हो सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि कचरा निर्धारित ट्रांसफर स्टेशन तक ही पहुंचे। इसके साथ ही हर डोर-टू-डोर वाहन पर एक एनजीओ कर्मी की तैनाती की सिफारिश की गई है, जो नागरिकों और नगर निगम के बीच सेतु का कार्य करेगा।
हाईकोर्ट ने अधिकारियों की मैदानी मौजूदगी पर विशेष जोर दिया।
कोर्ट ने कचरा फैलाने वालों पर भारी जुर्माना लगाने के लिए कड़े नियम बनाने के निर्देश भी दिए हैं, ताकि स्वच्छता के प्रति अनुशासन बने और राजस्व भी सृजित हो सके। साथ ही, पार्षद निधि, विधायक-सांसद निधि और अन्य संसाधनों से स्वच्छता के लिए अतिरिक्त फंड जुटाने पर भी जोर दिया गया है।
- नगर निगम से कहा कि स्वच्छता को वार्षिक बजट में सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और संसाधनों की कमी को बहाना न बनाया जाए। कोर्ट ने यह अपेक्षा भी जताई कि आम नागरिक स्वच्छता अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएं। प्रकरण की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2026 को तय की गई है, जिसमें प्रगति रिपोर्ट पेश की जाएगी।
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Published on:
20 Dec 2025 11:11 am


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