AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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केशकाल:- वैसे तो सरकार प्रदेश के सूदूरवर्ती ग्रामों में सड़कों का जाल बिछाकर उन्हें शहर से जोड़ने का दावा कर रही है। लेकिन केशकाल विकासखंड अंतर्गत एक गांव ऐसा भी है जहां के ग्रामीण पिछले 15 वर्षों से सड़क की मांग को लेकर नेताओं और अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर काटने पर मजबूर हैं। अब ग्रामीणों ने सरकार से उम्मीद छोड़ दी है, और थक हार कर वन समिति के पैसों का उपयोग कर के श्रमदान करते हुए सड़क बनाने में जुट गए हैं।
ये है पूरा मामला-
पूरा मामला केशकाल विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कोहकामेटा के आश्रित वनग्राम नेलाझर का है। इस गांव में लगभग 46 घर हैं, तथा कुल आबादी लगभग 300 है। वैसे तो यह गांव कांकेर जिले की सीमा के काफी नजदीक है। लेकिन केवल 3-4 किलोमीटर तक सड़क न होने के करण ग्रामीणों को कांकेर जाने के लिए केशकाल से होकर गुजरना पड़ता है। यदि ये सड़क बन जाती है तो नेलाझर के ग्रमीणों को काफी सहूलियत होगी। ग्रामीण इस मांग को लेकर क्षेत्रीय विधायक सन्तराम नेताम, कांकेर विधायक शिशुपाल शोरी एवं केशकाल वनमण्डलाधिकारी को अवगत करवा चुके है। लेकिन अब तक किसी नेता व अधिकारी ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली है।
प्रत्येक घर से एक व्यक्ति कर रहा है श्रमदान-
इस सम्बंध में पत्रिका प्रतिनिधि से बातचीत के दौरान स्थानीय ग्रामीण मुन्नालाल शोरी व भगवान सिंह शोरी व ने बताया कि नलाझर को आमपानी, रावस होते हुए कांकेर से जोड़ने वाली इस सड़क के निर्माण हेतु 2008 व 2012 में जनपद से राशि स्वीकृत भी हुई थी। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण नक्शा नहीं मिल पाया और काम आगे नहीं बढ़ा। इसके लिए हमने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से पत्राचार भी किया है लेकिन अब तक हमारी मांग पूरी नहीं हुई। इसलिए अब हम सभी ग्रामीण खुद ही सड़क बनाने के काम मे लग गए हैं। हमने जेसीबी के माध्यम से इस पूरे मार्ग का समतलीकरण शुरू कर दिया है, ताकि ग्रामीणों को आवागमन में सुलभता हो।
आखिर कब पूरी होगी मांग-
ग्रामीणों ने पत्रिका के माध्यम से सड़क निर्माण करवाने को लेकर पुनः प्रशासन से गुहार लगाई है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या शासन प्रशासन इस ध्यानाकर्षण के बाद नेलाझर के ग्रामीणों की समस्या को गंभीरतापूर्वक लेते हुए सड़क निर्माण कार्य शुरू करवाता है। या फिर दशकों से चली आ रही प्रशासनिक नजरअंदाजी आगे भी जारी रहती है, यह जनचर्चा का विषय बना हुआ है।
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Published on:
04 Mar 2023 09:20 pm


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