AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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COVID 19 Vaccine and Sudden Death In India: कर्नाटक में अचानक 40 दिन में करीब 22 लोगों की हार्ट अटैक से मौत की खबर ने सबको हैरान कर दिया है। वहीं, कोरोना महामारी के बाद अचानक हो रही मौतों ने वैक्सीन पर भी सवाल खड़ें किए। इसके बाद भारत में इसको लेकर स्टडी की गई। अब इसकी रिपोर्ट भी आ चुकी है। देश की दो सबसे बड़ी मेडिकल संस्थाओं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्टडी के मुताबिक अचानक मौतों और वैक्सीन में कोई सीधा संबंध नहीं है।
स्टडी में पुष्टि हुई कि भारत में कोविड-19 के टीके सुरक्षित और प्रभावी हैं। इनमें गंभीर दुष्प्रभावों के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं। यह भी पता चला कि कोविट-19 टीकाकरण से जोखिम नहीं बढ़ता है, जबकि अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं, आनुवंशिक प्रवृत्ति और जोखिम भरी जीवनशैली अचानक मौतों में भूमिका निभाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कई एजेंसियों ने अचानक होने वाली मौतों के मामलों की जांच की। साबित हो गया है कि कोविड- 19 टीकाकरण और अचानक होने वाली मौतों के बीच कोई लिंक नहीं है।
ये स्टडी 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में मई से अगस्त 2023 के बीच की गई। इसमें उन लोगों के मामलों का गहराई से विश्लेषण किया गया, जो पूरी तरह स्वस्थ थे, लेकिन अक्टूबर, 2021 से मार्च, 2023 के बीच उनकी अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। सभी की उम्र 18 से 45 साल थी। स्टडी में पता चला कि कोरोना वैक्सीन के कारण युवाओं में हार्ट अटैक का जोखिम नहीं बढ़ा है। एम्स ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के साथ मिलकर स्टडी रिपोर्ट तैयार की। इसके मुताबिक अचानक मौत का कोचिड वैक्सीन से कोई वैज्ञानिक या मेडिकल संबंध नहीं पाया गया।
1- रिपोर्ट में दावा किया गया कि युवाओं में अचनक हार्ट अटैक से मौतों के कई कारण हो सकते हैं। इनमें आनुवंशिकी, जीवन शैली (तनाव, खान-पान, शराब, सिगरेट), पूर्व-मौजूदा स्वास्थ्य समस्याएं और पोस्ट कोविड जटिलताएं शामिल हैं।
2- एम्स दिल्ली की एक और स्टडी चल रही है। इसमें पता लगाया जा रहा है कि युवाओं की अचानक मौत की असली वजह क्या है। शुरुआती आकलन के मुताबिक पिछले कुछ साल में अचानक मौतों के कारणों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।
3- आइसीएमआर की पहले की एक अन्य रिपोर्ट के हवाले से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने कहा था कि अचानक मौत की वजह कोविड वैक्सीन नहीं है। वैक्सीनेशन से जोखिम बढ़ा नहीं बल्कि कम हुआ है।
एम्स को विश्लेषण से पता चला कि दिल का दौरा या मायोकार्डियल इंफावर्शन (एमआई) मध्यम आयु वर्ग में अचानक मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है। अधिकांश अस्पष्ट मौतों के मामलों में संभावित कारण के रूप में अनुवंशिक बदलावों की पहचान की गई। विशेषज्ञों ने दोहराया है कि कोविड टीकाकरण को अचानक मौत से जोड़ने वाले बयान भ्रामक हैं। सबूतों के बगैर सवाल उठाने से जनता के भरोसा प्रभावित होता है। टीकों में लाखों लोगों की जान बचाई थी।
40 दिन में अचानक हार्ट अटैक से 22 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर युवा थे। मुख्यमंत्री सिद्धारामैया ने कोरोना वैक्सीन के संभावित साइट इफैक्ट की स्टडी के लिए एक पैनल के गठन का भी ऐलान किया था।
सरकार ने कहा है कि बिना सबूत वैक्सीन पर सवाल उठाना खतरनाक हो सकता है। इससे लोगों में हर फैल सकता है और वैक्सीन लेने से हिचकिचाहट हो सकती है। सरकार ने स्पष्ट किया कि वह लोगों की सेहत की रक्षा के लिए रिसर्च व तथ्यों पर आधारित नीतियों पर विश्वास करती है। वैक्सीन के दुष्प्रभावों की निगरानी के लिए देश में एडवर्स इवेंट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन (एईएफआई) प्रणाली लागू है। यह किसी भी संभावित साइड इफेक्ट की ट्रैकिंग करती है। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 20174 में एक याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के बाचे सनसनी फैलने के लिए हैं।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
03 Jul 2025 01:40 pm
Published on:
03 Jul 2025 12:30 pm


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