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युवाओं के सफर की नई पहचान ‘राइडर कैब’, कम समय और कम खर्च में मिल रही राइडर कैब की सुविधा

शहर की सडक़ों पर अब नया ट्रेंड दिखाई देने लगा है। हेलमेट पहने युवा, बाइक पर पीछे बैठे यात्री और मोबाइल ऐप पर आती बुकिंग। यह नजारा शहर में राइडर कैब यानी ...

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

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cab rider

ग्वालियर. शहर की सडक़ों पर अब नया ट्रेंड दिखाई देने लगा है। हेलमेट पहने युवा, बाइक पर पीछे बैठे यात्री और मोबाइल ऐप पर आती बुकिंग। यह नजारा शहर में राइडर कैब यानी बाइक टैक्सी की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। कम किराया, कम समय और आसान बुकिंग के कारण यह सेवा खासतौर पर युवाओं की पहली पसंद बनती जा रही है। पिछले कुछ समय में राइडर कैब वाली बाइक से सफर करना यंगस्टर्स को खासा पसंद आ रहा है, यही वजह है कि 30 फीसदी से अधिक लोग आने-जाने में इसका उपयोग कर रहे हैं। कॉलेज जाने वाले छात्र, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा और नौकरीपेशा वर्ग तेजी से इस सुविधा को अपना रहा है। बढ़ते ट्रैफिक और पार्किंग की समस्या के बीच बाइक टैक्सी उन्हें समय पर गंतव्य तक पहुंचाने में मददगार साबित हो रही है।

स्टेशन, कोचिंग और यूनिवर्सिटी एरिया में सबसे ज्यादा मांग

रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, कोचिंग हब और यूनिवर्सिटी एरिया में राइडर कैब की सबसे ज्यादा मांग देखने को मिल रही है। मोबाइल ऐप के जरिए आसान बुकिंग, कैशलेस पेमेंट और लाइव ट्रैङ्क्षकग जैसी सुविधाओं ने इस सेवा को और भरोसेमंद बना दिया है।

ऐप से बदली यात्रा की आदत

स्मार्टफोन और डिजिटल पेमेंट की सुविधा ने इस सेवा को और लोकप्रिय बना दिया है। कुछ ही मिनटों में बाइक बुक करना, लाइव ट्रैङ्क्षकग और ऑनलाइन भुगतान की सुविधाएं युवाओं को खूब पसंद आ रही हैं।

राइडर के लिए कमाई का नया जरिया

  • राइडर कैब सिर्फ सफर का साधन ही नहीं, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार का नया अवसर भी बन रही है। बीकॉम के छात्र और पार्ट-टाइम राइडर रोहित ङ्क्षसह बताते हैं कि पढ़ाई के साथ खाली समय में राइड करता हूं।
  • रोज 500 से 700 रुपए तक की कमाई हो जाती है। इससे अपनी फीस और खर्च आसानी से निकल जाते हैं। रोहित कहते हैं कि ऐप से जुडऩा आसान है और डिजिटल पेमेंट की वजह से पैसे को लेकर कोई झंझट नहीं होता।

युवा बोले समय और पैसे दोनों की बचत

  • सीए की पढ़ाई कर रही वंशिका साहनी बताती हैं, मुझे रोज कोङ्क्षचग से घर तक आना-जाना पड़ता है। ऑटो में समय भी ज्यादा लगता है और किराया भी। बाइक टैक्सी से 15-20 मिनट में काम हो जाता है और जेब पर भी ज्यादा बोझ नहीं पड़ता।
  • एक निजी कंपनी में काम करने वाले शिव ङ्क्षसह का कहना है कि ऑफिस जाने में अक्सर देर हो जाती थी। बाइक टैक्सी से ट्रैफिक में फंसने की टेंशन नहीं रहती। ऐप पर लाइव लोकेशन मिल जाती है, इसलिए भरोसा भी रहता है।

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लव सोनकर

लव सोनकर

लव सोनकर - 9 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछले 7 सालों से डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए हैं और कई संस्थानों में अपना योगदान दि है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता ए...और पढ़ें...


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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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