AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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ग्वालियर. आलू अनुसंधान केंद्र, ग्वालियर अब देश भर में आलू के बीज का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने सीपीआरआई शिमला की ओर से तैयार आलू की चार नई किस्मों को बीज उत्पादन और बिक्री के लिए मंजूरी दे दी है। इससे न केवल ग्वालियर के किसानों को फायदा होगा, बल्कि पूरे देश में आलू की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार होगा। केंद्रीय बीज समिति की सिफारिश पर आलू की जिन किस्मों को मंजूरी दी गई है, उनमें कुफरी रतन, कुफरी चिपभारत-1, कुफरी चिपभारत-2 और कुफरी तेजस शामिल हैं। इन किस्मों की खासियत यह है कि इनमें से दो किस्में चिप्स बनाने के लिए और दो किस्में खाने के लिए उपयुक्त हैं।
आलू अनुसंधान में तैयार बीज से ही चिप्स बनाए जाते हैं। आलू की वैरायटी कुफरी चिप्सोना-1 से कुफरी चिप्सोना-3 तक का उपयोग चिप्स बनाने में होता है। इसकी मांग भी ज्यादा होती है। ग्वालियर का आलू देश के कई क्षेत्रों में जाकर चिप्स बनाने के काम आता है। अब दो तरह का बीज और चिप्स बनाने के काम आएगा।
इन नई किस्मों के बीज जल्द ही ग्वालियर के कृषि अनुसंधान केंद्र में भी तैयार किए जाएंगे और फिर दूसरे राज्यों के किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिलेंगे, जिससे उनकी पैदावार बढ़ेगी और उन्हें अधिक लाभ होगा।
आलू अनुसंधान केंद्र में पहले से ही सूर्या, ज्योति, चंद्रमुखी, चिप्सोना-1 और चिप्सोना 3, ङ्क्षसदूरी, करन, किरण, लवकार, पुखराज आदि किस्मों के बीज तैयार किए जाते हैं। इन बीजों को यहां पर टेङ्क्षस्टग कराने के बाद दूसरे राज्यों के किसानों को दिया जाता है।
कुफरी रतन: यह लाल छिलके वाली किस्म है और उत्तर भारत के मैदानी और पठारी क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है। भंडारण के मामले में यह किस्म बहुत अच्छी है।
कुफरी तेजस : यह गर्मी सहन करने वाली किस्म है और इसे पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में लगाने की सिफारिश की गई है।
कुफरी चिपभारत-1: यह किस्म चिप्स प्रसंस्करण के लिए विकसित की गई है। इसकी चिप्स गुणवत्ता बेहतर और शर्करा की मात्रा कम होती है।
कुफरी चिपभारत-2: यह किस्म चिप्स बनाने के लिए उत्तर और दक्षिण भारत दोनों के लिए उपयुक्त है और लंबे समय तक रख सकते हैं।
डॉ. सुभाष कटारे,प्रमुख आलू अनुसंधान केंद्र, ग्वालियर
केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र के केंद्र प्रमुख डॉ. सुभाष कटारे का कहना है कि ये सभी किस्में उच्च पोषक तत्वों से युक्त हैं। इन चार किस्म में से दो किस्में लोगों के खाने के लिए और दो प्रस्संकरण कर चिप्स बनाने के लिए तैयार की गई है। यहां चारों वैरायटी के बीज भी तैयार किए जाएंगे और उसके बाद दूसरे राज्यों के किसानों को दिए जाएंगे।
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Published on:
17 Sept 2025 05:46 pm


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