AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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राज्य के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के चरक भवन में ऑडियोमेट्री टेस्ट (बहरेपन की जांच) कराने वाले मरीज मर्ज से ज्यादा सिस्टम से पीडि़त हैं। जांच के लिए आने वाले मरीजों को पहले तो चार से छह महीने तक वेटिंग दी जा रही है और फिर नंबर आने पर घंटों लाइन में खड़ा रखा जा रहा है। मरीजों का आरोप है कि यह सब स्टाफ की मनमानी के कारण चल रहा है। शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार पीडितों की आवाज नहीं सुन पा रहे। पूरे प्रदेश में एसएमएस सहित कुछेक सरकारी अस्पतालों में ही ऑडियोमेट्री टेस्ट होता है। ऐसे में यहां टेस्ट नहीं होने पर मरीजों को मजबूरी में बाहर सेंटर पर करवाना पड़ रहा है जो महंगा पड़ रहा है। राजस्थान पत्रिका ने शुक्रवार सुबह पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
ये हालः 3 घंटे में सिर्फ 3 जांच
सुबह 11 बजे चरक भवन के दूसरे तल पर बने 50 नंबर ऑडियोलॉजी विंग में लंबी कतार लगी थी। मरीज परेशान और गुस्से में थे। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पता चला कि तीन घंटे में सिर्फ तीन मरीजों की जांच हुई, जबकि एक जांच में 15 मिनट ही लगते हैं। जब स्टाफ से पूछा तो जवाब मिला नंबर जैसे आएगा वैसे ही आएगा, हम कुछ नहीं कर सकते। इसी दौरान मरीजों की शिकायत पर ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. पवन सिंघल मौके पर पहुंचे। जांच धीमी क्यों है, यह पूछते ही स्टाफ और एचओडी के बीच तीखी बहस हो गई। जैसे-तैसे मामला शांत हुआ। उसके बाद भी वही हालात रहे।
वही ढर्राः शिकायतों का भी असर नहीं
पड़ताल में पता चला कि कई बार अस्पताल प्रशासन तक शिकायतें पहुंची, लेकिन सुधार नहीं हुआ। न जांच स्लॉट बढ़े, न स्टाफ की जवाबदेही तय हुई। नतीजा ये है कि यहां रोजाना बहस और विवाद आम हो गए हैं। कई बार मामला पुलिस तक भी पहुंचा है। यहां तक कि पहले भी इन मामलों में कई बार कमेटी गठित हो चुकी लेकिन फिर वही ढर्रा हो जाता है।
मरीजों ने यों बयां किया दर्द
आसान नहीं जांच करवाना
पत्नी ज्योति को कान में तेज दर्द की शिकायत है। ओपीडी मेें देखते ही डॉक्टर ने तुरंत पीटीए जांच (ऑडियोमेट्री टेस्ट) करवाने को कहा। चरक भवन स्थित 50 नंबर में बने रजिस्ट्रेशन काउंटर पर गए तो अक्टूबर की तारीख लिखकर एक पर्ची थमा दी। इसके बाद ईएनटी विभाग के एचओडी और प्रिंसिपल तक गुहार लगाई तो जल्दी नंबर आया। लेकिन जैसे ही जांच के लिए कमरे में गए तो नाम सुनकर कमरे से बाहर निकाल दिया। दूसरे दिन बड़ी मशक्कत के बाद जांच हुई।
— अर्जुन (मरीज का पति)
काम नहीं करने वालों को हटाओ
बच्चे की सुनने की क्षमता कमजोर है। डॉक्टर ने बेरा टेस्ट लिखा, चार महीने बाद की तारीख मिली थी। जब जांच का दिन आया तो सुबह 8 बजे से इंतजार कर रहे हैं, चार घंटे तक भी नंबर नहीं आया। जो लोग काम नहीं करना चाहते वैसे लोगों को हटा देना चाहिए और व्यवस्थाओं में सुधार करना चाहिए।
— रेखा (मरीज की मां)
जिम्मेदारों ने आंखें मूंदी
पड़ताल में सामने आया कि जांच की रफ्तार जानबूझकर धीमी रखी जा रही है। इससे काम नहीं करना पड़े। ऐसा लंबे समय से हो रहा है। जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे हैं। इसके कारण वेटिंग बढ़ती जा रही है। अभी जांच के लिए मरीजों को फरवरी तक की तारीख दी जा रही है। जबकि प्रक्रिया में सुधार हो तो महीनों की जगह कुछ दिन में जांच हो सकती है।
लंबे समय से कुछ ऑडियोलॉजिस्ट कार्य व मरीजों के प्रति लापरवाही कर रहे हैं। आए दिन अनुशासनहीनता करते हैं। मरीज आए दिन उनकी शिकायतें करते हैं। इस संबंध में कई बार अस्पताल प्रबंधन को अवगत करवा चुका हूं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। आए दिन विवाद हो रहे हैं।
- डॉ पवन सिंघल, विभागाध्यक्ष, ईएनटी विभाग
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
23 Aug 2025 05:18 pm


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