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अंचल की ईष्ट देवी भंगाराम मांई का फूल मेला शनिवार को विधि विधान के साथ हुआ। ऐसा माना जाता है कि, यहाँ के मेला होने के बाद ही इलाके में अन्य जगहों पर वार्षिक मेले की शुरुआत होती है। मेला का आनंद उठाते लोगों ने भंगाराम मांई एवं अन्य देवी देवताओं का यहा पहुचे लोगो ने आशिर्वाद लिया। ज्ञात हो कि भंगाराम मेला के दूसरे दिन कांकेर का मेला होता है उसके बाद कांकेर जिला मे मेला लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो क्रमश: बढते हुये नारायंणपुर का फिर कोंडागांव का केशकाल -बिश्रामपुरी अंचल का मेला होता है |भंगाराम मांई का मेला के बाद ही कोंडागांव जिले में मेले की शुरुआत भी मानी जाती है। ज्ञात हो कि, इसी जगह पर साल में एकबार होने वाले जात्रा के दौरान इलाके के देवी-देवता उपस्थित होते हैं और उन्हें उनके सालभर के कार्यो के अनुसार सजा भी सुनाई जाती है। छत्तीसगढ़ में कई ऐसी परंपरा और देव व्यवस्था है, जो आदिम संस्कृति की पहचान बन गई है. कुछ ऐसी ही परपंरा धमतरी जिले के वनाचंल इलाके में भी दिखाई देती है. यहां गलती करने पर देवी-देवताओं को भी सजा मिलती है. मान्यता है कि आस्था और विश्वास के चलते जिन देवी-देवताओं की लोग उपासना करते हैं, लेकिन वही देवी-देवता अपने कर्तव्य का निर्वहन न करें तो उन्हें शिकायत के आधार पर भंगाराम सजा देते हैं. सुनवाई के दौरान देवी-देवता एक कठघरे में खड़े होते हैं. यहां भंगाराम न्यायाधीश के रूप में विराजमान होते हैं. माना जाता है कि सुनवाई के बाद यहां अपराधी को दंड और वादी को इंसाफ मिलता है.
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
08 Jan 2023 04:27 pm


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