AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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हाईकोर्ट की युगल पीठ ने याचिका को फिर से सुनवाई का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि प्रकरण में चूक वकील की ओर से हुई हो तो उसका दुष्परिणाम पक्षकार पर नहीं डाला जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता और उसके अधिवक्ता को सुझाव दिया कि वे ग्वालियर स्थित मर्सी होम (आश्रम) में एक घंटे की सामाजिक सेवा करें और वहां के बच्चों व निवासियों के साथ समय बिताएं। साथ ही लगभग 10 हजार रुपए के फल, मिठाई या आवश्यक वस्तुएं ले जाने की बात कही गई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सुझाव दंडात्मक नहीं है, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करने के उद्देश्य से दिया गया है।
वीनस माइनिंग एंड मिनरल की ओर से वर्ष 2024 में दायर रिट याचिका को सशर्त आदेश का पालन न होने के कारण खारिज कर दिया गया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने देरी से बहाली आवेदन दायर किया। हाईकोर्ट ने देरी को उचित कारण मानते हुए पहले देरी माफी आवेदन स्वीकार किया और फिर बहाली प्रकरण पर सुनवाई की। कोर्ट के समक्ष यह दलील दी गई कि याचिका में हुई चूक अनजाने में वकील से हुई थी और इसका उद्देश्य किसी तरह की लापरवाही या जानबूझकर अवहेलना नहीं था। कोर्ट ने तर्कों को मानते हुए कहा कि स्थापित विधि सिद्धांत के अनुसार वकील की गलती के कारण पक्षकार को न्याय से वंचित नहीं किया जा सकता।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
20 Dec 2025 11:15 am


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