AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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जगदलपुर। हर वर्ष 1 नवंबर से धान खरीदी शुरु हो चुकी है, अब दिन बीतने के साथ ही धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ेगी। पर बस्तर जिले के कई केन्द्रों में चबूतरा का निर्माण नहीं है। वहीं जिन केन्द्रों में हैं, उनकी संख्या में भी कम है। इस साल बस्तर जिले में चार नए केन्द्रों में भी चबूतरा नहीं बनाया गया है, और वहां पर भी चबूतरा की व्यवस्था नहीं है। विदित हो कि मनरेगा के तहत पंचायतों में चबूतरा का निर्माण कराया गया था, जिस पर शेड बनाना था। पर शेड भी नहीं बनाया गया है। पल्ली और सेमरा धान खरीदी केन्द्र में चबूतरा है, पर शेड नहीं हैं, वहीं मंगडूकचोरा में विगत पांच वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन एक भी चबूतरा नहीं है। जिसकी वजह से भूंसे के ढेर में धान रखने की व्यवस्था की गई है।
दूसरे दिन छह जिलों में नहीं हुई खरीदी
खरीदी के दूसरे दिन केवल कांकेर जिले में धान खरीदा गया, जबकि छह जिलों में धान की खरीदी नहीं हुई। बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा, कोण्डागांव और बीजापुर के खरीदी केन्द्रों में सन्नाटा पसरा हुआ था। अब तक बस्तर और कोण्डागांव के एक-एक केन्द्रों के साथ कांकेर के 27 केन्द्रों में कुल 3114 क्विंटल धान खरीदी हुई है।
कांटा तराजू में हो रही धान की तौलाई
इलेक्ट्रानिक मशीन से धान खरीदी को विश्वसनीय बताया जाता हैं, जबकि खरीदी केन्द्र प्रभारियों के द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है, कि इलेक्ट्रानिक मशीन से धान खरीदी कारगर नहीं है। इससे वजन सही नहीं होता और सुखती का नुकसान समिति को उठाना पड़ता है। वहीं इलेक्ट्रानिक मशीन को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने और कई क्विंटल धान के लोड से बार-बार खराब होता है। इसलिए किलोवाट तराजू का इस्तेमाल किया रहा है। बस्तर जिल में 79 धान खरीदी केन्द्र हैं, जिसमें से 70 फीसदी में इलेक्ट्रानिक मशीन के स्थान पर कांटा तराजू से धान खरीदी की व्यवस्था है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
02 Nov 2023 10:59 pm


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