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समझ के अभाव में हादसे के बाद भी हाथ रहते खाली

हनुमानगढ़. जानकारी के अभाव में श्रमिकों को सरकार की बहुत सी योजनाओं का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थिति यह है कि कुछ श्रमिक ऐसे हैं, जिनको इन योजनाओं की जानकारी भी नहीं होती। ऐसे में श्रम विभाग की ओर से संचालित योजनाओं का लाभ वह नहीं ले पा रहे। श्रम विभाग हनुमानगढ़ […]

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श्रम विभाग कार्यालय
श्रम विभाग कार्यालय

हनुमानगढ़. जानकारी के अभाव में श्रमिकों को सरकार की बहुत सी योजनाओं का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थिति यह है कि कुछ श्रमिक ऐसे हैं, जिनको इन योजनाओं की जानकारी भी नहीं होती। ऐसे में श्रम विभाग की ओर से संचालित योजनाओं का लाभ वह नहीं ले पा रहे। श्रम विभाग हनुमानगढ़ की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो जानेंगे कि किस तरह जानकारी के अभाव में बड़े पैमाने पर निर्माण श्रमिक योजनाओं से वंचित हो रहे हैं। हनुमानगढ़ जिले में श्रमिक दुर्घटना सहायता योजना में चालू वित्तीय वर्ष में 255 आवेदन आए हैं।

इसमें विभाग की ओर से 170 आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं। जबकि 40 आवेदनों को स्वीकृति दी गई है। वहीं 45 आवेदनों को लंबित की श्रेणी में रखा गया है। यह आंकड़े यह बताने को काफी हैं कि सरकार की मंशा के अनुसार उक्त योजनाओं का लाभ श्रमिकों तक नहीं पहुंच रहा है। प्रदेश में श्रम विभाग की ओर से श्रमिकों (विशेषकर निर्माण श्रमिकों) के लिए दुर्घटना सहायता योजनाएं लागू की गई है। इस योजना में पंजीकृत निर्माण श्रमिक की काम के दौरान या अन्य दुर्घटना में घायल होने पर उसके परिवार को आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए श्रमिक का श्रम विभाग कार्यालय में पंजीयन करवाना जरूरी होता है।

बिना पंजीकृत श्रमिक को उक्त सहायता नहीं दी जाती। आवेदन के बाद यदि श्रमिक या आश्रित की ओर से मजदूरी करने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो भी आवेदन को मान्य नहीं माना जाता। जिले में स्थिति यह है कि समझ के अभाव में हादसे के बाद भी श्रमिकों के परिवार के हाथ खाली रहते हैं। क्योंकि कुछ का पंजीयन नहीं मिलता तो कुछ के मजदूरी का प्रमाण पत्र नहीं मिलता। ऐसे में विभाग स्तर पर संचालित योजनाओं के लाभ से उनके परिवार वंचित रह जाते हैं। पोर्टल पर कुछ आवेदन तो ऑटो रिजेक्ट की श्रेणी में आ रहे हैं। गांवों में सरपंच तथा शहरों में वार्ड पार्षदों का सहयोग लेकर श्रम विभाग यदि विशेष शिविर लगाकर श्रमिकों को जागरूक करने का प्रयास करे तो निश्चित तौर पर निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों का पंजीयन बढ़ाया जा सकता है। इससे किसी तरह की दुर्घटना होने पर श्रमिक परिवारों को आर्थिक सहायता मिल सकेगी।

श्रमिक कार्ड की वैलिडिटी 60 के बाद खत्म
नियमानुसार उक्त योजना में 18 से 60 वर्ष तक की आयु के श्रमिक ही पात्र माने जाते हैं। जबकि धरातल पर कुछ श्रमिक इस उम्र से अधिक के भी मजदूरी करते हुए मिल जाते हैं। लेकिन नियमों की बाध्यता के चलते वह इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं। श्रमिक कार्ड की वैलिडिटी 60 वर्ष तक मानी गई है।

पांच लाख तक की सहायता
योजना के अनुसार श्रमिक दुर्घटना सहायता योजना में सामान्य मौत पर दो लाख तथा दुर्घटना में मौत होने पर श्रमिक परिवार को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। वहीं घायल होने पर नियमानुसार अलग-अलग निर्धारित राशि के अनुसार सहायता दी जाती है। हनुमानगढ़ जिले के श्रम कल्याण अधिकारी देवेंद्र मोदी के अनुसार श्रमिक दुर्घटना सहायता योजना में जो आवेदन प्राप्त होते हैं, उसकी जांच करते हैं। इसमें नियमानुसार पात्र परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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