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नशे पर लगे रोक, खुलकर बोले विशेषज्ञ, हैप्पी कल्चर की जताई जरूरत

राजस्थान पत्रिका के ‘नशा मुक्ति संग्राम’ अभियान के तहत सोमवार को आयोजित टॉक-शो

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AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

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जयपुर। शहर में खुलेआम फल-फूल रहे नशे के अवैध कारोबार को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में चिंता गहराती जा रही है। राजस्थान पत्रिका के ‘नशा मुक्ति संग्राम’ अभियान के तहत सोमवार को आयोजित टॉक-शो में प्रमुख स्कूलों के प्राचार्य, समाजसेवी, स्वयंसेवी संस्थाएं और व्यापार जगत से जुड़े लोग मुखर नजर आए। पत्रिका कार्यालय में हुई चर्चा में बच्चों और युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए इसके खुले कारोबार पर प्रभावी रोक की जरूरत बताई गई। वक्ताओं ने कहा कि नशे के सौदागरों के लिए बच्चे आसान टारगेट बन रहे हैं, ऐसे में शिक्षकों और माता-पिता को काउंसलर की भूमिका निभानी होगी।

चर्चा के दौरान घर और स्कूलों में हैप्पी कल्चर विकसित करने, बच्चों से संवाद बढ़ाने, तनाव कम करने और सोशल मीडिया पर निगरानी की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया गया।

ये भी दिए सुझाव
- स्कूलों में हर माह बच्चों की काउंसलिंग की जाए
- प्रार्थना सभाओं में नशे के दुष्प्रभावों की जानकारी दी जाए
- बच्चों के लिए हॉबी क्लास शुरू हों
- परिजन बच्चों के साथ समय बिताएं और गतिविधियों पर नजर रखें
- सामाजिक संगठन नशा मुक्ति अभियान चलाएं
- नशा विरोधी कानूनों की सख्ती से पालना हो
- जिला प्रशासन, पुलिस, बाल अधिकारिता विभाग और स्कूल प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी तय हो

विशेषज्ञों ने जताई चिंता
नशीले पदार्थ के उत्पादकों से सरकार को 3 से 4 लाख करोड़ की आय हो रही है। नशा उत्पादन में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। नशे की रोक के लिए हमें उसकी जड़ तक जाना होगा। हमारी इंडस्ट्री ने नशा करने वालों पर पाबंदी लगा रखी है।
- नीलम मित्तल, अध्यक्ष, फोर्टी महिला विंग

नशे को विद्यार्थियों ने स्टेटस सिंबल समझ लिया है। इसके बढऩे का दूसरा कारण तनाव और आर्थिक स्थिति है। बच्चों में तनाव दूर करने के लिए उनके साथ संवाद करना होगा। सरकारी हेल्पलाइन को लेकर जनचेतना बढ़ानी चाहिए।
- प्रोफेसर डेजी शर्मा, सहायक आचार्य, राजस्थान विश्वविद्यालय

कुछ समय पेरेंट्स को बच्चों की दिनभर की गतिविधियों पर चर्चा करनी चाहिए, ताकि दोस्तों और आदतों की जानकारी मिल सके। विद्यार्थियों को नशे से दूर रखने के लिए हम बच्चों से उनके दिल की बात साझा करवाते हैं।
- मंजू शर्मा, प्रिंसिपल, एमपीएस इंटरनेशनल, तिलक नगर

स्कूल एक बच्चे को नहीं, बल्कि पूरे परिवार को तैयार करता है। हमें चुप नहीं बैठना है। बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए स्कूलों को पहल करते हुए समय-समय पर वर्कशॉप आयोजित करनी चाहिए।
- ऊषा शर्मा, एकेडमिक डायरेक्टर, एसआरएन इंटरनेशनल स्कूल, जगतपुरा

बच्चे या युवा नशा न करें, इसके लिए हमें हैप्पीनेस पर काम करना होगा। खुशी और मेंटल हेल्थ मजबूत होगी तो बच्चों पर नशे का दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। घर और स्कूल में हैप्पी कल्चर विकसित करना जरूरी है।
- सरिता कटियार, प्रिंसिपल, रेयान इंटरनेशनल स्कूल, मानसरोवर

नशे के सौदागरों के लिए बच्चे टारगेट होते हैं, क्योंकि वे जल्दी इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं। शिक्षण संस्थानों की 100 मीटर परिधि में तंबाकू या नशे का उत्पाद दिखे तो शिकायत जरूर करें।
- डॉ. सुनीता वशिष्ठ, प्रिंसिपल, एमपीएस, कालवाड़ रोड

पुलिस-प्रशासन नशाखोरी खत्म करने की बातें तो करता है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जाते। तंबाकू उत्पादों पर केवल चेतावनी लिखने से काम नहीं चलेगा।
- ममता शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता

कई माता-पिता बच्चों को पॉकेट मनी देकर निश्चिंत हो जाते हैं, जबकि यह देखना भी जरूरी है कि बच्चा उस पैसे का इस्तेमाल किस तरह कर रहा है।
- प्रदीप मेठवानी, अध्यक्ष, सिंधी समाज, जवाहर नगर

नशा छुड़वाने की शुरुआत घर से होनी चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों के आसपास नशा न बिके और सामाजिक आयोजनों में भी नशे की सामग्री से दूरी रखी जाए।
- राजन चौधरी, कार्यकारी निदेशक, एसआरकेपीएस राजस्थान

बच्चों को नशे से बचाने के लिए स्कूलों में काउंसलिंग और समाज में जागरूकता जरूरी है। सरकार कार्यक्रम तो कर रही है, लेकिन उनकी मॉनिटरिंग नहीं हो रही।
- कौशल सत्यार्थी, प्रबंध निदेशक, मानव सेवा ट्रस्ट

राजस्थान में स्मैक का नशा बढ़ रहा है। रोजगार उपलब्ध कराकर युवाओं को नशे से दूर किया जा सकता है, विशेषकर महिलाओं और उनके परिवारों को रोजगार से जोडऩा जरूरी है।
- प्रशांत पाल, संस्थापक, प्योर इंडिया ट्रस्ट

चाइल्ड लेबर से जुड़े बच्चों को घरों में ही नशा आसानी से मिल रहा है। टीवी और मोबाइल देखकर नाबालिग नशा सीख रहे हैं।
- विशाल सिंह, काउंसलर, प्रयास जेएसी, जयपुर

बच्चों को नशे से दूर रखना परिजन, शिक्षक और समाज की साझा जिम्मेदारी है। भविष्य सुरक्षित करना है तो मिलकर काम करना होगा।
- अरविंद अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष, संयुक्त अभिभावक संघ

शिक्षा को व्यवसाय का जरिया नहीं बनाना चाहिए। बच्चों पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है।
- अभिषेक जैन बिट्टू, प्रदेश प्रवक्ता, संयुक्त अभिभावक संघ

युवाओं में नशा गंभीर समस्या बनता जा रहा है। शहरों के साथ गांवों में भी इसका फैलाव हो रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए घातक है।
- राजीव आहूजा, उपाध्यक्ष, राजापार्क व्यापार मंडल

नशे की गिरफ्त में फंसते जयपुर को इस चंगुल से छुड़ाना जरूरी है। अवैध नशा बेचने वालों की जानकारी हेल्पलाइन या थाने में दें।
- किशोर वासवानी, अध्यक्ष, स्वामी सर्वानंद मार्केट

सोशल मीडिया पर निगरानी जरूरी है, यहां बच्चे देखते हैं कि नशा और सिगरेट को स्टेटस सिंबल की तरह दिखाया जाता है।
- सुजाता मीणा, पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष, राजस्थान यूनिवर्सिटी

बच्चों को नशाखोरी के दुष्प्रभाव बताना जरूरी है, ताकि वे नशे और नशा करने वालों से दूरी बना सकें।
- रामसिंह, निदेशक, राधा बाल भारती सीनियर सैकंडरी स्कूल, आगरा रोड

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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