AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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ग्वालियर. परिवहन विभाग द्वारा सेवाओं को पूरी तरह डिजिटल किए जाने के बाद अब वाहन का मोबाइल नंबर से लिंक होना अनिवार्य कर दिया गया है। यदि वाहन का पंजीकरण मोबाइल नंबर से लिंक नहीं है, तो आरटीओ से जुड़ा कोई भी काम नहीं हो पा रहा है। इससे आम लोगों को आरटीओ कार्यालयों में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार, बड़ी संख्या में ऐसे वाहन सामने आ रहे हैं जिनके मोबाइल नंबर गलत तरीके से लिंक हैं, जबकि कई वाहनों के नंबर सिस्टम में ङ्क्षलक ही नहीं हैं। ऐसे मामलों में वाहन स्वामी जब लाइसेंस नवीनीकरण, वाहन ट्रांसफर, परमिट, टैक्स भुगतान या अन्य सेवाओं के लिए आरटीओ कार्यालय पहुंचते हैं, तो उन्हें बिना काम कराए लौटना पड़ रहा है।
आरटीओ ने बताया, अब अधिकांश सेवाएं ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से संचालित की जा रही हैं। इसके लिए वाहन का पंजीकरण आधार से ङ्क्षलक मोबाइल नंबर से होना जरूरी है। ओटीपी उसी मोबाइल नंबर पर आता है, जो रिकॉर्ड में दर्ज होता है। मोबाइल नंबर ङ्क्षलक न होने या गलत होने की स्थिति में ओटीपी नहीं मिल पाता, जिससे प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती।
इसके अलावा कई मामलों में आधार कार्ड और वाहन पंजीकरण में दर्ज नाम का मिलान न होने (नेम मिचमैच) के कारण भी काम अटक रहा है। आधार में नाम अलग और वाहन के दस्तावेजों में नाम अलग होने पर सिस्टम आवेदन स्वीकार नहीं कर रहा, जिससे वाहन मालिकों को अतिरिक्त परेशानी उठानी पड़ रही है।
वाहन मालिकों का कहना है कि मोबाइल नंबर या नाम अपडेट कराने के लिए मोबाइल से नाम सुधार करने पर करीब 100 रुपये शुल्क देना पड़ रहा है। क्योंकि कई ऐसे वाहन मालिक है, जिनके वाहन कई साल पुराने है, जो खरीदते वक्त जानकारी दर्ज कराई थी, उसमें नाम और सरनेम को लेकर परेशानी आ रही है
वाहन मालिकों के अनुसार, कई साल पहले पंजीकृत वाहनों में पुराने या बंद हो चुके मोबाइल नंबर दर्ज हैं। कुछ मामलों में एजेंटों द्वारा गलत जानकारी दर्ज कर दी गई थी, जिसकी वजह से अब दिक्तत सामने आ रही है। मोबाइल नंबर या नाम अपडेट कराने के लिए आरटीओ में लोगों को बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
इनका कहना है
आरटीओ कार्यालय या अधिकृत ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से संशोधन कराया जा सकता है। यह व्यवस्था पारदर्शिता बढ़ाने और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए लागू की गई है, जिन्होंने मोबाइल नंबर लिंक नहीं है उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए वे एजेंटों के पास जा रहे हैं।
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Published on:
15 Dec 2025 05:50 pm


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