AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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ग्वालियर. ऑनलाइन गेम का जाल अब खतरनाक रूप ले चुका है, जो बच्चों और युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। पैसा कमाने के लालच में लाखों लोग अपनी जमा पूंजी गंवा रहे हैं, जबकि इसकी लत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ रही है। पिछले दशक में यह चस्का नशे की तरह फैल गया है और इसके कारण कई युवा जान तक गंवा चुके हैं। जेएएच के रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज यादव के अनुसार, मोबाइल-लैपटॉप पर घंटों बैठे रहने से 18-25 वर्ष के युवाओं में समय से पहले बुढ़ापा, स्पाइन की समस्याएं, नींद की कमी, अवसाद, उन्माद और एकाग्रता में कमी जैसी दिक्कतें तेजी से बढ़ रही हैं, जो पढ़ाई पर भी असर डाल रही हैं।
बर्बादी के गंभीर लक्षण
-ऑनलाइन गेमिंग की लत में फंसने वालों में कुछ गंभीर लक्षण स्पष्ट दिखते हैं
-सुबह से देर रात तक मोबाइल स्क्रीन पर चिपके रहना।
-फोन से दूर होने पर असहज और चिड़चिड़ा महसूस करना।
-सामाजिक व पारिवारिक गतिविधियों से पूरी तरह दूरी बना लेना।
-मोबाइल या लैपटॉप न मिलने पर आवेश में आकर हिंसक व्यवहार करना।
कर्ज का दलदल, घर से चोरी तक
स्टेट साइबर सेल के निरीक्षक दिनेश गुप्ता के अनुसार, ऑनलाइन गेम की लत बच्चों को गलत रास्ते पर धकेल रही है। जेब खर्च से शुरू हुआ दांव कर्ज तक पहुँचा रहा है, जिससे बच्चे घर से पैसा-गहने तक चुराने लगे हैं।
मौत का फंदा: आत्महत्याएं
ऑनलाइन गेम डेवलपर्स खेलने वालों को लेवल क्रॉस करने के टास्क और महंगे गिफ्ट का लालच देकर फंसाते हैं। जितने खिलाड़ी, उतने ही टास्क और बड़े दांव का भ्रम पैदा कर खेल के लाइफ साइकिल को लंबा किया जाता है, इसके जानलेवा परिणाम सामने आ रहे हैं:
-हजीरा निवासी नाबालिग ने मोबाइल फोन न मिलने पर गुस्सा होकर परिजनों से विवाद किया और आवेश में आकर खुदकुशी कर ली। परिजन ने बताया कि लड़का कई दिन से फोन की जिद कर रहा था।
-कंपू निवासी गिर्राज गुर्जर ने ऑनलाइन गेङ्क्षमग के जाल में फंसकर आत्महत्या कर ली। उसके सुसाइड नोट में लिखा था कि कुछ लोगों ने उसे कमाई का लालच देकर फंसाया, उसकी जमा पूंजी बर्बाद की, फिर नुकसान की भरपाई के बहाने मोटे ब्याज पर कर्जा दिया।
मोबाइल इस्तेमाल का समय तय हो
ऑनलाइन गेम मनोरंजन के लिए खेले जाएं तो बेहतर है, लेकिन इनकी लत में फंसना सेहत और पैसे की बर्बादी की वजह साबित हो सकती है। बच्चों को इस तरह खेलों से दूर रहना है। अभिभावकों को नजर रखना चाहिए कि बच्चे मोबाइल पर क्या कर रहे हैं। बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल का स्क्रीन टाइम तय होना चाहिए।
संजीव नयन शर्मा, डीएसपी और प्रभारी स्टेट साइबर सेल ग्वालियर
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
28 Nov 2025 05:49 pm


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