AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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जयपुर. अजमेर रोड पर वह जगह आज भी खामोशी से चीखती है। एक साल पहले जिस सड़क ने आग उगली थी। किसी का हाथ बचा, किसी के पैर पड़े हुए थे। अपनों को लोग कट्टों व गांठ में बांधकर ले जा रहे थे। वाहनों के सिर्फ ढांचे ही बचे थे। एक-एक कर दिन गुजरते गए, आज एक साल हो गया, पास में ही खेत में जले कुछ वाहनों घावों को ताजा कर रहे हैं। आज मैं नि:शब्द हूं…। जहां गैस टैंकर और ट्रक की टक्कर ने पल भर में 20 जिंदगियां निगल लीं और 30 से ज्यादा लोगों को जीवनभर के जख्म दे दिए। वहां वक्त मानो ठहर गया है। दर्द, डर और दहशत आज भी जस की तस हैं।
पत्रिका टीम जब एक साल बाद उसी स्थान और मृतकों के घरों तक पहुंची, तो सामने आई कहानियां दिल चीर देने वाली थीं। किसी घर में अब भी पिता की कुर्सी खाली है, तो कहीं मां हर शाम बेटे के मोबाइल पर आई आखिरी कॉल को देख रो पड़ती है। बच्चों के सवाल आज भी वही हैं..“पापा कब आएंगे?” जवाब किसी के पास नहीं।
सबसे चौंकाने वाली तस्वीर सड़क पर खड़ी जली हुई गाड़ियां हैं..सिस्टम को चिढ़ाती हुई, प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े करती हुई। एक साल में न तो हादसे के घाव भरे, न जिम्मेदारी तय हुई। हां, 20 की मौत के बाद जान लेने वाला वह कट जरूर बंद कर दिया गया था। लेकिन उसे खुला छोड़ देने की जिम्मेदारी किसी की तय नहीं हुई। हादसे की चश्मीद गवाह डॉ. यास्मीन पत्रिका रिपोर्टर से बोली..हादसे को याद कर आज भी रुह कांप जाती है…।
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दिसंबर आते ही रूह कांप गई, मैं आगे थी, पीछे जलते हुए आदमी दौड़ रहे थे, कोई मिट्टी में लाल पलोटा हो रहा था, कोई चीख-पुकार रहा था। गाड़ियों में विस्फोट की आवाज आ रही थी। यह भयावह मंजर आज भी डरा रहा है।' इतना कहते ही डॉ. यास्मीन खान (स्लीपर बस में सवार हादसे की चश्मदीद गवाह) चुप हो गई। यूनानी चिकित्सक डॉ. यास्मीन उदयपुर से यात्रियों को लेकर आ रही स्लीपर कोच में राजसमंद से बैठी थी। वह कहती हैं कि आंखों के सामने वह हादसा हुआ। बस आग की चपेट में आ गई। ड्राइवर जलता दिखाई दिया, पीछे देखा तो लोग जल रहे थे। बाहर कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। एक साल हो गया, इस बीच स्लीपर बस में नहीं बैठी, कहीं घूमने नहीं गई। जब भी सड़क पर कोई गैस का टेंकर दिखाई देता है, रुह कांप जाती है।
'पहले पति मोती राम को 32 साल की उम्र में सड़क हादने ने छीन लिया। जीवन में संघर्ष कर बेटे राधेश्याम को पाला, 32 साल का होते ही फिर एक ओर सड़क हादसे ने जवान बेटे को छीन लिया। परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। घर को वहीं संभालता था, खेत का काम भी वहीं संभालता था। पूरा साल रो-रोकर निकल गया।
उस दिन सुबह 10 बजे फोन पर बात कर कहा था मैं ठीक हूं।' इतना कहते ही हादसे में मृतक राधेश्याम चौधरी की मां गीता देवी चुप हो गई। चाचा हीरालाल चौधरी ने बताया कि हादसे में 80 फीसदी जलने के बाद भी राधेश्याम ने हिम्मत नहीं हारी। उसे मानसरोवर एक निजी चिकित्सालय लेकर गए, लेकिन उन्होंने एम्बुलेंस से एसएमएस अस्पताल पहुंचा दिया। आज भी वह भयावह मंजर देख आंखें भर आती है।
हादसे का जिम्मेदार रोड कट को माना गया। बाद में उसे बंद कर दिया गया। लेकिन इसके बाद सभी हाइवे पर इस तरह का कोई अभियान नहीं चलाया गया। यहां तक की अजमेर रोड पर जिस कट के कारण हादसा हुआ, उसके जिम्मेदार भी आज तक तय नहीं किए गए हैं। हाइवे पर ट्रकों की भिंडत में कई गैस सिलेंडर फटने के एक अन्य मामले के बाद जिला कलक्टर की जांच कमेटी ने हाईवे पर अवैध पार्किंग, ओवरलोड वाहनों को भी हादसों का जिम्मेदार माना। लेकिन आज भी यह समस्या जस की तस है।
1. हादसे का मुख्य कारण कंटेनर व गैस टैंकर चालक की लापरवाही मानी। दोनों ही तेज रफ्तार से वाहन चला रहे थे और अन्य यातायात नियमों की पालना नहीं की।
2. घटना स्थल पर आग की चपेट में आई स्लीपर बस में इमरजेंसी गेट नहीं था, इससे सवारियां बस से बाहर नहीं निकल सकी और बस में जलने से उनकी मौत हो गई। इसके लिए बस मालिक को दोषी माना।
3. अजमेर रोड पर डीपीएस कट और रोड इंजीनियरिंग की खामियों को लेकर किसकी लापरवाही रही, पुलिस इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
(पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज, हादसे में घायल व प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और मौका तस्दीक व तकनीकी रिपोर्ट पर यह जांच की है)
- रासायनिक, गैस, डीजल, पेट्रोल व ज्वलनशील, विस्फोटक पदार्थों का राष्ट्रीय राजमार्गो पर संचालन सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक किया जाए
- घनी आबादी क्षेत्र में रात 10 से सुबह 6 बजे तक किया जाए
- राष्ट्रीय राजमार्ग की परिधि क्षेत्र में होटल ढाबों पर अनाधिकृत रूप से खड़े वाहनों को हटाने का संयुक्त ऑपरेशन पुलिस, एनएचएआई और परिवहन विभाग चलाए
- अभियान चलाकर सभी अवैध कट बंद किए जाए
- गैस वाले वाहनों को सड़क किनारे सुरक्षित स्थान पर खड़ा करने के निर्देश दिए जाएं
हादसे में नायला निवासी लालाराम सैनी (28) की मौत हो गई थी। लालाराम की असमय मौत का सदमा परिवार में आज भी बरकरार है। पिता कैलाशचंद सैनी ने बताया कि बेटे की शादी के लिए उन्होंने नया घर बनवाया था। आंखों से आंसू पोंछते हुए उन्होंने कहा कि सोचा था इसी घर में बेटा अपनी पत्नी और परिवार के साथ रहेगा, लेकिन किसे पता था कि यह घर खुशियों से पहले ही वीरान हो जाएगा। इतना कहते ही उनकी आवाज भर्रा जाती है और शब्द साथ छोड़ देते हैं। मां मनभर देवी का हाल और भी ज्यादा पीड़ादायक है।
वह रोज बेटे की यादों में खो जाती हैं। कभी उसकी हंसी याद आती है, तो कभी घर के कामों में हाथ बंटाने की बातें। वह कहती हैं कि लालाराम घर का सबसे समझदार बेटा था, सुबह निकलते समय कहकर गया था कि जल्दी लौट आएगा, लेकिन वह लौटकर कभी नहीं आया। लालाराम के बड़े भाई गणेश सैनी का कहना है कि मैंने सिर्फ भाई नहीं खोया, बल्कि अपना दाहिना हाथ खो दिया।
..और बोले अधिकारी… नोटिस दे दिए..चार्जशीट पेश कर दी
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
20 Dec 2025 12:44 pm
Published on:
20 Dec 2025 12:04 pm


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